दलित मजदूर को मल खाने पर किया मजबूर, गिरफ़्तार 

01:45 pm Aug 13, 2019 | संजय राय - सत्य हिन्दी

संविधान लागू होने के लगभग छह दशक बीत जाने के बाद भी दलितों को मानव मल खाने को मजबूर किया जाता है। यह वाक़या उसी महाराष्ट्र का है, जहाँ डॉक्टर आंबेडकर का जन्म हुआ था। यह भी विडंबना है कि जिस पुणे में सूचना प्रौद्योगिकी जैसे आधुनिकतम तकनीक की पचासों कंपनियाँ काम कर रही हैं, वहां इस तरह की वारदात हुई और वह भी आंबेडकर के जन्मदिन के कुछ ही दिन पहले। 

बाबा साहब आम्बेडकर की जन्म और कर्म स्थली महाराष्ट्र से ऐसी ख़बर आए तो सवाल यह भी खडा हो जाता है कि और कितना समय लगेगा ऊँच-नीच और छुआछूत की इस खाई को पाटने के लिए। पुणे ज़िले को महाराष्ट्र की विद्या नगरी के नाम से जाना जाता है। उसी से सटा हुआ है हिन्जेवाडी। यह सूचना तकनीक क्षेत्र का वह केंद्र है, जहाँ भारत ही नहीं दुनिया की हर बड़ी आई टी कंपनी का मुख्यालय है। सूचना संचार तकनीक के नेटवर्क से जहाँ हिन्जेवाडी हमें तरक्की का स्वप्न दिखाता है, वहीं उसके पास ही बने ईट भट्टे में हुई यह वारदात हमें हमारे समाज में छुपे ऐसे क्रूर सच का साक्षात  कराती है जो कब ख़त्म होगा कहा नहीं जा सकता।

 घटना पुणे ज़िले के हिन्जेवाडी पुलिस स्टेशन क्षेत्र के मुल्शी तालुका के गाँव जाम्बे की है।  सूखा पीड़ित उस्मानाबाद ज़िले से रोज़गार की तलाश में आये सुनील पावले व उनके परिवार, जिसमें दादा -दादी और मां -पिता शामिल हैं, दो साल से इस ईट भट्टे पर कार्य कर रहे थे। 14 मार्च की दोपहर काम ख़त्म कर यह परिवार खाना खाने के बाद थोड़ा

 विश्राम कर रहा था। उसी समय ईट भट्टे का मालिक संदीप पवार आया और उसने सुनील को कहा, 'उठ काम शुरू कर।' सुनील के पिता ने कहा 'सेठ अभी -अभी खाना खाया है, थोड़ी देर में काम पर लग जायेंगें, थोडा आराम कर लेने दीजिये।' बताया जाता है कि यह जवाब सुनकर ईट भट्टा मालिक संदीप पवार नाराज़ हो गया। उसने गालियाँ देनी शुरू कर दीं। सुनील पवले और उसके पिता के साथ मारपीट भी की। बताया जाता है कि इसी दौरान सुनील पवले ने भी संदीप को गाली दे दी तो मामला और बढ़ गया। 

संदीप पवार सुनील को अपने बंगले पर ले गया और अपनी पत्नी को कहा कि एक बर्तन में भिष्ठा लेकर आओ, इसे खिलाना है। संदीप पवार ने उसे भिष्ठा खाने पर मज़बूर किया। बताया जाता है कि इस घटना के बाद सुनील की मां ने अपने बेटे को पुणे में उसके चाचा के पास भेज दिया। सुनील के पिता ने किसी तरह से गाडी भाड़े का इंतजाम कर अपनी पत्नी को अगले दिन पुणे भेजा। माँ-बेटे ने इस घटना की जानकारी हिन्जेवाडी पुलिस स्टेशन को दी। शुरुआत में तो पुलिस महज शिकायत (एन सी )दर्ज कर इस मामले को हलके में ले रही थी। 

लेकिन 'हेल्प ऑफ़ पीपल' नामक संस्था के स्वप्निल जाधव और उनके सहयोगियों ने तथा स्थानीय पत्रकारों ने दख़ल दिया तो मामले की एफ़आई़़आर दर्ज हुई। पुलिस ने पवार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504 और  506  के तहत मामला दर्ज किया है। 

सुनील पावले मातंग समाज (दलित ) से हैं और इस मामले में पुलिस ने अनुसूचित जाति /जनजाति एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया है। संदीप पवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। लेकिन यह घटना किसी सामान्य मारपीट की घटना के नज़रिये  नहीं देखी जा सकती। यह समाज में व्याप्त उस दूरी की तरफ भी इशारा करती है, जो हमें आदिम युग की ओर खींच ले जाती है। बाबा साहब आंबेडकर का संघर्ष और उसके बाद सरकारों द्वारा दिये जाने वाले नारे भी इस खाई को भर पाने में विफल रहे हैं।