मणिपुर में स्थिति और भी खराब हो गई। इतनी ख़राब कि ग़ुस्साई भीड़ ने मुख्यमंत्री के आवास पर धावा बोलने की कोशिश की। कई बीजेपी विधायकों के आवास पर तोड़फोड़, आगजनी की गई। जिरीबाम जिले में हिंसा की लहरें अब राजधानी इंफाल तक पहुंच गई हैं। इसके बाद प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट को बंद कर दिया गया।
ताज़ा हिंसा तब हुई जब शनिवार को एक महिला और दो बच्चों के शव जिरी नदी में तैरते पाए गए। माना जा रहा है कि ये तीन लोग सोमवार से जिरीबाम से लापता छह मैतेई लोगों के हैं। कुछ दिन पहले ही एक मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों के मारे जाने के एक दिन बाद मंगलवार को 2 मैतेई लोग मृत पाए गए थे। इसके अलावा राहत शिविर से 6 लोग लापता थे। लापता लोगों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं।
हाल की इन घटनाओं को देखते हुए ही बड़े पैमाने पर हिंसा का आशंका जताई जा रही थी और इसको काबू करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। तीन दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल यानी सीएपीएफ़ की 20 अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात की हैं, जिनमें लगभग 2,000 जवान हैं।
नई तैनाती के साथ राज्य में तैनात सीएपीएफ कर्मियों की संख्या लगभग 22 हज़ार हो गई है। अब 218 कंपनियां तैनात हैं। प्रत्येक कंपनी में लगभग 80-120 कर्मी होते हैं। मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए असम से सीआरपीएफ़ की 15 कंपनियों और त्रिपुरा से सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ की पांच कंपनियों को वापस बुलाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि 30 नवंबर तक मणिपुर सरकार के पास सीएपीएफ की 218 कंपनियां उपलब्ध रहेंगी। अतिरिक्त बलों को कांगपोकपी, चुआरचंदपुर और जिरीबाम जैसे सभी संवेदनशील क्षेत्रों और घाटी और पहाड़ी जिलों के बीच बफर जोन में तैनात किया गया।
हालाँकि, इन तैनातियों के बाद भी लोगों का ग़ुस्सा तब बेकाबू हो गया जब कथित तौर पर छह लापता लोगों के शव मिले। इंफाल पश्चिम में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया, क्योंकि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और राजनीतिक नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया।
शनिवार को दिन में भीड़ ने कई भाजपा नेताओं - बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह; खुरई विधायक एल सुसिद्रो, जो बीरेन सिंह सरकार में मंत्री भी हैं; उरीपोक विधायक के रघुमणि सिंह; पटसोई विधायक सपाम कुंजाकेश्वर; और थांगमेइबंद विधायक के जॉयकिसन सिंह - के साथ-साथ भाजपा के करीबी केशामथोंग से निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांता के घरों सहित वाहनों और संपत्तियों पर हमला किया और आग लगा दी।
शनिवार देर रात भीड़ ने इंफाल के हेइंगंग में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के निजी आवास पर भी हमला करने की कोशिश की, हालांकि उस समय वे वहां मौजूद नहीं थे। सुरक्षा बलों ने भीड़ को पीछे धकेल दिया, जिन्होंने खाली गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे। उनके आवास की ओर जाने वाले राजमार्ग पर जलते हुए टायर बिछाए गए।
इंफाल के सागोलबंद में आरके इमो के आवास पर भीड़ ने बाहर तैनात सुरक्षा दल पर कब्ज़ा कर लिया और गेट तोड़कर फर्नीचर में आग लगा दी। आग को और फैलने से पहले ही दमकल सेवाओं ने बुझा दिया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि विधायक के आवास पर हमला होने के समय वे मौजूद नहीं थे। कुछ ही मिनटों के भीतर एक और भीड़ सपाम कुंजकेस्वर के आवास में घुस गई और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया तथा वाहनों में आग लगा दी। अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रघुमणि सिंह, सपाम निशिकांत और जॉयकिसन सिंह के आवासों में भी तोड़फोड़ देखी गई। भीड़ ने वाई सुसिंड्रो के घर पर धावा बोला और पथराव किया, जिसके जवाब में उनके घर की सुरक्षा कर रहे सुरक्षा बलों ने हवा में फायरिंग की।
रिपोर्ट के अनुसार एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'राजनेताओं ने लोगों को निराश किया है और निर्दोष नागरिकों की जान बचाने में विफल रहने के बाद वे अपनी कुर्सी पर बने रहने के लायक नहीं हैं।'
शनिवार की रात को जिरीबाम में भी आगजनी की घटना हुई, जब गुस्साई भीड़ ने हमार समुदाय के सदस्यों की संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया, जिसमें घर और कम से कम एक चर्च शामिल है। जिरीबाम में जातीय विभाजन के दोनों पक्षों में कई मौतों के बाद राजधानी में अराजकता फैल गई। सोमवार को एक पुलिस स्टेशन में मैतेई लोगों के लिए बने राहत शिविर को कथित तौर पर हथियारबंद लोगों ने निशाना बनाया था। इसके बाद सीआरपीएफ ने हमार समुदाय के 10 लोगों को गोली मार दी थी। हमले के बाद राहत शिविर के आठ सदस्य लापता हो गए थे। दो बुजुर्गों के शव कुछ ही देर बाद बरामद किए गए थे जबकि तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हैं।