उत्तर प्रदेश में बुधवार को कोरोना से 2 लोगों की मौत हो गयी जबकि अलग-अलग हादसों में परदेस से घर लौट रहे 18 मजदूर सड़कों पर कुचल कर मर गए। बीते 10 दिनों में ही प्रदेश की सड़कों पर पैदल लौट रहे 40 से ज्यादा मजदूर मर चुके हैं जबकि इस दौरान कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा इसके आधे से भी कम है।
लॉकडाउन के दौरान बाहरी राज्यों में फंसे यूपी के मजदूरों को वापस लाने के लिए ट्रेनें चलाए जाने के बाद भी प्रदेश के लगभग हर राजमार्ग पर हज़ारों की तादाद में मजदूर पैदल, साइकिल, ठेलों, निजी गाड़ियों से लौट रहे हैं।
प्रदेश सरकार के तीन लाख मजदूरों को वापस लाने के दावे के उलट कई गुना मजदूर घंटों पैदल चल कर परेशानियां सहते हुए अपने घर पहुंच रहे हैं। पैदल, साइकिलों पर सवार, ट्रक, मैटाडोर और टैंपो से आ रहे दर्जनों मजदूर हर रोज सड़क हादसों में मारे जा रहे हैं। कुछ तो राह चलते बीमारी से भी दम तोड़ रहे हैं।
प्रदेश सरकार मजदूरों से पैदल न चलने की लगातार अपील कर रही है लेकिन दूसरी ओर डिपो में खड़ी हजारों की तादाद में सरकारी बसों को उन्हें घर पहुंचाने के काम में भी नहीं लगा रही है।
बुधवार रात को मुज़फ़्फरनगर जिले में सहारनपुर की ओर जाने वाली सड़क पर रोहन टोल प्लाजा के पास तेज रफ्तार रोडवेज बस ने पैदल जा रहे 6 मजदूरों को कुचल दिया। दुर्घटना में 2 मजदूर बुरी तरह घायल हुए हैं जिन्हें मेरठ मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है।
मारे गए सभी मजदूर बिहार के गोपालगंज के रहने वाले थे जो पंजाब से यूपी होते हुए अपने घरों को पैदल लौट रहे थे। बुधवार सुबह ही कानपुर देहात में कलेक्ट्रेट के सामने मिनी ट्रक पहले से ख़राब खड़े ट्रक से टकरा गया। मिनी ट्रक में गुजरात से आ रहे मजदूर सवार थे। तीन मजदूरों की मौके पर मौत हो गयी जबकि 50 लोग घायल हो गए।
इसी तरह चित्रकूट के बरगढ़ में साइकिल से छत्तीसगढ़ से अपने घर सहारनपुर लौट रहे मजदूर को ट्रक ने कुचल कर मार दिया। इस हादसे में एक मजदूर बुरी तरह घायल भी हुआ है। मध्य प्रदेश के गुना में महाराष्ट्र से यूपी के उन्नाव में अपने घर ट्रक पर सवार होकर लौट रहे 8 मजदूरों की दुर्घटना में मौत हो गयी है। बीते हफ्ते ही साइकिल से 2 बच्चों के साथ लखनऊ से छत्तीसगढ़ अपने घर लौट रहे मजदूर दंपति की शहीद पथ पर ट्रक से कुचल कर मौत हो गयी थी।
परेशानियों, सदमे से भी हो रही मौत
प्रदेश में कोरोना से इतर बहुत से मजदूरों व उनके परिजनों की मौत राह की तकलीफों, सदमे व दूसरी परेशानियों से भी हो रही है। अब तक मजदूरों को लेकर लौट रही ट्रेनों में ही तीन प्रवासी मजदूर मर चुके हैं। श्रावस्ती में कुछ ही दिन पहले मुंबई से पैदल लौटे एक युवक की अपने गांव की दहलीज पर मौत हो गयी।
बुधवार सुबह बड़ौदा से प्रवासी मजदूरों को लेकर बांदा पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन में एक महिला की लाश मिली। महिला गोरखपुर के चिरुवाताल की रहने वाली थी। बुधवार को मुंबई से ट्रक पर लदकर गोरखपुर जा रहे 32 लोगों को उन्नाव में पुलिस ने रोका। देर तक सड़क पर बैठाए रखे इन मजदूरों में एक की मौत हो गयी। बाद में पुलिस ने बाकी लोगों को सरकारी बस से रवाना किया। पुणे से पैदल बिहार घर के लिए निकले दीपू पटेल ने बेहिसाब दिक्कतों से तंग आकर बुधवार को गोरखपुर में आत्महत्या की कोशिश की हालांकि उसे बचा लिया गया।
कुछ को ही मुआवजा, बाक़ी को कुछ नहीं
प्रदेश में अब तक अलग-अलग दुर्घटनाओं में अन्य कारणों से मरने वाले प्रवासी मजदूरों में कुछ को ही प्रदेश सरकार ने मुआवजा दिया है। ज्यादातर के मामले में तो औपचारिक दुख तक नहीं प्रकट किया गया है। मुज़फ़्फरनगर दुर्घटना में ज़रूर मजदूरों के परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2-2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त सहारनपुर को दुर्घटना के कारणों की जांच करने तथा इसके लिए दोषी का उत्तरदायित्व निर्धारित करने के भी निर्देश दिए हैं। दुर्घटना से संबंधित बस के चालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।