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मोदी-शाह की पूरी फौज के सामने भी इतने आत्मविश्वासी क्यों हैं सोरेन?

मोदी-शाह की पूरी फौज के सामने भी इतने आत्मविश्वासी क्यों हैं सोरेन?

झारखंड में नवंबर- दिसंबर में चुनाव संभावित है, लेकिन अभी से ही राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और मंत्री व बीजेपी के बड़े नेताओं की फौज उतर गई है। जानिए, हेमंत सोरेन कैसे निपट रहे हैं इनसे। 

तारीख 23 सितंबर। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा झारखंड में आदिवासी बहुल खूंटी जिले के मुख्यालय में प्रदेश बीजेपी की रैली को संबोधित कर रहे थे। इस रैली में बीजेपी अध्यक्ष राज्य में हेमंत सोरेन सरकार पर निशाने साधने के साथ इन बातों पर जोर दे रहे थे कि बीजेपी ही झारखंड और आदिवासी हितों की रक्षा करने वाली पार्टी है। इसी दिन और लगभग उसी समय, खूंटी के तोरपा में एक सरकारी कार्यक्रम के साथ पहुंचे हेमंत सोरेन, हजारों आदिवासियों खासकर महिलाओं की भीड़ के बीच दहाड़ रहे थे कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को हटाने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर कई मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री लगे हुए हैं। इसके साथ ही सोरेन बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमलावर रहे। 

झारखंड में नवंबर- दिसंबर में चुनाव संभावित है, पर तारीख़ों की घोषणा से पहले राजनीतिक घमासान का परिदृश्य बना है। लोकसभा चुनावों में आदिवासी इलाक़ों में हुई करारी हार से चोट खाई बीजेपी के सामने सत्ता हासिल करने की चुनौती है। दूसरी तरफ़ चक्रव्यूह भेदकर अब तक मजबूती दिखाते हेमंत सोरेन के सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती।

प्रधानमंत्री और बीजेपी के सबसे बड़े ब्रांड नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी नेताओं की फौज झारखंड में उतर आई है। उधर हेमंत सोरेन भी हर मोर्चे पर आजमाते दिख रहे हैं। पूछा जा सकता है कि सत्ता में वापसी के लिए हर जोर लगाती बीजेपी की फौज के सामने झारखंड में इंडिया ब्लॉक के दारोमदार हेमंत सोरेन क्यों और कैसे आत्मविश्वास से भरे दिखते हैं। वैसे एक बात साफ है कि अपनी गिरफ्तारी से पहले और जेल से बाहर निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने जो दौर देखा, उसमें वे तपे ज्यादा हैं।

बीजेपी नेताओं की फौज उतरी

सोरेन के इस आत्मविश्वास की तफ्सील से चर्चा से पहले बीजेपी की परिवर्तन यात्रा की बात, जिसके जरिये बीजेपी चुनावी फ़िज़ा बांधने जेएमएम- कांग्रेस की सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट करने और कार्यकर्ताओं को लामबंद करने की पुरजोर कोशिशें कर रही है। इस यात्रा को लेकर बीजेपी ने एक स्लोगन भी जारी किया है- “न सहेंगे, न कहेंगे, बदल के रहेंगे।” 

20 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साहिबगंज और गिरिडीह के झारखंडी धाम में सभा कर इस यात्रा की शुरुआत की थी। इससे पहले पंद्रह सितंबर को जमशेदपुर दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन महारैली चुनावी शंखनाद थी। परिवर्तन महारैली से पहले पीएम मोदी ने छह वंदे भारत की ट्रेनों की शुरुआत के साथ कई योजना, प्रोजेक्ट का शिलान्यास, लोकार्पण भी किए।

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23 सितंबर को खूंटी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष

राज्य के सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाली बीजेपी की परिवर्तन यात्रा और सभा में अब तक केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अन्नपूर्णा देवी, शिवराज सिंह चौहान, संजय सेठ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, चंपाई सोरेन, बीजेपी विधायक दल नेता अमर कुमार बाउरी, पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी, सांसद अनुराग ठाकुर, मनोज तिवारी, रवि किशन सरीखे नेता शामिल होते रहे हैं। और कई नेताओं का दौरा बाक़ी है। 

जाहिर तौर पर एक रणनीति के तहत बीजेपी नेताओं की फौज उतारी गई है। छह दिनों के दौरान लगभग तीस विधानसभा क्षेत्रों में सभा हो चुकी है। शिवराज सिंह चौहान झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के प्रभारी और हिमंता बिस्वा सरमा सह-प्रभारी हैं। दोनों नेताओं का झारखंड आने- जाने का सिलसिला और चुनावी बिसात बिछाना पहले से जारी है। 

बांग्लादेशी घुसपैठिये, एनआरसी और डबल इंजन..

लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद से बीजेपी ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठिये और संथालपरगना में डेमोग्राफी बदलने के मुद्दे को तेजी से उछाल रखा है। अलबत्ता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा ने भी हालिया रैलियों में सत्तारूढ़ दलों पर वोट के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने और घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोप लगाते हुए आदिवासियों के सामने संकट पर सवाल खड़े किए हैं। 

हाल ही में हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने एक बयान में कहा है कि झारखंड में एनआरसी ज़रूरी है। राज्य सरकार इसके लिए ठोस क़दम उठाए। इनके अलावा हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ नौकरी, रोजगार और गवर्नेंस के सवाल पर एंटी इनकंबेंसी की हवा बनाने की कोशिशें जारी हैं। बीजेपी “डबल इंजन” की ज़रूरत पर जोर देती दिख रही है। 

दूसरी तरफ़ बांग्लादेशी घुसपैठिये के सवाल पर हेमंत सोरेन समेत सत्तारूढ़ दलों के नेता बीजेपी और केंद्र सरकार पर पलटवार करते रहे हैं। 

हेमंत सोरेन आरोप लगाते रहे हैं कि बाहर से आने वाले बीजेपी के नेता राज्य में नफरत और तनाव फैला रहे हैं।

हाल ही में झारखंड सरकार द्वारा चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र को लेकर भी राजनीतिक विवाद सतह पर रहा है। इसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर “विभिन्न समुदायों के बीच कथित तौर पर नफरत फैलाने की प्रवृत्ति रखने, उत्तेजक भाषण और बयान देने और राज्य के शीर्ष नौकरशाहों को धमकाने का आरोप लगाया है।  हालाँकि इस पत्र को लेकर हिमंता बिस्वा सरमा समेत प्रदेश बीजेपी के प्रमुख नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियां व्यक्त की है।    

सुर्खियों में हेमंत सरकार की योजना

इन सबके बीच हेमंत सोरेन सरकार की एक योजना- “मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना” और उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली सुर्खियों में है। एक अन्य महत्वपूर्ण फ़ैसले के तहत 200 यूनिट से कम बिजली ख़पत करने वाले उपभोक्ताओं का बकाया बिजली बिल माफ़ कर दिया गया है। मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना के तहत 18 से 50 साल तक की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं। अब तक दो महीने के पैसे सरकार ने लगभग 50 लाख महिलाओं के खाते में भेजे हैं। 

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मईंया सम्मान यात्रा लेकर पलामू पहुंची कल्पना सोरेन और मंत्री दीपिका सिंह पाडेय

इसी योजना को लेकर प्रमंडल स्तर पर बड़े सरकारी कार्यक्रमों में हेमंत सोरेन महिलाओं से संवाद कर भावनात्मक तौर उनसे जुड़ने की कोशिशें करते दिखे हैं। इन दिनों वे केंद्र सरकार से कोयले की रॉयल्टी का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ की मांग लगातार कर रहे हैं। इसके साथ ही वे अपने कार्यक्रमों में कहने लगे हैं कि ये बकाया या उसका सूद भी केंद्र सरकार से मिल जाए, तो वे महिलाओं को महीने में दो हजार रुपए देने लगेंगे। इसी मामले में हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा है।

इधर, 30 अगस्त से पूरे राज्य में ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रमों में भी हेमंत सोरेन ने बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इन योजनाओं और कार्यक्रमों के ज़रिए हेमंत सोरेन ने राजनीति की चाल बदलने के साथ विरोधियों पर दबाव बनाने का नया दांव चल दिया है। 

कल्पना सोरेन का मैदान संभालना

हेमंत सोरेन पॉलिटिकल परसेप्शन और नैरेटिव अपने पक्ष में करने के लिए कोई मौका खाली नहीं जाने देना चाहते। जनता के बीच लगातार वे कहते रहे हैं उन्हें बेगुनाही में पांच महीने जेल में रहना पड़ा। दरअसल उनकी सीधी नजर बीजेपी के द्वारा एंटी इनकंबेंसी की हवा बनाने की कोशिशों को रोकने पर है। हेमंत सरना कोड़, ओबीसी आरक्षण और राज्य की हिस्सेदारी को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार और धारधार भाषण कर रहे हैं। 

चंपाई सोरेन के बीजेपी में जाने के बाद परिस्थितियों की नजाकत को भांपते हुए जेएमएम को उन्होंने गियरअप करना तेज किया है। कोल्हान और संथालपररगना में जेएमएम के मंत्री, सांसद, विधायक दल के क़िले पर सेंधमारी बचाने की जुगत में कैडरों को गोलबंद करने में जुटे हैं।

दरअसल, जेएमएम को पता है कि किन इलाक़ों में और किन सीटों पर राजनीतिक परिस्थितियां थोड़े वोटों के खिसकने से बदल सकती हैं। लिहाजा हेमंत सोरेन वोट फैक्टर को इंटैक्ट रखने पर नज़र लगाए हैं। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में आदिवासियों के लिए 28 सीटें रिजर्व हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी। इसके साथ ही बीजेपी ने सत्ता गंवा दी। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद बीजेपी की पहली चिंता आदिवासी इलाकों में खोयी जमान वापस पाने की है। लोकसभा चुनावों में ही ओवरऑल सभी 14 सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर 2019 की तुलना में 51.6 प्रतिशत से नीचे गिरते हुए 44.60 प्रतिशत पर आ गया है। 

इस बीच, हेमंत सोरेन की पत्नी और जेएमएम की विधायक कल्पना सोरेन का एक अलग कार्यक्रम के साथ मैदान में उतरने को बीजेपी की घेराबंदी और रणनीति की काट के तौर पर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनावों में हेमंत सोरेन की गैर मौजूदगी में कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला था। वे एक स्टार प्रचारक के तौर पर भी उभरीं। कल्पना सोरेन के साथ सरकार की दो महिला मंत्री दीपिका सिंह पांडेय और बेबी देवी ने 23 सितंबर से पलामू से ‘मईंया सम्मान यात्रा’ का कार्यक्रम शुरू किया है। कल्पना सोरेन और दीपिका पांडेय की यह यात्रा बीजेपी की तरह सभी विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी।

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