भगोड़े ललित मोदी की वानुआटू नागरिकता क्यों रद्द हुई, भारत कब करेगा प्रत्यर्पण?

01:56 pm Mar 10, 2025 | सत्य ब्यूरो

दुनियाभर में क्रिकेट खेलने का तरीका आई पी एल या इंडियन प्रिमियर लीग के बाद बदल गया। क्या आप जानते हैं जिस आदमी ने इस आई पी की स्थापनाकी वह एक भगोड़ा है? इस भगोड़े का नाम है ललित मोदी। वही ललित मोदी जिसकी नागरिकता ओशयाना में बसे देश वानुआटू ने रद्द कर दी है। 

पूरा मामला क्या है?

ललित मोदी कभी भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शुमार रहे थे। आई पी एल जैसी टूर्नामेंट को साकार करने वाले ललितमोदी को किसी वक़्त जीनियस भी कहा जाता था। दुनिया भर के क्रिकेट खेलने वालेखिलाड़ियों को साथ लाना, उन्हें फुटबॉल प्रिमियर लीग की तर्ज पर खेलने का मौकादेना। आई पी एल को खेल की दुनिया में नई क्रांति माना गया था।इस क्रांति को लाने वाले ललित मोदी आई पी एल शुरू होने के दो साल के अंदर पुलिस के रडार पर आ गये थे।

जांच एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि आई पीएल में भारी आर्थिक घालमेल हो रहा है। इसके केंद्र में ललित मोदी थे। जैसे ही ललित से पूछताछ शुरू हुई वे देश छोड़कर फ़रार हो गये। मुंबई में इनकम टैक्स और ED केअधिकारियों ने उनसे पूछताछ की थी,लेकिन वह एक ही इंटरोगेशन सेशन के बाद देश छोड़कर निकल गए।

वे लंदन में रहते थे जिसकी जानकारी लगभग पूरी दुनिया को थी। भारतीय प्रशासन बार-बार ललित मोदी को वापस लाने की कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार नाकामी हाथ लगी।

इस दरमियान ललित मोदी ने प्रशांत महासागर में बसे द्वीपीय देश वानुआटू की नागरिकता लेने की कोशिश की। पिछले पंद्रह सालों से भारत से फ़रार ललित मोदी ने भारतीय प्रशासन को लगभग ठेंगा दिखा ही दिया था, उन्हें वानुआटू की नागरिकता मिलने ही वाली थी कि मामला पलट गया है। 

ताजा जानकारियों के अनुसार वानुआटू ने ललित मोदी की नागरिकता को रद्द करने का फैसला लिया है। वहां की सरकार का कहना है कि वे आर्थिक अपराधियों को शरण नहीं देंगे। वानुआटूके प्रधानमंत्री जोथम नापाट ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि मोदी का मकसद सिर्फ प्रत्यर्पण यानि वापस भारत भेजे जाने से बचना था। उनकी दिलचस्पी वैध नागरिकता पाने की नहीं थी।

वानुआटू के प्रधानमंत्री जोथम नापाट ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी सरकार आर्थिक अपराधियों को संरक्षण नहीं देगी। उन्होंने कहा- "मैंने नागरिकता आयोग को तुरंत ललित मोदी की नागरिकता रद्द करने का निर्देश दिया है।" प्रधानमंत्री नापाट ने यह भी कहा कि "मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला कि इंटरपोल ने दो बार भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को खारिज कर दिया क्योंकि उनके पास पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे। ऐसी किसी जानकारी के बाद ललित मोदी के नागरिकता आवेदन को खुद ब खुद खारिज किया ही जाना था।” 

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय दूतावास में अपना भारतीय पासपोर्ट रद्द करने का आवेदन दिया था। भारतीय एजेंसियाँ उसके बाद से ही सक्रिय हो गई थीं।

 ललित मोदी पर भारत में आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी के कई मामले लंबित हैं।

  • मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेक्स उल्लंघनः ललित मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) नियमों के उल्लंघन का आरोप है। ईडी  ने 2009 में हुए आईपीएल के टेलीविजन राइट्स सौदे को लेकर उनके खिलाफ कई मामलों में जांच शुरू की।

