मनसुख हिरेन हत्या मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। स्पेशल एनआईए कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट में एनआईए ने कहा है कि मुंबई पुलिस के बर्खास्त पुलिस अफसर सचिन वाज़े ने मनसुख हिरेन की हत्या की सुपारी पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को दी थी। इसके लिए वाज़े ने प्रदीप शर्मा को एक मोटी रक़म अदा की थी। इसके बाद शर्मा ने अपने पंटरों के ज़रिए मनसुख को मौत के घाट उतार दिया था। मनसुख हिरेन की 4 मार्च को ठाणे के कलवा में हत्या की गई थी और उसकी बॉडी को खाड़ी में फेंक दिया था। इस पर काफ़ी राजनीतिक बवाल हुआ था और सचिन वाज़े समेत प्रदीप शर्मा तक की गिरफ्तारी हुई थी।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है कि जब मनसुख हिरेन की 4 मार्च को हत्या की गई थी, उससे पहले उनकी हत्या की साज़िश पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के साथ मिलकर रची गई थी। सचिन वाज़े प्रदीप शर्मा को अपना गुरु मानता था और अपनी सभी बातें उसके साथ शेयर किया करता था।
चार्जशीट के अनुसार, वाज़े जब एंटीलिया विस्फोटक मामले में अपने आप को घिरा हुआ देख रहा था तो उसने इस पूरे मामले की जानकारी प्रदीप शर्मा को दी थी। इसके बाद प्रदीप शर्मा ने ही वाज़े को आईडिया दिया कि इस पूरे मामले से मनसुख हिरेन को ही हटा दिया जाए। इसके बाद सचिन वाज़े ने मनसुख हिरेन की हत्या को अंजाम देने के लिए प्रदीप शर्मा को एक मोटी रक़म दी।
एनआईए ने चार्जशीट में दावा किया है कि प्रदीप शर्मा ने मनसुख की हत्या के लिए संतोष शेलार नाम के शख्स से संपर्क किया और उसे हिरेन की हत्या के बदले मोटी रक़म देने की बात कही। जब शेलार इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए तैयार हो गया तो सचिन वाज़े ने 2 मार्च को मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के दफ्तर में प्रदीप शर्मा और क्राइम ब्रांच के ही दूसरे अफसर सुनील माने को भी बुलाया।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में यह भी बताया है कि जिस समय प्रदीप शर्मा और सुनील माने को सचिन वाज़े ने अपने दफ्तर बुलाया उस समय मनसुख हिरेन भी वहाँ पर मौजूद था। वाज़े ने एनआईए के अधिकारियों के सामने कुबूल किया था कि मनसुख हिरेन की पहचान के लिए ही प्रदीप शर्मा और सुनील माने को सीआईयू के दफ्तर बुलाया गया था।
3 मार्च को सचिन वाज़े ने मुंबई क्राइम ब्रांच के बर्खास्त पुलिस अफ़सर सुनील माने को एक मोबाइल और एक सिम कार्ड दिया। इसी सिम कार्ड से सुनील माने ने मनसुख हिरेन को 3 मार्च की रात को तावड़े नाम बता कर फोन किया था और उसे कांदिवली में मिलने के लिए बुलाया था।
जिसके बाद जब मनसुख हिरेन सुनील माने से मिलने आया तो उसने मनसुख को संतोष शेलार से मिलाकर उसे शेलार के हवाले कर दिया। संतोष उसे अपने एक साथी के साथ लेकर ठाणे की तरफ़ चल चला गया एवं कार में ही मनसुख हिरेन की हत्या कर दी और शव को ठाणे की खाड़ी में फेंक दिया।
एनआईए ने चार्जशीट में दावा किया है कि मनसुख हिरेन की हत्या करने के बाद कॉन्ट्रैक्ट किलर संतोष शेलार अपने साथी सतीश और मनीष सोनी के साथ मुंबई से बाहर चले गए और उसके बाद लखनऊ होते हुए नेपाल भाग गए। मनीष सोनी सट्टेबाज़ी का भी काम करता था इसलिए प्रदीप शर्मा पर उसको शक था कि कहीं मनीष सोनी को जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया तो वह सभी का राज खोल देगा। इसलिए सोनी को दुबई भेजने का भी प्लान बना लिया गया था, लेकिन इससे पहले ही महाराष्ट्र एटीएस ने संतोष शेलार और मनीष सोनी को गिरफ्तार कर लिया।
पहले मनसुख हत्याकांड की जांच महाराष्ट्र एटीएस कर रही थी लेकिन अदालत के आदेश के बाद यह जांच भी एनआईए ने अपने हाथ में ले ली। सचिन वाज़े ने एनआईए के सामने कुबूल किया कि उसका मक़सद उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाना था क्योंकि वह पिछले कई साल से पुलिस विभाग से सस्पेंड चल रहा था जिसके बाद वह आरोपी प्रदीप शर्मा और सुनील माने के साथ मिलकर मुंबई क्राइम जगत में अपना साम्राज्य दोबारा स्थापित करना चाहता था जिसके चलते उसने इन दोनों वारदातों को अंजाम दिया।
मुकेश अंबानी से रुपये ऐंठना चाहता था वाज़े: एनआईए
एनआईए की चार्जशीट के अनुसार, 25 फ़रवरी को मुकेश अंबानी के घर के पास एक वाहन में विस्फोटक लगाने के मास्टरमाइंड सचिन वाज़े ने उद्योगपति से पैसे ऐंठने की साज़िश रची थी। चार्जशीट में कहा गया है, 'इसका इरादा स्पष्ट रूप से अमीर और समृद्ध लोगों को आतंकित करने का था... गंभीर परिणाम का डर दिखाकर पैसा वसूल करना।' इस साजिश में कथित तौर पर पूर्व एनकाउंटर प्रदीप शर्मा सहित पाँच सेवारत और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी शामिल थे। एनआईए का कहना है कि उन्होंने पांच अन्य लोगों को शामिल किया था, जिनमें से कुछ का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड था।