एनसीपी शरदचंद्र पवार के मुखिया शरद पवार इन दिनों लगातार चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। इस बार के चुनाव में उनके लिए मुश्किलें काफी बढ़ी हुई दिख रही हैं।
शनिवार को उन्होंने बयान दिया है कि हमारा ध्यान लोकसभा से ज्यादा विधानसभा चुनाव पर है। उन्होंने कहा है कि हम विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ने की कोशिश करेंगे। मैं पिछले 10 साल से सत्ता में नही हूं।
शरद पवार ने गृहमंत्री अमित शाह से सवाल पूछते हुए कहा कि वे बताएं 10 साल तक आप सत्ता में थे क्या किया ? उन्होंने कहा कि, फडणवीस ने धनगर समाज को आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन धनगर समाज को न तो राज्य में न्याय मिल रहा है न ही दिल्ली में मिल रह है। यह स्थिति तब है जबकि भाजपा की सरकार राज्य और केंद्र दोनों जगहों पर है।
शरद पवार ने शनिवार को कहा है कि, भाजपा के साथ जाने की कभी भी सहमति नही थी और न रहेगी। शरद पवार के इस बयान के बाद कई राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का पहले से ही मानना है कि एनसीपी में बंटवारा होने और अपने भतीजे अजीत पवार की बगावत के बाद शरद पवार अब पहले से काफी कमजोर हुए हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में शरद पवार काफी थके और निराश दिख रहे हैं। उनमें पहले वाली उर्जी भी नहीं दिख रही है। इसका एक कारण तो उनकी बढ़ी हुई उम्र है और दूसरा कारण एनसीपी में हुआ बंटवारा है जिसने उन्हें गहरी चोट पहुंचाई है।