मणिपुर के हालात बदतर हैं। केंद्र सरकार बस दिशा निर्देश जारी कर चुप बैठ गई है। भाजपा का शासन है, लेकिन हिंसा का इतना भयावह रूप इस राज्य में कभी नहीं देखा गया था। एक सैन्य अधिकारी ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अपना ट्वीट टैग करते हुए कहा है कि यह स्टेट अब स्टेटलेस हो गया है। पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक ने उस सैन्य अधिकारी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए सरकार से फौरन कदम उठाने को कहा है।
मणिपुर में एक महीने से हिंसा हो रही है। लेकिन भाजपा शासित राज्य में सरकार कहीं नजर नहीं आती। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का जैसे कोई अस्तित्व ही न हो। अमित शाह राज्य का दौरा कर चुके हैं। सेना प्रमुख मनोज पांडे राज्य का दौरा कर चुके हैं। राज्य में सेना समेत तमाम केंद्रीय बल तैनात है, लेकिन राज्य में हिंसा नहीं रुक पा रही है।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (रिटायर्ड) ने मणिपुर की स्थिति पर "तत्काल ध्यान" देने का आह्वान किया है, जहां 3 मई से मेइती समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। जनरल मलिक ने राज्य में खराब स्थिति पर मणिपुर के एक रिटायर्ड वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के एक ट्वीट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए "उच्चतम स्तर पर फौरन ध्यान देने" के लिए कहा।
इससे पहले मणिपुर की राजधानी इंफाल के निवासी लेफ्टिनेंट जनरल एल निशिकांत सिंह (रिटायर्ड) ने ट्वीट किया था कि राज्य अब "स्टेटलेस" है, एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री आर.के. रंजन सिंह के घर में उपद्रवियों ने आग लगा दी थी।मैं मणिपुर से रिटायर्ड जीवन जीने वाला एक साधारण भारतीय हूं। राज्य अब 'स्टेटलेस' है। लीबिया, लेबनान, नाइजीरिया, सीरिया, आदि की तरह जीवन और संपत्ति किसी के भी द्वारा कभी भी नष्ट की जा सकती है। ऐसा लगता है कि मणिपुर को उसके हाल पर बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। क्या कोई सुन रहा है?"
इस पर, जनरल मलिक ने इसे रीट्वीट करते हुए जवाब दिया, "मणिपुर से एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल का एक असाधारण दुखद कॉल। मणिपुर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर उच्चतम स्तर पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।"
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने 30 मई को कहा था कि मेइती और चिन-कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा के बीच म्यांमार से "लुंगी पहने हुए" करीब "300 आतंकवादी" मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के "लुंगी" वाले संदर्भ को म्यांमार की सीमा पार करके वहां के विद्रोहियों के भारत की सीमा में घुसकर हिंसा करने के संदर्भ में है। म्यांमार और मणिपुर के उस इलाके के लोग "लॉन्गी या लुंगी" पहनते हैं। म्यांमार का शासन एक सैन्य समूह द्वारा चलाया जा रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह 40 साल तक भारतीय सेना में सेवा देने के बाद 2018 में रिटायर हुए थे। वो इंटेलिजेंस कॉर्प्स के साथ भी थे। लेकिन जनरल मलिक के ट्वीट के नीचे कुछ लोगों ने लिखा है कि इसी पूर्व सैन्य अधिकारी ने हाल ही में कुकी लोगों के खिलाफ नफरत वाले ट्वीट भी किए थे।
मणिपुर 3 मई से उबाल पर है, जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी का दर्जा देने का आदेश कोर्ट से हुआ। सरकार भी मेइती को काफी दिनों से एसटी दर्जा देना चाहती थी। इस घटनाक्रम के विरोध में कुकी आदिवासी समुदाय ने एक रैली करके सरकार को चेतावनी दी कि वो ऐसा न करे। वो मणिपुर में इस तरह लोगों को न बांटे। इस रैली के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इम्फाल और उसके आसपास की घाटी में मेतई बहुसंख्यक हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में कुकी बहुसंख्यक हैं। दोनों समुदाय एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए। मणिपुर में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी, जब वहां रहने वाले दो समुदाय एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए।
मणिपुर के तीन दिवसीय दौरे से लौटने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने सामान्य स्थिति लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी। केंद्र ने एक शांति समिति बनाई लेकिन वो भी स्थिति को नियंत्रण में नहीं ला पाई। क्योंकि मेइती और कुकी दोनों नागरिक समाज के लोगों ने इसका हिस्सा बनने से मना कर दिया।
बहरहाल, इंफाल पूर्व में तनाव जारी है क्योंकि उपद्रवियों ने एक खाली घर में आग लगा दी थी। उधर, पश्चिमी हिस्से में भी ताजा हिंसा भड़क उठी है। भीड़ कर्फ्यू का उल्लंघन कर सड़कों पर उतर आई और केंद्रीय और राज्य बलों की एक संयुक्त टीम से भिड़ गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। पुलिस ने कहा कि कुछ लोग घायल हुए हैं।
कांग्रेस का हमला
मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार पर कांग्रेस का हमला लगातार जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि मणिपुर को नफरत से नहीं, मोहब्बत से जीता जा सकता है। राहुल ने इशारों में बहुत बड़ी बात कही है। दरअसल, भाजपा शासित राज्य सरकार पर आरोप लग रहा है कि वो वहां के बहुसंख्यक मेइती लोगों के साथ खड़ी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा है- स्वयंभू विश्वयोगी ने अभी-अभी अपने भक्तों के अभ्यास के लिए विभिन्न आसन साझा किए हैं। लेकिन जहां तक मणिपुर को जलाने की बात है तो वह अपने मौन आसन से कब बाहर आएंगे। उनकी चुप्पी दयनीय होने से परे हो गई है।राज्य के विपक्षी दल अभी भी उनके साथ दर्शकों की तरह प्रतीक्षा कर रहे हैं।