अडानी समूह की कंपनियों को वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज से झटका लगा है। एजेंसी ने अडानी समूह की रेटिंग स्थिर से नेगेटिव कर दी है। हालाँकि, कंपनियों की रेटिंग अभी घटायी नहीं गई है। अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य पर कथित रिश्वत घोटाले में अमेरिका द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद एजेंसी ने यह रेटिंग जारी की है। हालाँकि अडानी समूह ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज से कहा है कि उसने घूस नहीं दी है और वह पाकसाफ़ है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अडानी समूह की सात फर्मों की रेटिंग को ‘स्थिर’ से संशोधित कर ‘नकारात्मक’ कर दिया है। मूडीज के अनुसार, अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा लगाए गए आरोप और गौतम अडानी और वरिष्ठ प्रबंधन टीम के सदस्यों से संबंधित हैं, लेकिन इनसे सभी रेटेड अडानी समूह के क्रेडिट पर व्यापक असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी मूल कंपनियों के अध्यक्ष के रूप में उनकी प्रमुख भूमिका है, साथ ही वे नियंत्रक शेयरधारक भी हैं।
मूडीज ने कहा कि अभियोग से अडानी समूह की फंडिंग तक पहुँच कमज़ोर हो सकती है और इसकी पूंजी लागत बढ़ेगी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यदि कानूनी कार्यवाही से उनके संचालन या पूंजी तक पहुँच में कोई महत्वपूर्ण व्यवधान आता है तो वह समूह की संस्थाओं की रेटिंग घटा सकती है। इसने कहा कि यदि समूह कानूनी कार्यवाही से जुड़े मुद्दों को सुधारने में असमर्थ होता है तो भी रेटिंग घटाए जाने की संभावना है।
हालाँकि, मूडीज ने कहा है कि सभी सात जारीकर्ताओं पर नकारात्मक आउटलुक को देखते हुए निकट भविष्य में रेटिंग में सुधार की संभावना नहीं है। इसने कहा कि यदि कानूनी कार्यवाही साफ़ तौर पर बिना किसी नकारात्मक क्रेडिट प्रभाव के समाप्त होती है, तो हम रेटिंग आउटलुक को स्थिर में बदल सकते हैं।
मूडीज की यह रेटिंग इसलिए अहम है कि इससे अडानी समूह में निवेश पर असर पड़ता है। यह इसलिए भी अहम है कि हाल में अमेरिका द्वारा अडानी और उनके लोगों पर लगाए गए अभियोग का कंपनी के शेयर बाज़ार पर काफी बुरा असर हुआ है और शेयरों में भारी गिरावट आई है।
अमेरिका में गौतम अडानी पर आरोप लगा है कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई।
द गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि या तो घूस की यह रक़म भुगतान की जा रही है या फिर यह देना तय हुआ है। न्यूयॉर्क में उनपर यह आरोप इसलिए लगा है कि 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की इस योजना को अमेरिकी निवेशकों से छिपाया गया।
यह मामला अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म के बीच भारत सरकार को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा बेचने के लिए हुए समझौते से जुड़ा है। अमेरिकी अभियोग में उन पर पिछले पांच वर्षों में वॉल स्ट्रीट निवेशकों से परियोजना में कई बिलियन डॉलर निवेश करवाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है।
आरोप है कि भारत में यह अनुबंधों को पाने में मदद करने के लिए सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दे रहा था या देने की योजना बना रहा था। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन यानी एसईसी ने गौतम अडानी और सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों और एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के एक अधिकारी सिरिल कैबनेस पर बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी योजना का आरोप लगाया था।
अडानी समूह ने अपने अध्यक्ष गौतम अडानी और अन्य प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी और प्रतिभूति धोखाधड़ी की योजना के आरोपों को खारिज किया है और इसे आधारहीन बताया है। इसने कहा है कि वह क़ानूनी रास्ते तलाश रहा है।
इस मामले में अडानी समूह ने बुधवार को बयान जारी कर कहा है कि समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर एफसीपीए के तहत आरोप नहीं लगाया गया है। इसने हाल के दावों को गलत बताते हुए खारिज कर दिया। अडानी समूह की कंपनी ने कहा कि तीनों व्यक्तियों (गौतम, सागर, विनीत) पर कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश, वायर धोखाधड़ी साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी से संबंधित आरोप हैं - इन सभी पर अधिततम संभावित जुर्माना लगाया जा सकता है। कंपनी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि आरोप मुख्य रूप से कुछ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ हैं, अडानी के अधिकारियों के खिलाफ नहीं।