सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के विवादास्पद फैसले पर उद्ध ठाकरे की याचिका पर कल बुधवार को सुनवाई से पहले शिवसेना आज मंगलवार 21 फरवरी की शाम को अपनी बैठक करने वाली है। महाराष्ट्र में सत्ता के इस खेल में सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिल रहा है। शिवसेना दो हिस्सों में बंटने के बाद कमजोर हो चुकी है। बीजेपी और शिवसेना दोनों ही हिन्दुत्व की राजनीति करते हैं।
एकनाथ शिंदे गुट शिवसेना के नाम पर आज मंगलवार शाम को अपनी पहली अहम बैठक करने वाली है। चार दिन पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और निशान शिंदे गुट को सौंप दिया। आयोग के इस फैसले की चारों तरफ आलोचना हो रही है, क्योंकि ठाकरे परिवार ने ही शिवसेना स्थापित की थी। लेकिन अब बाल ठाकरे के बेटे से उनकी ही पार्टी और चुनाव निशान को छीन लिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि शिंदे के गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न देने के चुनाव आयोग के फैसले को रद्द कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो कल दोपहर 3:30 बजे अर्जी पर सुनवाई करेगी।
टीम ठाकरे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ठाकरे के दफ्तर और पार्टी के बैंक खातों पर कब्जा किया जा रहा है।
एकनाथ शिंदे के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि वे कल बुधवार को बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं करना चाहिए क्योंकि हाईकोर्ट पहले ही इसे खारिज कर चुका है।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि शिंदे मंगलवार शाम शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नए स्थानीय नेताओं की नियुक्ति कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री गुट की आज की बैठक महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें ठाकरे के लगातार हमलों और समर्थकों और कार्यकर्ताओं की वफादारी हासिल करने के प्रयासों के बीच अपनी ताकत और समर्थन के आधार को परखने की जरूरत है।
ठाकरे और शिंदे के बीच पार्टी कार्यकर्ताओं की वफादारी हासिल करने और पार्टी की संपत्ति पर कब्जा जमाने की कोशिशें और तेज हो सकती हैं।
एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की लड़ाई चल रही है, ठाकरे "शिव सैनिक" शिविरों में अधिक गतिविधि पर ध्यान केंद्रित करके अपने प्रति वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए काम कर रहे हैं।
शिवसेना के पास राज्य भर में शाखा का एक बड़ा नेटवर्क है, जिसे ठाकरे "शिव शक्ति अभियान" शुरू करने के लिए नए सिरे से संपर्क करेंगे, या पार्टी के कार्यकर्ताओं को जमीन पर मजबूत करने की कवायद करेंगे। ठाकरे ने कल मुंबई के शिवसेना भवन में इसकी घोषणा की थी।
शिवसेना भवन पर शिंदे गुट की नजर
शिंदे गुट की नजर शिवसेना भवन पर है। हालांकि वो ट्रस्ट प्रॉपर्टी है और उसके ट्रस्टी ठाकरे परिवार के लोग हैं। 24 घंटे से भी कम समय के बाद, एक कानूनी फर्म ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र भेजकर शिवई ट्रस्ट के प्रमुख से संपर्क करने के लिए कहा, जो शिवसेना भवन चलाता है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक ट्रस्ट के दफ्तर का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों के लिए कैसे किया जा सकता है। यह अवैध है। यह एक तरह से उस गतिविधि पर हमला है जो कल सोमवार को शिवसेना भवन में उद्धव ठाकरे ने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाकर किया था।
लॉ फर्म, यशस लीगल ने महाराष्ट्र कानून और न्यायपालिका विभाग को लिखे पत्र में कहा कि कई दशकों तक राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक सार्वजनिक ट्रस्ट के दफ्तर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है? यदि ऐसा उपयोग ट्रस्ट के उद्देश्यों का उल्लंघन है, तो ट्रस्टियों को निलंबित या हटाया क्यों नहीं जा सकता और एक नया प्रशासक नियुक्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल टीम ठाकरे द्वारा 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए किए गए एक अन्य अनुरोध पर अपना फैसला देना बाकी है, जो जून 2022 में उनके खिलाफ विद्रोह करने वाले समूह का हिस्सा थे। इस संदर्भ में, ठाकरे ने चुनाव आयोग के आदेश को अनुचित बताते हुए चुनौती दी है।