जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की हिरासत तीन महीने के लिए बढ़ा दी है। इनके साथ ही दो और नेताओं की हिरासत भी तीन महीने के लिए बढ़ाई गई है। महबूबा पिछले नौ महीने से ज़्यादा समय से हिरासत में हैं।
महबूबा मुफ़्ती पिछले साल पाँच अगस्त को तब से हिरासत में हैं जब जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 में फेरबदल किया गया था और राज्य को मिले विशेष दर्जे को हटा लिया गया था। इसके बाद इस साल 6 फ़रवरी को महबूबा के ख़िलाफ़ जम्मू-कश्मीर में सख़्त पब्लिक सेफ़्टी एक्ट यानी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस साल 7 अप्रैल को श्रीनगर में उनको उनके आधिकारिक आवास में भेजा गया था और उस घर को ही अस्थायी जेल में बदल दिया गया था।
पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी प्रमुख महबूबा के साथ ही नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता अली मुहम्मद सागर और पीडीपी के नेता सरताज मदानी की हिरासत भी तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है।
महबूबा की हिरासत बढ़ाए जाने की उमर अब्दुल्ला ने आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'महबूबा मुफ्ती की हिरासत को बढ़ाया जाना अविश्वसनीय रूप से क्रूर और प्रतिगामी निर्णय है। किसी भी तरह से उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया या कहा है जिससे उनके और हिरासत में लिए गए दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय राज्य की ऐसी कार्रवाई को सही ठहराया जा सके।'
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को 24 मार्च को ही हिरासत से रिहा किया गया है। उमर की रिहाई से दो हफ़्ते पहले उनके पिता फ़ारूक़ अब्दुल्ला को भी रिहा कर दिया गया था। इन दोनों नेताओं को भी पिछले साल अगस्त से ही हिरासत में रखा गया था।
उमर अब्दुल्ला पर सरकार ने पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (पीएसए) लगाया था। उमर पर 5 फ़रवरी को पीएसए लगाया गया था। नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर कुल 232 दिन तक हिरासत और नज़रबंदी में रहे थे। उमर की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने भाई को रिहा किये जाने की माँग की थी।
पीएसए के तहत आतंकवादियों, अलगाववादियों और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाती रही है। यह पहली बार हुआ जब मुख्यधारा के राजनेताओं पर पीएसए लगाया गया।