बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न के आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। विपक्ष ने इसे सबूत नष्ट करने की चाल बताया है और आरोप लगाया है कि संस्थान का स्वामित्व भाजपा नेता के पास था। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि हथकड़ी पहने हुए व्यक्ति के लिए गोली चलाना संभव नहीं है।
महायुति सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर तब शुरू हुए जब बदलापुर स्कूल में दो बच्चियों से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार अक्षय शिंदे को सोमवार को पुलिस ने गोली मार दी। पुलिस के अनुसार आरोपी ने एक अधिकारी का हथियार छीन लिया और पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इस घटना में पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए। इसी दौरान मुठभेड़ में आरोपी मारा गया। पुलिस के अनुसार, शाम क़रीब 5.30 बजे पुलिस वाहन में जेल से ले जाए जाने के दौरान मुंब्रा बाईपास पर मुठभेड़ हुई। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने कुल तीन राउंड फायरिंग की और इस घटना में एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया।
अक्षय शिंदे की मौत ने विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में राजनीतिक गहमागहमी को बढ़ा दिया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार घटनाओं की श्रृंखला पर सवाल उठाते हुए अनिल देशमुख ने कहा, 'जब अक्षय शिंदे के दोनों हाथ बंधे हुए थे, तो वह गोली कैसे चला सकता था? जिस स्कूल की बात हो रही है, वह भाजपा नेता का है। इस घटना को दबाने की शुरू से कोशिश की जा रही है और मुठभेड़ करके मामले को खत्म कर दिया गया है। इस घटना की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराई जानी चाहिए।'
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह घटनाक्रम महाराष्ट्र में कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली का पूर्ण रूप से विफल होना बताता है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने इसे महाराष्ट्र पुलिस के लिए काला दिन कहा।
चव्हाण ने कहा, 'उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। कोई भी यह विश्वास नहीं करेगा कि यह मुठभेड़ थी। मैंने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से जांच की मांग की है, जो उसी समय मुंबई में थे। मुझे विश्वास नहीं है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत महाराष्ट्र पुलिस न्याय कर पाएगी। इस अपराध के असली अपराधियों का कभी पता नहीं चलेगा।'
इस बीच आरोपी के माता-पिता ने भी पुलिस के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिंदे की हत्या बड़ी साजिश के तहत की गई। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी की मां अलका शिंदे ने कहा, 'मेरा बेटा पटाखे फोड़ने और सड़क पार करने से डरता था। वह पुलिसकर्मियों पर गोली कैसे चला सकता है।'
सत्तारूढ़ महायुति ने विपक्ष पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन्हीं नेताओं ने पहले अक्षय शिंदे को फांसी देने की मांग की थी। शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने कहा, 'पुलिस पर हमला हुआ, फिर भी विपक्ष राजनीति कर रहा है। क्या उन्होंने पुलिसकर्मियों से उनकी खैरियत पूछी? पहले विपक्षी दलों ने अक्षय शिंदे को फांसी देने की मांग की थी और आज वे उसी आरोपी का समर्थन कर रहे हैं और उसके पक्ष में बोल रहे हैं।'
विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सहानुभूति पाने के लिए आरोपी की हत्या के आरोपों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विपक्ष उनकी सरकार की लड़की बहन योजना की सफलता से बौखला गया है। शिंदे ने कहा, 'विपक्षी नेताओं का ऐसा कृत्य निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है।'