आबकारी नीति पर घमासान: क्या जेल जाएंगे मनीष सिसोदिया?
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर बीते कई महीनों से राजधानी का सियासी माहौल बेहद गर्म है। बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा इस मामले में केजरीवाल सरकार को घेरने के बाद जब सीबीआई की टीम उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर पहुंची तो सवाल यही खड़ा हुआ कि क्या अब सिसोदिया के गिरफ्तार होने की बारी है।
शनिवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिसोदिया ने खुद कहा है कि अगले दो-चार दिन में केंद्रीय जांच एजेंसियां उन्हें गिरफ्तार कर सकती हैं। अरविंद केजरीवाल इस बात को कह चुके हैं कि सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाएगा।
अब सवाल यह है कि दिल्ली सरकार द्वारा लाई गई नई आबकारी नीति में आखिर मनीष सिसोदिया की क्या भूमिका थी। इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस ने मनीष सिसोदिया पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, उनमें कितना दम है।
सीबीआई जांच की सिफारिश
दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में नई आबकारी नीति को लोगों के सामने रखा था लेकिन इस पर अच्छा खासा विवाद होने के बाद इसे इस साल 30 जुलाई को वापस ले लिया गया था। इससे कुछ दिन पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के द्वारा नई आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह आबकारी नीति में हुई कथित गड़बड़ियों के मामले में आबकारी विभाग की भूमिका की जांच करें। इसके साथ ही शराब के खुदरा लाइसेंस की बोली प्रक्रिया में कार्टेलाइजेशन को लेकर आई शिकायतों की भी जांच की जाए।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट
दिल्ली के मुख्य सचिव ने 8 जुलाई 2022 को दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पहली नजर में ऐसा स्पष्ट होता है कि जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 का उल्लंघन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2021-22 के लिए शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद ‘अनुचित’ लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर चूक की गई।
मुख्य सचिव की यह रिपोर्ट उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों को भेजी गई थी और इसमें कहा गया था कि शीर्ष राजनीतिक स्तर पर किसी चीज के बदले में किया गया फेवर या फायदा दिए जाने के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने तमाम फैसले लिए। इस दौरान स्थापित प्रावधानों का उल्लंघन हुआ और नई आबकारी नीति को नोटिफाइड कर दिया गया जिसका वित्तीय मामलों में बड़ा असर पड़ा।
इसके बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी खुलकर सामने आए गए। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया जबकि बीजेपी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सैकड़ों करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार किया है। इसके बाद सिसोदिया ने आबकारी नीति को वापस लेने का एलान कर दिया।
उपराज्यपाल के द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भी इस मामले में अलग से जांच शुरू कर दी थी।
सीबीआई की एफआईआर
नई आबकारी नीति को लेकर सीबीआई ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है। एफआईआर में कुल 15 लोगों के नाम हैं और मनीष सिसोदिया को अभियुक्तों की सूची में पहले नंबर पर रखा गया है।
सीबीआई ने एफआईआर में यह भी दावा किया है कि मनीष सिसोदिया के करीबियों अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे ने शराब लाइसेंसधारियों से कमीशन इकट्ठा किया।
एफआईआर में आरोप लगाया है कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रु ने दिनेश अरोड़ा के द्वारा चलाई जा रही एक कंपनी को 1 करोड़ रुपए दिए और उन्होंने अर्जुन पांडे और उसके सहयोगियों को दो से चार करोड़ रुपए दिए। एफआईआर में विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर समीर महेंद्रु दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने के काम में हुई गड़बड़ियों में शामिल हैं।
अरोड़ा, नायर देश छोड़कर क्यों भागे: बीजेपी
बीजेपी ने पूछा है कि जब से नई आबकारी नीति के खिलाफ सीबीआई की जांच शुरू हुई है तब से दिनेश अरोड़ा देश छोड़कर फरार है और उसने इंस्टाग्राम पर मनीष सिसोदिया के साथ जो फोटो लगाई थी वह भी डिलीट कर दी है। उन्होंने कहा कि विजय नायर भी देश छोड़कर भाग चुका है।
बीजेपी ने कहा है कि विजय नायर और दिनेश अरोड़ा अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के लिए कैश कलेक्शन का काम करते थे।
अब यहां अहम बात यह है कि अगर दिनेश अरोड़ा और विजय नायर को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया और उनसे नई आबकारी नीति के मामले में पूछताछ की गई तो क्या सिसोदिया की गिरफ्तारी होना तय है। और अगर इस मामले में सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई तो क्या इसकी आंच आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंच सकती है?
निश्चित रूप से आबकारी नीति में हुआ कथित भ्रष्टाचार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।