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मणिपुर: ताज़ा हिंसा में एक गीतकार सहित 6 लोगों की मौत

मणिपुर: ताज़ा हिंसा में एक गीतकार सहित 6 लोगों की मौत

मणिपुर में क़रीब चार महीने पहले शुरू हुई हिंसा आख़िर रुक क्यों नहीं रही है? जानिए, ताज़ा हिंसा में किसे निशाना बनाया गया।

मणिपुर में फिर से हिंसा हुई है। इसमें कम से कम 6 लोग मारे गए हैं। मारे गए लोगों में एक स्थानीय गीतकार भी शामिल हैं। हिंसा के दौरान उनका लिखा गया गीत स्थानीय लोगों में काफ़ी प्रचलित हुआ था।

यह हिंसा राज्य की चुराचांदपुर-बिष्णुपुर सीमा पर हुई। वहाँ तीन दिनों से गोलीबारी चल रही है। इसी गोलीबारी में गुरुवार को कम से कम छह लोगों की मौत हो गई। कुकी-ज़ोमी बहुलता वाले चुराचांदपुर जिले और मैतेई बहुलता वाले बिष्णुपुर जिले के बीच के क्षेत्र में गोलीबारी मंगलवार सुबह शुरू हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार नगंगखलावई, थम्नापोकपी, कांगथेई, खौसाबुंग और एल फीनोम इलाकों में गोलीबारी हो रही है।

मणिपुर में पिछले चार महीने से हिंसा हो रही है। राज्य में अब तक 150 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। राज्य में हिंसा की वजह दो समुदायों- मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चली आ रही तनातनी है। कहा जा रहा है कि यह तनाव तब बढ़ गया जब मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही जाने लगी। 

इसको लेकर हजारों आदिवासियों ने राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में एक मार्च निकाला। इन जिलों में अधिकांश आदिवासी आबादी निवास करती है। यह मार्च इसलिए निकाला गया कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध किया जाए। मैतेई समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 53% है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है।

बहरहाल, द इंडियन एक्सप्रेस ने एक रक्षा सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है कि बुधवार तक रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही और शाम तक बिष्णुपुर के एक व्यक्ति, चुराचांदपुर के चार लोग और दो आईआरबी कर्मी घायल हो गए थे। गुरुवार सुबह कुकी-ज़ोमी समुदाय के दो घायलों ने दम तोड़ दिया। 

मृतकों में से एक की पहचान गीतकार एल एस मंगबोई के रूप में की गई। रिपोर्ट के अनुसार वह स्थानीय रूप से लोकप्रिय थे, विशेष रूप से चल रहे संघर्ष के दौरान लिखे गए एक गीत के लिए जिसे 'आई गम हिलो हैम' कहा जाता है, जिसका मोटा-मोटा अनुवाद है- 'क्या यह हमारी जमीन नहीं है?'

रिपोर्ट में चुराचांदपुर पुलिस के हवाले से कहा गया है कि मंगबोई की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें इलाज के लिए आइजोल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। 

रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निवासियों का कहना है कि एक ग्राम रक्षा स्वयंसेवक रिचर्ड हेमखोलिन गुइटे भी बुधवार को घायल हो गए थे और गुरुवार सुबह चुराचांदपुर जिला अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

गुरुवार को भी गोलीबारी जारी रहने के कारण चुराचांदपुर जिले में दो और लोग मारे गए, जिनकी पहचान पाओकम किपगेन और पौसोंडम के रूप में हुई है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, वे अग्रिम पंक्ति क्षेत्र में तैनात रक्षा स्वयंसेवक थे।

पुलिस ने कहा कि बिष्णुपुर में दो मैतेई लोगों की गुरुवार को विस्फोटों से घायल होने के कारण मौत हो गई, जिनकी पहचान पेबाम देबन और मोइरांगथेम गोपेन के रूप में हुई है। इस तरह मंगलवार को शुरू हुई गोलीबारी में मरने वालों की कुल संख्या नौ हो गई है।

इससे पहले अगस्त के मध्य में उखरुल के एक पास एक गांव में गोलीबारी में 3 लोगों के मारे जाने की खबर आई थी। कुकी समुदाय के संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के प्रवक्ता ने कहा था कि मैतेई लोगों के इस हमले में 26 साल के जामखोगिन, 35 साल के थांगखोकाई और 24 साल के हॉलेंसन की मौत हुई थी।

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