राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के सभापति को पत्र लिखकर कहा है कि बाहरी सुरक्षा बलों को संसद से हटाया जाए। उन्होंने संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के कथित उत्पीड़न का ज़िक्र किया है। उन्होंने खास तौर पर लॉबी में तैनात बाहरी सुरक्षा बलों को लेकर यह ख़त लिखा है।
खड़गे ने अपने पत्र में 11 अगस्त, 2021 की एक घटना का हवाला दिया जब विपक्षी सांसदों पर दिल्ली पुलिस कर्मियों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया और उन्हें परेशान किया गया था।
मानसून सत्र के समाप्त होने के बाद विपक्षी दलों के नेता 12 अगस्त को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में सभापति एम वेंकैया नायडू से मिले थे। उन्होंने एक दिन पहले राज्यसभा में हुई घटना को लेकर सभापति से बात की थी।
तब खड़गे ने दावा किया था कि सदन में सरकार ने ऐसा इंतजाम कर लिया था कि 50-60 मार्शल को बाहर से लाया गया। उन्होंने पूछा- वो कौन थे, क्या थे, किसको मालूम? कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा था कि उसी तरह से 15-20 महिलाओं को लाया गया। खड़गे इस बात का इसलिए ज़िक्र कर रहे थे कि 11 अगस्त को महिला सांसदों से कथित तौर पर धक्का-मुक्की की गई थी।
उस घटना के एक दिन बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्का-मुक्की की घटना को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया था।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि सरकार ने कई विधेयक सदन अव्यवस्थित रहते हुए भी पास करा लिए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि हर 10 मिनट में एक विधेयक पास हो गया और बोलने का मौक़ा नहीं मिला, क़ानूनों की कमियों को बताने के लिए समय नहीं दिया गया।
अगस्त महीने में संसद में महिला सांसदों से कथित धक्का-मुक्की को लेकर ही अब खड़गे ने यह चिट्ठी लिखी है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार खड़गे ने कहा है, 'ये लोग सदस्यों (सांसदों) के लिए अज्ञात थे और यह संदेह का प्राथमिक कारण बन गया, जिसके कारण अनियंत्रित दृश्य दिखे और जिसमें कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम घायल हो गईं।' उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के सूत्रों के हवाले से 2.5 मिनट वाले सीसीटीवी फुटेज को अवैध रूप से जारी किया गया था।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को संबोधित खड़गे के पत्र में कहा गया है कि सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए केवल राज्यसभा सचिवालय सुरक्षा कर्मियों को ही अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज को वापस लेने की भी मांग की है क्योंकि इसे उचित अनुमति के बिना जारी किया गया था। बता दें कि सदन को चलाने के लिए लोकसभा व राज्यसभा सचिवालय के पास पहले से ही सुरक्षाकर्मी मौजूद होते हैं जिन्हें मार्शल कहा जाता है। सदन के अव्यवस्थित होने पर उन्हें सदन के भीतर बुलाया जाता है।