महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के वफादार और शिवसेना सांसद संजय राउत ने आज उन सवालों के जवाब दिए हैं जिसमें बागी गुट ने कहा है कि शिवसेना को बीजेपी से गठबंधन करना चाहिए, न कि कांग्रेस व एनसीपी के साथ। राउत ने साफ़-साफ़ कहा है कि यदि बागियों को ऐसा लगता है तो उन्हें बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए।
राउत ने कहा, 'आपको (बागियों) को बीजेपी में विलय करना चाहिए। शिवसेना हमारी पार्टी है।' उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में उद्धव ठाकरे के पिता और पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे का ज़िक्र करते हुए कहा, 'बालासाहेब ठाकरे के समय में भी बहुत से लोगों ने पार्टी छोड़ी थी। हमने पार्टी का पुनर्निर्माण किया और इसे हम सत्ता में भी ले आए। अब उद्धव जी और मेरी ओर से यह एक खुली चुनौती है कि हम फिर से पार्टी का पुनर्निर्माण करेंगे, और हम फिर से सत्ता में आएंगे।'
इसके साथ ही राउत ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बाग़ी खेमे को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए चुनौती दी है। उन्होंने यह भी बताया कि शिवसेना में लौटने का उनका मौक़ा अभी गया नहीं है।
बता दें कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार टूटने की कगार पर है। विद्रोही खेमा दलबदल विरोधी क़ानून के तहत कार्रवाई का सामना किए बिना पार्टी को तोड़ने के लिए ज़रूरी संख्या जुटा रहा है। एकनाथ शिंदे के समर्थकों का दावा है कि लगभग 40 विधायक होटल में हैं जो दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के जोखिम से बचने के लिए ज़रूरी संख्या 37 से अधिक है। हालाँकि, सूत्रों के हवाले से ख़बर आ रही है कि शिवसेना के बागियों की अभी भी पर्याप्त संख्या नहीं है और इसी कारण वे अगले क़दम का इंतज़ार कर रहे हैं। हालाँकि आज ही हुई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बैठक में उनके समर्थक 13 विधायक ही पहुँचे थे।
क्या उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने रहेंगे? इस सवाल के जवाब में राउत ने कहा, 'सभी विधायकों को सदन के पटल पर आने दें। हम तब देखेंगे। जो विधायक चले गए हैं... उन्हें महाराष्ट्र में लौटना और घूमना मुश्किल होगा।' एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि क्या बागियों के साथ अभी भी बातचीत चल रही है, राउत ने कहा, 'वे सभी हमारे दोस्त हैं... हम नहीं जानते कि उनकी मजबूरियाँ क्या हैं। पार्टी और राज्य उद्धव ठाकरे के साथ हैं। सिर्फ़ इसलिए कि कुछ विधायक चले गए हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी चली गई है।'
उन्होंने शिंदे खेमे के आरोपों का भी जवाब दिया कि मुख्यमंत्री का घर 'वर्षा' पार्टी विधायकों के लिए पहुँच से बाहर था। रावत ने कहा, 'ये सिर्फ़ बहाने हैं। एक साल के लिए कोविड प्रतिबंध थे; और फिर मुख्यमंत्री ठाकरे छह महीने से अस्वस्थ थे।'
राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे पार्टी और सरकार के हर फ़ैसले का हिस्सा थे। उन्होंने कहा, 'पार्टी और राज्य मंत्रिमंडल में उन्हें महत्वपूर्ण पद दिए गए ताकि वे नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ रख सकें। उद्धव-जी या वे अकेले सब कुछ नहीं कर सकते थे, यह एक सामूहिक ज़िम्मेदारी थी। अपने कर्तव्य को निभाने के बजाय, उन्होंने पार्टी में विभाजन किया।'
उन्होंने कहा कि वह ठाकरे के इस रुख को दोहराएंगे कि 'जो कोई भी छोड़ना चाहता है, वह छोड़ सकता है, लेकिन जाए और फिर से चुनाव जीते। यह भूमि शिवसेना और बालासाहेब की है... हम फिर से फीनिक्स की तरह उठेंगे और ऊंची उड़ान भरेंगे। हमने पिछले 56 वर्षों में कई संघर्ष देखे हैं। इससे बुरा क्या हो सकता है?'
उन्होंने कहा, 'शायद हम सरकार खो देंगे, सत्ता खो देंगे, मंत्री पद खो देंगे- राजनीति में और क्या हो सकता है? आप हमारे खिलाफ ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग करेंगे, हमें जेल में डाल देंगे... और अधिक क्या करेंगे? क्या आप हमें गोली मार देंगे? हमने सब कुछ देखा है और हमें किसी चीज का डर नहीं है।'