  • 425 करोड़ रुपये का टेलीविजन राइट्स घोटालाः 2009 में, ललित मोदी पर आरोप लगा कि उन्होंने World Sports Group को आईपीएल के मीडिया राइट्स बेचने में अनियमितता की। यह सौदा लगभग 425 करोड़ रुपये का था,और इसमें वित्तीय हेरफेर के गंभीर आरोप हैं। जांच एजेंसियों का कहना है कि इस सौदे से ललित मोदी ने निजी फायदा उठाया और पैसों को ग़लत तरीकेसे विदेश भेजा।

फ्रेंचाइज़ी विवाद और हितों का टकरावः 2010 में, मोदी पर आरोप लगे कि उन्होंने आईपीएल टीमों के फ्रेंचाइज़ी आवंटन में पक्षपात किया और अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की। उदाहरण के लिए, राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब जैसी टीमों के मालिकाना हक में उन्होंने कथित रूप से अपने करीबियों को लाभ पहुंचाया।

  • ब्लैकमनी और टैक्स चोरीः इनकम टैक्स विभाग ने भी ललित मोदी पर टैक्स चोरी के मामले दर्ज किए। आरोप है कि उन्होंने आईपीएल की की डील में काले धन का इस्तेमाल किया। इस वजह से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। 2010 में, जब ललित मोदी पर जांच का शिकंजा कसना शुरू हुआ, तो उन्होंने यूके भागने का फैसला लिया था।

लंदन में रहते हुए वे ऐशो-आराम की ज़िंदगी जी रहे थे। कुछ साल पहले वे एक बार और चर्चा में ये थे जब सोशल मीडिया पर पूर्व मिस यूनिवर्स और अभिनेत्री सुष्मिता सेन के साथ तस्वीरें शेयर की थीं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि वे सुष्मिता के साथ रोमांटिक रिश्ते में हैं हालांकि सुष्मिता सेन ने कभी इन बातों को हवा नहीं दी। 

सुष्मिता सेन के साथ ललित मोदी

भारत से भागने के बाद भी ललित मोदी सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहे हैं पर भारतीय एजेंसियाँ उन तक पहुँचने में सफल नहीं हो पाई। भारत की ढीली अपराधी प्रत्यर्पण नीति को भी इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह भी माना जाता है कि भारत सरकार उन्हें वापस लाने के लिए प्रभावी कूटनीतिक दबाव नहीं बना पा रही है।

आइए जानते हैं भारत ने ललित मोदी को वापस लाने के लिए अब तक क्या-क्या कोशिशें की हैं और क्यों ललित मोदी अब तक शिकंजे से बाहर हैं?

  • इंटरपोल ने भारत की रेड कॉर्नर नोटिस की मांग को दो बारठुकराया है
  • इन्टरपोल का कहना है कि भारतीय एजेंसियों के पास ललित मोदी के खिलाफ़ मजबूत साक्ष्य नहीं हैं।
ललित मोदी आर्थिक अपराध करके भारत से भागने वाले अकेले नहीं। इस लिस्ट में विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे अन्य अपराधी भी शामिल। वे भी इसी तरह विदेश भाग गए और भारतीय एजेंसियां उन्हें पकड़ने में असफल रहीं। 

हालांकि वानुआटू का पासपोर्ट रद्द होने के बाद, ललित मोदी की परेशानियां जरूर बढ़ गई हैं। अब उनके पास विदेश में सुरक्षित रहने के विकल्प सीमित हो रहे हैं। यह भारत की सरकार के लिए सुखद हो सकता है। अगर भारत सरकार दबाव बनाए और इंटरपोल को नए सबूत दे तो ललित मोदी को वापस लाया जा सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की एजेंसियां इन भगोड़े आरोपियों को वापस लाने के कोई कारगर रास्ता अपनाती है या नहीं या फिर ये आरोपी यूं ही सेफ हैवन तलाशते रहेंगे। देश की सरकार हाथ मलती रह जाएगी।

(रिपोर्टः अणु शक्ति सिंह और संपादनः यूसुफ किरमानी)