अखिलेश यादव ने उन्हें कहा - 'ईमानदार पत्रकार' तो महिला पत्रकार भड़क गईं 

01:55 pm Jan 11, 2022 | सत्य ब्यूरो

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने टीवी के ईमानदार पत्रकारों की सूची बनाई है। लेकिन जब उन्होंने उन दोनों पत्रकारों को बताया कि उनके नाम हैं तो उनमें से एक महिला पत्रकार भड़क गईं। इसके बाद उस महिला पत्रकार का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।

यूपी में तमाम टीवी चैनलों के पत्रकार लखनऊ पहुंचे हुए हैं। सभी ने मंच सजा रखे हैं और तमाम पार्टियों के नेताओं को सवाल पूछ रहे हैं। अखिलेश यादव ने कल दो टीवी पत्रकारों को लाइव इंटरव्यू दिया। ये थे - अमीश देवगन और अंजना ओम कश्यप। अखिलेश ने पहले अमीष देवगन से कहा कि उनकी बनाई ईमानदार पत्रकारों की सूची में अमीश देवगन का भी नाम है। इस अमीष देवगन थोड़ा झेंपे, फिर हंसकर बात टाल दी। 

टीवी पत्रकार अंजना ओम कश्यप के प्रोग्राम में जब अखिलेश यादव ने अंजना को कई बार देश की सबसे ईमानदार पत्रकार कहा तो अंजना भड़क गईं। अंजना ने कहा कि वो बार-बार कटाक्ष कर रहे हैं। मैं इसे बाकी पत्रकारों की तरह बर्दाश्त नहीं कर सकती। इस पर अखिलेश ने कहा कि किसी को ईमानदार कहना क्या गलत है। अंजना ने लगभग धमकी वाले अंदाज में कहा कि वो भी उनके तमाम अवैध संपत्तियों के बारे में जानती हैं और बता सकती हैं। यह विवाद बढ़ता जाता है लेकिन अखिलेश संयमित रहते हैं। अखिलेश ने अंजना से कहा कि वो उन पर इसलिए आरोप लगा रही हैं, क्योंकि वो यादव हैं। 

इंटरव्यू की यह घटना कल की है। लेकिन सोशल मीडिया पर आज सुबह से पत्रकार अंजना ओम कश्यप को लेकर टिप्पणियां हो रही है। ये टिप्पणियां इतना बढ़ीं कि ट्विटर पर अंजना ओम कश्यप अलग-अलग हैशटैग से ट्रेंड करने लगा। लोगों ने अंजना पर बीजेपी प्रवक्ता होने का आरोप लगाया तो किसी ने उन्हें बीजेपी का एजेंट बताया। कुछ लोगों ने गलत संदर्भों में टिप्पणी की जिस उल्लेख यहां अनुचित होगा। 

तमाम स्वतंत्र यूट्यूबर्स ने अंजना और अखिलेश की नोक-झोंक के वीडियो की एडिटिंग कर सोशल मीडिया पर चला दिया। उस वीडियो से ही लोगों को यह पूरा मामला ज्यादा समझ आया और उसके बाद टिप्पणियों की बाढ़ आ गई।

चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू करने के साथ ही रैलियों आदि पर रोक लगा दी थी। सिर्फ वर्चुअल रैली की इजाजत है। टीवी चैनल उसी बात का फायदा उठाकर अब नेताओं के इंटरव्यू लाइव कर रहे हैं और हर इंटरव्यू किसी न किसी वजह से विवादास्पद बन जाता है। आने वाले दिनों में यह प्रचलन बढ़ेगा। इसके बावजूद सत्य हिन्दी समेत तमाम ऐसे मंच हैं, जहां यूपी चुनाव को लेकर सार्थक बहसें हो रही हैं और भारी तादाद में लोग उसे लाइव देख रहे हैं। वहां हर राजनीतिक दल के शख्स को अपनी बात कहने का मौका मिल रहा है।