प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर सुर्खियों में हैं। ताज़ा मामला सत्ता के कथित दुरुपयोग के लिए पुणे से स्थानांतरित होने का है। लेकिन विवाद उनके चयन प्रक्रिया पर भी हो रहे हैं। एक विवाद तो उनको मानसिक रूप से दिव्यांगता की छूट को लेकर है और दूसरे ओबीसी के नॉन क्रिमी लेयर को लेकर।
सिविल सेवा परीक्षा में पूजा खेडकर के एटेम्प्ट के बारे में जानकारी सामने आई है। इसमें पता चला है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को पेश हलफनामे में दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा किया था। खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का उपयोग उनके यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था। परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद इन रियायतों के कारण उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफलता मिली।
चयन के बाद यूपीएससी ने उनकी विकलांगता की पुष्टि के लिए उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर इन परीक्षणों में शामिल होने से इनकार कर दिया।
दिल्ली के एम्स में उनकी पहली निर्धारित चिकित्सा जांच 22 अप्रैल, 2022 को थी, जिसे उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का दावा करते हुए छोड़ दिया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 26 और 27 मई को होने वाली अगली अप्वाइंटमेंट को भी छोड़ दिया गया। वह परीक्षणों से बचती रहीं। 1 जुलाई को एक और अप्वाइंटमेंट को छोड़ दिया। हालाँकि वह शुरू में 26 अगस्त, 2022 को एक चिकित्सा जाँच के लिए सहमत हुई थीं, लेकिन वह 2 सितंबर को महत्वपूर्ण एमआरआई के लिए नहीं आई, जिसका उद्देश्य उसकी आँखों की रोशनी का आकलन करना था।
इन परीक्षणों में शामिल होने के बजाय, खेडकर ने एक बाहरी केंद्र से एक एमआरआई रिपोर्ट पेश की, जिसे यूपीएससी ने खारिज कर दिया। इसके बाद यूपीएससी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में उनके चयन को चुनौती दी। इसने 23 फरवरी, 2023 को उनके ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इसके बावजूद बाद में उनके एमआरआई प्रमाण पत्र को स्वीकार कर लिया गया, जिससे उनकी आईएएस नियुक्ति की पुष्टि हुई।
विकलांगता के दावों के अलावा, ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के खेडकर के दावों में भी गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कहा कि पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई गई है। उनके पिता की संपत्ति को देखते हुए खेडकर का ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के लिए पात्रता सवालों के घेरे में है। दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी के टिकट पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।
एक्टिविस्ट ने कहा, 'ऐसी आय नॉन-क्रीमी लेयर में कैसे आ सकती है? उन्होंने मानसिक रूप से बीमार होने और कई विकलांगताओं से पीड़ित होने की बात स्वीकार की है। हालांकि, उन्होंने कई बार मेडिकल जाँच छोड़ दी हैं। वह आईएएस के लिए कैसे योग्य हो गईं? ये बड़े सवाल हैं।'
ये सब जानकारी तब सामने आयी है जब महाराष्ट्र सरकार ने सत्ता के दुरुपयोग की शिकायतों के कारण खेडकर को पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया था। यह कदम पुणे कलेक्टर डॉ. सुहास दिवासे द्वारा मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र के बाद उठाया गया है। खेडकर अब वाशिम में अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के पद पर काम करेंगी। पुणे में अपने प्रोबेशन के दौरान, खेडकर ने प्रोबेशनरी अधिकारियों को न दिए जाने वाले विशेषाधिकारों के लिए कई मांगें की थीं। उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया, अपने वाहन पर 'महाराष्ट्र सरकार' का बोर्ड लगाया और एक आधिकारिक कार, आवास, एक कार्यालय कक्ष और अतिरिक्त कर्मचारियों का अनुरोध किया।
यहां तक कि उन्होंने अतिरिक्त कलेक्टर की अनुपस्थिति में उनके पूर्व-कक्ष पर कब्जा कर लिया और कर्मचारियों को व्यक्तिगत कार्यालय देने का निर्देश दिया।