राज ठाकरे ने क्यों कहा- गंगा के गंदे पानी को मैं छू नहीं सकता, पीना तो दूर की बात

05:12 pm Mar 10, 2025 | सत्य ब्यूरो

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने गंगा जल और प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। ठाकरे ने 9 मार्च, 2025 को मनसे के 19वें स्थापना दिवस पर पुणे के पिंपरी-चिंचवड में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की। ठाकरे की टिप्पणी ने न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित किया, बल्कि विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन से तीखी प्रतिक्रियाओं को भी जन्म दिया। 

राज ठाकरे ने कहा, "मैं उस गंगा के गंदे पानी को छू भी नहीं सकता, पीना तो दूर की बात है। देश की कोई भी नदी साफ नहीं है। बाला नंदगांवकर मेरे लिए महाकुंभ से गंगाजल लेकर आए थे, लेकिन मैंने इसे पीने से साफ मना कर दिया।"

उन्होंने लोगों से अंधविश्वास से बाहर निकलने की अपील की और कहा, "लाखों-करोड़ों लोग उस पानी में नहाते हैं, फिर भी इसे पवित्र मानते हैं। कोविड के बाद लोग मास्क पहनकर घूम रहे थे, और अब उसी पानी में डुबकी लगा रहे हैं। यह समझ से परे है।"

ठाकरे ने गंगा सफाई अभियान पर भी तंज कसा, "मैं राजीव गांधी के समय से सुन रहा हूं कि गंगा साफ होगी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। यह मिथक तोड़ने का समय है।"

ठाकरे ने यह भी कहा कि विदेशों में नदियों को माता नहीं माना जाता, फिर भी वे साफ रहती हैं, जबकि भारत में नदियों को पूजने के बावजूद उनकी हालत खराब है।

ठाकरे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 3 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं था। रिपोर्ट में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उच्च मात्रा का उल्लेख किया गया था। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने बाद में दावा किया कि वैज्ञानिक जांच में पानी को स्नान के लिए उपयुक्त पाया गया। ठाकरे ने इस संदर्भ का हवाला देते हुए अपनी बात को मजबूत करने की कोशिश की। 

महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री और बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने कहा, "राज ठाकरे को अपनी राय रखने का हक है, लेकिन वे लाखों लोगों की आस्था पर सवाल नहीं उठा सकते। महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान किया, यह आस्था का प्रतीक है।"

बीजेपी नेता आरपी सिंह ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, "वे महाकुंभ गए ही नहीं। पहले वहां जाकर डुबकी लगाएं, फिर पानी की गुणवत्ता पर बोलें।"

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एकनाथ शिंदे गुट ने ठाकरे के बयान की निंदा की। शिंदे गुट के एक नेता ने कहा, "यह हिंदू भावनाओं का अपमान है। राज ठाकरे को माफी मांगनी चाहिए।" एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने कहा, "धार्मिक भावनाओं का सम्मान जरूरी है। मैं खुद महाकुंभ गया और स्नान किया। प्रदूषण एक समस्या है, लेकिन आस्था को ठेस पहुंचाना ठीक नहीं।"

कई हिंदू संगठनों ने ठाकरे के खिलाफ प्रदर्शन की धमकी दी है। एक संत ने कहा, "गंगा माता पर ऐसी टिप्पणी अस्वीकार्य है। यह हमारी संस्कृति पर हमला है।"

  • कुछ पर्यावरणविदों और सोशल मीडिया यूजर्स ने ठाकरे के बयान का समर्थन किया। एक यूजर ने लिखा, "ठाकरे ने सच कहा। गंगा की हालत दयनीय है, इसे स्वीकार करना होगा।"

यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में कई वजहों से हलचल मचा रहा है। मनसे, जो पहले से ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (महायुति) के साथ नजदीकी दिखा रही थी, अब इस गठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है। ठाकरे का यह बयान उनकी पार्टी को चर्चा में तो लाया, लेकिन साथ ही धार्मिक मतदाताओं के बीच नाराजगी भी पैदा कर सकता है। विपक्षी दल इसे बीजेपी के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं।