दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 17 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। हिरासत में भेजे जाने से पहले इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में जोरदार बहस हुई और दोनों पक्षों की ओर से दलीलें रखी गईं। ईडी की ओर से जो दलील दी गई उनमें सिसोदिया के कई मोबाइल फोन इस्तेमाल करने, शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने, केसीआर की बेटी से सिसोदिया के संपर्क करने, इस मामले में अहम आरोपी विजय नायर के सिसोदिया और केजरीवाल से संबंध होने के आरोप शामिल हैं।
कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं यह जानने से पहले यह जान लें कि यह पूरा मामला क्या है। सिसोदिया को ईडी ने गुरुवार को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया है। इसी मामले में सीबीआई ने क़रीब दो हफ्ते पहले उन्हें गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल जेल में थे। सीबीआई वाले मामले में जमानत याचिका पर शुक्रवार को होने वाली सुनवाई से एक दिन पहले ही ईडी ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था।
इसी गिरफ़्तारी को लेकर आज सिसोदिया को अदालत में पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मनीष सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन, मोहित माथुर और सिद्धार्थ अग्रवाल को सुनने के बाद आदेश सुनाया। ज़ोहेब हुसैन ने ईडी की ओर से दलील दी।
लाइल लॉ की रिपोर्ट के अनुसार ईडी के वकील हुसैन ने कहा कि आबकारी नीति को कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के हिस्से के रूप में लागू किया गया था। उन्होंने दलील दी कि इस साजिश में थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और दक्षिण समूह के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि विजय नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे थे।
ईडी की ओर से दावा किया गया कि सिसोदिया ने सबूत नष्ट किए। जोहेब ने कहा कि सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए जिनमें से केवल दो बरामद किए गए। यह भी कहा गया कि आप नेता सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल करते थे जो अन्य व्यक्तियों के नाम पर खरीदे गए थे।
इन आरोपों के ख़िलाफ़ सिसोदिया के वकीलों ने दलील रखी और कहा कि ये कोई भी ठोस सबूत नहीं हैं। उनके वकील कृष्णन ने दलील दी कि आप नेता के पास से एक पैसे का भी पता नहीं चला है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए एक ज़रूरी चीज है।
उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग में कब्जे और उपयोग का पता लगाया जाना है। सिसोदिया की ओर से वकील ने कहा, 'मेरे पास एक पैसा भी नहीं मिला है। तो वे कहते हैं कि विनय नायर ने खुद को मनीष सिसोदिया के प्रतिनिधि के रूप में पेश किया। हास्यस्पद है… हम एक प्रीमियम जांच एजेंसी के बारे में बात कर रहे हैं। वे मेरे लिए एक पैसे का पता लगाने में सक्षम क्यों नहीं हैं?' उन्होंने कहा कि "उनके दस्तावेज़ को देखिए, सब कुछ खाली यह है कि 'मैंने सुना है, मैंने सुना है, मैंने सुना है'।"
ईडी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को ही अवैध बताते हुए कृष्णन ने सीबीआई मामले में सुनवाई के लिए उनकी जमानत अर्जी तय होने से एक दिन पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'ईसीआईआर अगस्त 2022 का है। इस तरह के आचरण से अदालत को चिंता होनी चाहिए। यहां प्रक्रिया ही अवैध है...ऐसा नहीं हो सकता कि किसी व्यक्ति को केवल यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष कानून (पीएमएलए) के तहत हिरासत में रखा जाए कि उसे जमानत नहीं मिले।'
अदालत ने ईडी रिमांड पर आदेश पारित करते हुए समय की कमी के कारण सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 मार्च के लिए स्थगित कर दी।
बता दें कि आठ घंटे से ज्यादा की पूछताछ के बाद सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी का आरोप है कि आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं।
नई शराब नीति लाने के मामले में सिसोदिया और अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले साल सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने इसके बाद नई शराब नीति को वापस लिया। आप ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के इस आदेश से करोड़ों रुपये के राजस्व के नुकसान का आरोप लगाया। इसने कहा था कि नई शराब नीति से दिल्ली सरकार के खजाने को फायदा हो रहा था लेकिन एलजी की जिद की वजह से पुरानी शराब नीति फिर से लागू करना पड़ी।