नरसिंहानंद को 'नफरती' कहा तो ऑल्ट न्यूज़ के ज़ुबैर पर FIR
फेक न्यूज़ और नफ़रती बयानों के ख़िलाफ़ लगातार लिखते-बोलते रहे ऑल्ट न्यूज़ के मुहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ अब एफ़आईआर दर्ज कराई गई है। उन पर आरोप लगाया गया है कि ट्विटर पर महंत बजरंग मुनि 'उदासीन', यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप को 'नफ़रत फैलाने वाले' कहकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। यह एफ़आईआर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में एक हिंदू संगठन के प्रमुख ने खैराबाद थाने में दर्ज कराई है। पुलिस ने कहा है कि वह मामले की जाँच कर रही है।
मुहम्मद ज़ुबैर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बता दें कि बजरंग मुनि को नफ़रती भाषण के मामले में गिरफ़्तार किया गया था। बजरंग मुनि कथित तौर पर एक मसजिद के बाहर नफ़रती भाषा और सीतापुर में बलात्कार की धमकी देने के मामले में जेल में भी रहे थे। एक वीडियो में वह कथित तौर पर यह कहते सुने गए थे कि यदि मुसलिम समुदाय के किसी भी पुरुष द्वारा किसी हिंदू लड़की को परेशान किया जाता है, तो वह खुद उनके समुदाय की औरतों का बलात्कार करेंगे। क़रीब 10 दिन जेल में बिताने के बाद एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी।
इसी तरह यति नरसिंहानंद हरिद्वार में नफरती 'धर्म संसद' को लेकर विवादों में रहे थे। नरहिंसानंद के नेतृत्व में आयोजित उस कार्यक्रम में कुछ कथित हिंदू धर्मगुरुओं ने लोगों से मुसलमानों के जनसंहार के लिए हथियार उठाने का आग्रह किया था। इस कार्यक्रम को लेकर विवाद होने के बाद इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। नरसिंहानंद को जेल में भी जाना पड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। वह विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।
बहरहाल, ज़ुबैर के ख़िलाफ़ हिंदू शेर सेना की सीतापुर इकाई के प्रमुख भगवान शरण की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज की गई है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एफ़आईआर में कहा है, "यह शिकायत हमारे धर्म स्थल के महंतों के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का उपयोग करके हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के संबंध में है, जो हमारी आस्था के प्रतीक हैं। 27 मई को मैंने ट्विटर पर देखा कि मोहम्मद जुबैर ने राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय संरक्षक बजरंग मुनि के ख़िलाफ़ 'नफरत फैलाने वालों' जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। जुबैर ने हिंदू यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप का भी अपमान किया था।"
रिपोर्ट के अनुसार शिकायत में कहा गया है, 'जुबैर ने जानबूझकर समाज में नफरत फैलाने, मुसलमानों को भड़काने और एक साज़िश के तहत हिंदू भावनाओं को आहत करने की कोशिश की है। उनके इस तरह के कृत्यों से हम हिंदुओं में ग़ुस्सा है।' शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जुबैर मुसलमानों को हिंदू नेताओं की हत्या के लिए उकसा रहे थे।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ुबैर उस एफ़आईआर पर टिप्पणी नहीं करना चाहते थे। हालाँकि ऑल्ट न्यूज़ के प्रधान संपादक प्रतीक सिन्हा ने कहा कि ज़ुबैर को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यह चुनिंदा तरीक़े से निशाना बनाए जाने का मामला है। तीन संबंधित व्यक्तियों को कई मीडिया संगठनों द्वारा नफरत फैलाने वाला कहा गया है। 'नफरत फैलाने वाले' का क्या मतलब होता है? कोई है जो समाज में विभाजन को बढ़ावा देने के लिए बार-बार नफरत का इस्तेमाल करता है। उन्होंने यही किया है और इसलिए, वे नफरत फैलाने वालों की परिभाषा में फिट बैठते हैं।' सिन्हा ने आगे कहा कि नफ़रती भाषा और ग़लत सूचना के ख़िलाफ़ ऑल्ट न्यूज़ जो काम करता है उससे बहुत से लोगों को परेशानी होती है और इसलिए जुबैर को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक हैं।