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न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता: “एक न्यायाधीश को अपने कार्यालय की गरिमा के अनुरूप कुछ हद तक अलगाव का व्यवहार करना चाहिए। उसके द्वारा ऐसा कोई कार्य या चूक नहीं होनी चाहिए जो उसके उच्च पद और उस पद के सार्वजनिक सम्मान के लिए अशोभनीय हो।''
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर पूरी दुनिया को बताया है कि वो गणेश चतुर्थी की पूजा में भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड के आवास पर शामिल हुए। पूरा भारत इस घटनाक्रम पर हैरान रह गया। अभी तक ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है। तमाम कानूनविदों और विपक्ष के साथ-साथ आम लोगों ने भी प्रधानमंत्री की इस हरकत को पसंद नहीं किया और न ही चीफ जस्टिस द्वारा इस संबंध में दिखाई गई उदारता की ही तारीफ की।
पारंपरिक महाराष्ट्रीयन टोपी पहनकर पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को नई दिल्ली में भारत के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर पहुंचे। उन्हें भगवान गणेश की मूर्ति के सामने आरती करते और प्रार्थना करते देखा गया। फोटो और वीडियो में चीफ जस्टिस और उनकी पत्नी भी भाव विह्वल होकर प्रार्थना करते देखे गए।
प्रशांत भूषण का बड़ा सवाल
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने मोदी को एक निजी बैठक के लिए अपने आवास पर आने की अनुमति दी, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका के बारे में एक परेशान करने वाला संदेश भेजता है।प्रशांत भूषण ने एक्स पर लिखा- “यह चौंकाने वाला है कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने मोदी को एक निजी बैठक के लिए अपने आवास पर जाने की अनुमति दी। यह न्यायपालिका के लिए बहुत बुरा संकेत है, जिसे कार्यपालिका से नागरिकों के मौलिक अधिकार की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि सरकार संविधान के दायरे में काम करे। इसीलिए कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच दूरी बनाए रखनी होगी।''
जानी-मानी वकील इंदिरा जयसिंह ने एक्स पर लिखा- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के सेपरेशन को कम कर दिया है। उन्होंने लिखा है- “भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों से समझौता किया है। सीजेआई की स्वतंत्रता पर से पूरा भरोसा उठ गया। एससीबीए को कार्यपालिका से सीजेआई की स्वतंत्रता के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित इस समझौते की निंदा करनी चाहिए।''
शिव सेना (यूबीटी) के नेताओं और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने इस पर चिंता जताई है और न्यायिक पारदर्शिता पर प्रभाव पर सवाल उठाया है। इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश के आवास पर गए और उन्होंने साथ में आरती की। हमारी चिंता यह है कि जब संविधान के संरक्षक इस तरह से राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं, तो इससे संदेह पैदा होता है। महाराष्ट्र में हमारा मामला, जिसमें वर्तमान सरकार शामिल है, मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई हो रही है और प्रधान मंत्री इसका हिस्सा हैं। हमें इस बात की चिंता है कि हमें न्याय मिलेगा या नहीं। मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से खुद को अलग करने पर विचार करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि गणपति उत्सव के दौरान पारंपरिक रूप से लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि प्रधानमंत्री अब तक कितने घरों में गए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली में कई समारोह हुए, जिसमें उनका महाराष्ट्र सदन भी शामिल था।
इस सिलसिले में संजय राउत ने अलग से बहुत तीखा ट्वीट एक्स पर किया है। उनका ट्वीट देखिए-
राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उम्मीद जताई कि उत्सव के बाद मुख्य न्यायाधीश महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर सुनवाई खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। प्रियंका ने कहा- "ठीक है। उम्मीद है कि उत्सव समाप्त होने के बाद सीजेआई उचित समझेंगे और महाराष्ट्र और महाराष्ट्र में संविधान के अनुच्छेद 10 की घोर अवहेलना पर सुनवाई समाप्त करने के लिए थोड़ा स्वतंत्र होंगे। अरे रुकिए, वैसे भी चुनाव नजदीक हैं, इसे एक और दिन के लिए स्थगित किया जा सकता है।”
जाने माने चिन्तक और स्तंभकार अपूर्वानंद ने एक्स पर लिखा- यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में कार्यपालिका को समायोजित करने के लिए शीर्ष न्यायपालिका की इच्छा का प्रतीक सबसे अप्रिय छवियों में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा। पीएम की कोर्ट नंबर 1 की यात्रा से लेकर सीजेआई आवास तक गिरावट भारी रही है। इसे सार्वजनिक करने में भी कोई झिझक नहीं!
पत्रकार सबा नकवी ने लिखा है- लोग कहते हैं कि सीजेआई एक महान कानूनी दिमाग वाले व्यक्ति हैं। जाहिर तौर पर राज्य और चर्च को अलग करने पर उनके मौलिक विचार हैं। मैं केवल हमारे देश के दो सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों के तमाशे के बारे में सोच सकती हूं, जबकि मणिपुर जल रहा है। बलात्कारों, हत्याओं और गृहयुद्ध पर प्रबुद्धजनों द्वारा स्वतः संज्ञान लेने की प्रतीक्षा की जा रही है।
एक्स यूजर पॉल कोशि ने लिखा है- इस तरह #भाजपा #SupremeCourtOfIndia की विश्वसनीयता को नष्ट करने का प्रयास करती है। #CJI भगवान के नाम पर अपने घर में बिन बुलाए प्रवेश करने वाले को कैसे वापस कर सकते हैं? भगवान के नाम पर कुछ दे दे बाबा...।
डॉ विश्वम्भर चौधरी ने लिखा है- एक निजी समारोह के लिए अपने आवास पर प्रधानमंत्री को आमंत्रित करना, संवैधानिक नैतिकता और न्यायपालिका के औचित्य का सवाल है। सीजेआई को उन सभी मामलों में 'मेरे सामने नहीं' कहने का विकल्प चुनना चाहिए जहां केंद्र सरकार या भाजपा एक पक्ष है।