लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा से पहले ही भाजपा ने अपना आक्रामक प्रचार अभियान लॉन्च कर दिया है। पेट्रोल पंपों और फ्यूल बेचने वाले खुदरा दुकानदारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के मौजूदा होर्डिंग्स और बैनरों को हटाकर नए बैनर लगाना शुरू कर दिया है, जिसमें भाजपा का चुनावी नारा 'मोदी की गारंटी' लिखा है, जिसमें कहा गया है कि 'मोदी की गारंटी का मतलब बेहतर जीवन है।' इसमें सरकार की फ्लैगशिप स्कीम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सिलेंडर देते हुए पीएम की तस्वीर भी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है कि सभी तेल कंपनियों के मैनेजरों को कथित तौर पर बुधवार तक नए फ्लेक्स होर्डिंग्स लगाने के लिए "सहयोग" करने को कहा गया है। अगर किसी पेट्रोल पंप पर इस होर्डिंग को वेंडर नहीं लगाता है तो पेट्रोल पंप मालिक तेल कंपनियों के फील्ड अफसरों को सूचित करें।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 'मोदी की गारंटी' वाले होर्डिंग लगाने का निर्णय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनौपचारिक "आदेश" पर दिया गया है। इनके लगाने पर सार्वजनिक क्षेत्र की ईंधन कंपनियों - इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को कई सौ करोड़ का फंड खर्च करना होगा। देश में लगभग 88,000 पेट्रोल पंपों में से 90% इन्हीं सरकारी तेल कंपनियों के हैं।
हालाँकि, चुनाव आयोग (ईसीआई) आम चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद इन होर्डिंग्स को हटाने के लिए कह सकता है। पीएम मोदी ने हाल ही के राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम सहित पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में "मोदी की गारंटी" नारा दिया था। राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सरकार बनाई थी।
विवादों में रहा है होर्डिंग लगाने का मामला
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी इस तरह की कवायद सरकारी तेल कंपनियों ने की थी। द हिन्दू अखबार के मुताबिक उस समय पेट्रोलियम डीलरों ने जबरदस्त गुस्सा जताया था। उस समय तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने कथित तौर पर फ्यूल आपूर्ति बंद करने की धमकी दी थी। हालांकि सरकारी तेल कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया था। लेकिन कंसोर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स (सीआईपीडी) ने उस समय मीडिया को बताया था कि प्रधानमंत्री उज्वला योजना सहित सरकारी सामाजिक योजनाओं को बढ़ावा देने की आड़ में, एनडीए सरकार पेट्रोल पंपों को इस्तेमाल करना चाहती है। कुछ डीलरों ने कहा कि ओएमसी इन पंपों के आंशिक मालिक जरूर हैं और ऐसे कदम उठाने के उनके अधिकार में हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति अच्छी नहीं है क्योंकि यह सब एकतरफा किया जा रहा है।
इस मुद्दे को महाराष्ट्र कांग्रेस केंद्रीय चुनाव आयोग के पास ले गई। उसने आयोग से कहा कि ये चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। आयोग ऐसे सभी होर्डिंग को फौरन हटवाए। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मार्च 2019 में चुनाव आयोग को इस बारे में ज्ञापन दिया। कांग्रेस ने मांग की कि चुनाव आयोग पेट्रोल पंपों, हवाई बंदरगाहों और रेलवे स्टेशनों पर लगे होर्डिंग्स को हटाना सुनिश्चित करे।
कांग्रेस ने जब यह मुद्दा बड़े पैमाने पर उठाया तो चुनाव आयोग ने ऐसे होर्डिंग्स हटाने के निर्देश जारी कर दिए। चुनाव आयोग ने इस संबंध में सरकार से रिपोर्ट मांगी है कि ऐसे कितने होर्डिंग हैं जो अभी भी नहीं हटाए गए हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या अब फिर से विपक्ष चुनाव आयोग से ऐसी उम्मीद करेगा।
पेट्रोल पंपों पर पीएम मोदी के होर्डिंग का मुद्दा 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव में भी गरमाया था। उस समय भी पेट्रोल पंपों पर सरकार ने उज्जवला योजना के होर्डिंग लगवाए थे। उस समय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसके खिलाफ ज्ञापन दिया था। तब चुनाव आयोग ने कहा था कि वे होर्डिंग्स हटाने के निर्देश जारी कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर आरोप लगाया था कि विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के बारे में लोगों को सूचित करने वाले होर्डिंग्स में मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
पेट्रोल पंपों पर मोदी के होर्डिंग सोचे समझे प्रचार अभियान का हिस्सा है। क्योंकि लोग पेट्रोल पंप पर आमतौर से जाते ही हैं। चाहे उन्हें डीजल लेना हो या पेट्रोल लेना हो, हर कोई पहुंचता है। ऐसे में लोगों की नजर ऐसे होर्डिंग पर जाती ही है। इसलिए पेट्रोल पंप प्रचार का सशक्त माध्यम हैं। लेकिन पेट्रोल पंपों पर चूंकि सरकारी तेल कंपनियों का सीधा नियंत्रण है तो वे दबाव बनवाकर ऐसे होर्डिंग लगवा देते हैं। इस समय देश का ऐसा कोई भी पेट्रोल पंप नहीं है, जहां सरकार की योजनाओं का प्रचार वाले होर्डिंग न लगे हों।