महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाने वाले मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने अपनी अर्जी में अपने ट्रांसफ़र को चुनौती दी है। परमबीर सिंह को कमिश्नर पद से हटाकर डीजी, होमगार्ड बना दिया गया था।
परमबीर सिंह ने अर्जी में यह भी कहा है कि अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि देशमुख के घर के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज की भी जांच होनी चाहिए।
परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख चाहते थे कि पुलिस अधिकारी सचिन वाजे मुंबई में होटल और बार से उनके लिए हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करें जिसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया था।
कौन सच्चा, कौन झूठा
परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों का मामला बेहद पेचीदा हो गया है क्योंकि सोमवार को इस मामले में एनसीपी प्रमुख एनसीपी प्रमुख शरद पवार की और बीजेपी आमने-सामने आ गए। देशमुख की सफाई के बाद मामला और उलझ गया।
पवार ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स की। इसमें उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह द्वारा लगाया गया यह आरोप कि फरवरी में सचिन वाजे और अनिल देशमुख की मुलाक़ात हुई थी, यह गलत है। उन्होंने कहा कि 5 से 15 फरवरी तक देशमुख कोरोना संक्रमण के कारण नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे और 16 से 27 फ़रवरी तक वह घर में आइसोलेट थे।
पवार ने कहा कि पहले उन्हें यह लगा कि यह मामला गंभीर है लेकिन देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने के दस्तावेज़ और इस बात की जानकारी मिलने के बाद विपक्ष के द्वारा देशमुख के इस्तीफ़े की मांग में कोई दम नहीं है।
लेकिन पवार की प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दौरान ही बीजेपी की आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट कर इस मामले को रोचक बना दिया। मालवीय ने 15 फ़रवरी को अनिल देशमुख की प्रेस कॉन्फ्रेन्स का एक वीडियो री ट्वीट किया और कहा कि पवार का यह झूठ गिर गया है।
अब यहां सवाल ये खड़ा होता है कि आख़िर पवार ने देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने का जो पर्चा पत्रकारों को दिखाया है, क्या वह फर्जी है। क्योंकि मालवीय के ट्वीट के बाद यह साफ हो गया है कि देशमुख 15 फ़रवरी को प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर रहे थे। पत्रकारों के मालवीय के इस ट्वीट को लेकर पूछे गए सवाल पर पवार कुछ ज़्यादा साफ जवाब नहीं दे सके और उन्होंने देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने के कागज को ही बार-बार दिखाया।
लेकिन थोड़ी ही देर में अनिल देशमुख सामने आ गए और उन्होंने कहा है कि वह 15 फरवरी तक अस्पताल में थे और उन्होंने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसके गेट पर ही प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी।ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि किसका दावा सही है।