केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और बीजेपी विधायक नितेश राणे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब की हत्या की कोशिश के मामले में नितेश राणे के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। उसी मामले में पुलिस नितेश राणे को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है, लेकिन इसी बीच नितेश राणे ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंधुदुर्ग ज़िला सत्र न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दाखिल कर दी। लेकिन अदालत ने नितेश राणे की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी है। इसके बाद अब नितेश राणे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है।
पिछले कई दिनों से शिवसेना इस मामले को जोर-शोर से उठा रही थी और नितेश राणे की गिरफ्तारी की मांग कर रही थी, लेकिन नितेश राणे ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था जहां से उनको निराशा हाथ लगी है। हालांकि नितेश राणे के पास अभी बॉम्बे हाई कोर्ट जाने का रास्ता बचा है। लेकिन उनको डर है कि कहीं सिंधुदुर्ग पुलिस उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील करने से पहले ही गिरफ्तार न कर ले।
दरअसल, यह पूरा मामला शिवसेना के एक कार्यकर्ता संतोष परब से जुड़ा हुआ है। शिवसेना का आरोप है कि संतोष परब नाम के एक कार्यकर्ता पर नितेश राणे ने जानलेवा हमला किया था। नितेश राणे ने शिवसेना द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया था और कहा था कि जिस समय संतोष परब पर हमला हुआ था उस समय वह मौक़े पर मौजूद नहीं थे।इससे पहले नितेश राणे के समर्थन में उनके पिता केंद्रीय मंत्री नारायण राणे भी सामने आए थे। नारायण राणे ने शिवसेना पर आरोप लगाया कि नितेश राणे उद्धव ठाकरे और उनके परिवार पर हमेशा निशाना साधते रहते हैं इसलिए उन पर इस तरह के झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं जिनमें कोई सच्चाई नहीं है। राणे ने साथ ही यह भी कहा कि सिंधुदुर्ग में सहकारी बैंक का चुनाव भी होना है जिसके चलते शिवसेना अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने के लिए इस तरह का झूठा केस दर्ज करवाकर उनके बेटे को फँसाना चाहती है। नितेश राणे सिंधुदुर्ग ज़िले की कणकवली सीट से बीजेपी के विधायक हैं।
इससे पहले नितेश राणे ने सिंधुदुर्ग ज़िला सत्र न्यायालय में अग्रिम ज़मानत के लिए याचिका डाली थी। नितेश राणे की ओर से उनके वकील संग्राम देसाई ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि शिवसेना प्रशासन का ग़लत इस्तेमाल करके उनके मुवक्किल को फँसाना चाहती है। राणे के वकील ने अदालत में दलील दी कि जिस समय पीड़ित पर हमला होने की बात कही जा रही है उस समय वह वहाँ पर मौजूद नहीं थे। ऐसे में उनको जमानत दी जाए।
दूसरी ओर सरकारी पक्ष की तरफ़ से दलील पेश करते हुए वकील प्रदीप घरत ने कहा कि आरोपी रसूख परिवार से ताल्लुक रखता है और जाँच में सहयोग नहीं कर रहा है ऐसे में उससे हिरासत में लेकर पूछताछ करना ज़रूरी है।
सरकारी वकील की तरफ़ से यह भी कहा गया कि पुलिस नितेश राणे के मोबाइल फोन को जब्त कर यह पता लगाना चाहती है कि पीड़ित पर किसने हमला करने की साज़िश रची थी।
नितेश राणे के वकील ने अदालत में पिछले शुक्रवार को घटी उस घटना का भी ज़िक्र किया जो महाराष्ट्र विधानसभा में घटी थी। राणे के वकील ने कहा कि जब विपक्ष के विधायक प्रदर्शन कर रहे थे तो नितेश राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पर एक टिप्पणी की थी जिसके बाद से शिवसेना बौखला गई थी और उन्होंने उसके बाद ही विधानसभा के अंदर नितेश राणे पर कार्रवाई करने की मांग की थी। नितेश पर जब विधानसभा में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो फिर शिवसेना ने पुलिस पर दबाव बनाकर नितेश को घेरना शुरू कर दिया। लगातार तीन दिन तक चली सुनवाई के बाद आख़िरकार सिंधुदुर्ग सत्र न्यायालय ने नितेश राणे की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी।