मैतेई समूह के नेताओं ने गुरुवार देर रात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर मणिपुर से असम राइफल्स को हटाने की मांग को लेकर दबाव बनाया। मणिपुर पिछले चार महीनों से जातीय हिंसा से जूझ रहा है। असम राइफल्स को वहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लंबे समय से तैनात किया गया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से गुरुवार को मुलाकात के बाद आधी रात को जारी एक बयान में मैतेई समूह ने कहा कि दिल्ली मैतेई समन्वय समिति (डीएमसीसी) ने केंद्रीय मंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की और असम राइफल्स के स्थान पर दूसरे सुरक्षा बल के तैनाती की मांग की।
मणिपुर इंटीग्रिटी समन्वय समिति (COCOMI) ने यह कहते हुए असम राइफल्स को हटाने की मांग की है कि उसका रवैया पक्षपातपूर्ण है। मैतेई महिला समूहों ने असम राइफल्स के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए हैं।
COCOMI प्रवक्ता खुराइजम अथौबा ने कहा कि डीएमसीसी ने कुकी उग्रवादी समूहों से खतरे और असम राइफल्स के कथित पूर्वाग्रह का हवाला देते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा है। हालांकि कूकी समूहों ने हिंसा के लिए मैतेई उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है। कूकी महिलाओं की नग्न परेड, उनके परिवार के लोगों की उन्हीं के सामने हत्या के मामलों को लोग भूले नहीं हैं।
अथौबा ने कहा कि डीएमसीसी प्रतिनिधिमंडल ने राजनाथ सिंह को मणिपुर संकट के समाधान के लिए कुकी समूहों के संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाने से हुई शर्मिंदगी के बारे में भी अवगत कराया। अथौबा ने कहा- "डीएमसीसी ने दोहराया कि मैतेई विद्रोही समूहों को वर्ष 2000 से पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधित कर दिया था। उनके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की गई है। लेकिन अब कुकी उग्रवादी पहाड़ियों से गोलीबारी कर रहे हैं और किसान मारे जा रहे हैं।
अथौबा ने कहा कि हमारे प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्री को बताया कि मैतेई और कुकी प्रदर्शनकारियों से निपटने में असम राइफल्स पक्षपातपूर्ण है। प्रवक्ता ने कहा कि संगठन ने नार्को-आतंकवाद, अवैध आप्रवासियों और उनकी पहचान के साथ-साथ संचालन समझौते के निलंबन के मुद्दों को उठाया।
यह पहला मौका नहीं है जब मैतेई समूह ने असम राइफल्स के खिलाफ ऐसा दबाव बनाया है। मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से COCOMI के प्रतिनिधि कम से कम तीन बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं। हिंसा में अब तक कम से कम 175 लोग मारे गए और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए।
दूसरी ओर कुकी समूहों ने मणिपुर पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया है और केंद्र सरकार से राज्य में शांति बहाल करने के लिए असम राइफल्स को बरकरार रखने का आग्रह किया गया है। असम राइफल्स केंद्र सरकार को और मणिपुर पुलिस मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को रिपोर्ट करती है, जो मैतेई हैं।
पिछले महीने, असम राइफल्स ने एक मणिपुरी नेता को उनकी उस कथित टिप्पणी के लिए कानूनी नोटिस भेजा था, जिसमें उसने सुरक्षा बल पर मैतेई के साथ संघर्ष के दौरान कुकी उग्रवादियों का साथ देने का आरोप लगाया था। मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स पर बफर जोन में कुकी उग्रवादियों का पीछा करने से रोकने का आरोप लगाते हुए एक एफआईआर भी दर्ज की थी।
असम राइफल्स ने बार-बार कहा है कि उसके सैनिक सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सिर्फ बफर जोन में दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। असम राइफल्स ने पुलिस शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों की वापसी को हतोत्साहित करने के लिए COCOMI नेता के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था। उसके बाद से असम राइफल्स को हटाने की मांग ज्यादा जोर पकड़ रही है।
कुकी और अन्य जनजातीय समूह पहाड़ी जिलों में रहते हैं जबकि मैतेई इंफाल घाटी और मैदानी इलाकों में रहते हैं। केंद्रीय बलों को बफर ज़ोन या तलहटी से सटे क्षेत्रों में तैनात किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुकी और मैतेई दोनों पक्षों के हथियारबंद लोग हमले शुरू करने के लिए उन्हें पार न करें।