बीएसपी की चौथी सूची में दो मुस्लिम उम्मीदवार, जानें क्या है रणनीति
मायावती की पार्टी बीएसपी ने लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को चौथी सूची जारी की है। इसमें नौ उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई है। इसमें दो मुस्लिम उम्मीदवारों के नाम हैं। अब तक पार्टी ने 11 मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाया है। इन उम्मीदवारों को वहाँ से उतारा गया है जहाँ से माना जाता है कि मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है और जहाँ इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार मुक़ाबले में हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसे में मुस्लिम वोटों का बँटवारा हो सकता है और इंडिया गठबंधन को नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
बीएसपी ने चौथी सूची में बसपा प्रमुख मायावती ने घोसी सीट से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान और भीम राजभर को आजमगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा है।
इस सूची में एटा से मोहम्मद इरफान, धौरहरा से श्याम किशोर अवस्थी, फैजाबाद से सच्चिदानंद पांडेय, बस्ती से दयाशंकर मिश्र, गोरखपुर से जावेद सिमनानी, चंदौली से सत्येंद्र कुमार मौर्य, रॉबर्ट्सगंज से धनेश्वर गौतम को टिकट दिया गया है।
उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं और चौथी सूची जारी करने के साथ ही बसपा अब तक 45 उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी है।
बसपा इस बार टिकट वितरण में जहाँ सोशल इंजीनियरिंग करने की कोशिश में है, वहीं दलित-मुस्लिम गठजोड़ मजबूत करने की उसकी रणनीति भी साफ़ दिखती है।
बीएसपी ने शुरुआत में जो यूपी के लिए 16 प्रत्याशी घोषित किए थे उनमें सबसे ज्यादा ध्यान मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या ने खींचा था। तब 16 में से 7 उम्मीदवार तो मुस्लिम ही थे। यह माना जा रहा है कि ये 7 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि इंडिया गठबंधन के घटक दलों यानी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कोर वोटर्स की लिस्ट में मुस्लिम समुदाय प्रमुख हैं।
बीएसपी ने पहले जिन 7 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, उनमें अमरोहा, सहारनपुर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, आंवला और पीलीभीत हैं। उधर कांग्रेस ने अमरोहा से दानिश अली, सहारनपुर से इमरान मसूद को टिकट दिया है। इसी तरह सपा ने संभल की सीट से पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियार्रहमान बर्क को सियासी मैदान में उतारा है। अब यदि बीएसपी द्वारा उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवारों के चलते मुस्लिम वोट बँटता है तो पीडीए के लिए मुश्किलें आ सकती हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सपा के नेतृत्व में पीडीए गठबंधन बना है। राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस चाहती थी कि इस गुट में मायावती की बीएसपी भी शामिल हो जाए। लेकिन बीएसपी के साथ जाने के लिए न तो अखिलेश ने हामी भरी और न ही मायावती ने कांग्रेस की पहल में दिलचस्पी दिखाई। बसपा सुप्रीमो मायावती अब यूपी में जनसभाएँ शुरू करने जा रही हैं। उन्होंने नागपुर से चुनाव अभियान से शुरुआत की है। इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने चुनाव अभियान शुरू करने के लिए नागपुर को क्यों चुना।