केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के इस बयान पर कि मार्च तक महाराष्ट्र में बीजेपी अपनी सरकार बना लेगी, राज्य की महा विकास अघाडी सरकार के नेताओं ने प्रतिक्रया दी है।
बता दें कि महाराष्ट्र बीजेपी के कई और नेता अघाडी सरकार के गिर जाने के दावे करते रहे हैं। लेकिन अघाडी सरकार में शामिल दलों के नेता उनके इन दावों की खिल्ली उड़ाते हैं। शनिवार को ही अघाडी सरकार ने सत्ता में दो साल पूरे कर लिए हैं।
राणे के बयान पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि बीजेपी के नेताओं की इस तरह की बातों पर कोई भरोसा नहीं करता है और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। जबकि एनसीपी के मंत्री नवाब मलिक ने कहा है कि यह ख्याली पुलाव पकाने जैसा है।
परिवहन मंत्री और शिव सेना नेता अनिल परब ने कहा है कि राणे के बयान का कोई मतलब नहीं है। बीजेपी और शिव सेना 2019 तक महाराष्ट्र की राजनीति में साथ ही थे लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए घमासान के बाद उनकी राहें जुदा हो गई थीं।
कुछ महीने पहले राणे को उनकी एक विवादास्पद टिप्पणी के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा था कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कान के नीचे एक थप्पड़ लगा देते, उनके इस बयान पर महाराष्ट्र में ख़ूब बवाल हुआ था। बाद में वह जमानत पर रिहा हो गए थे।
पुरानी है राणे-ठाकरे की अदावत
नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच पुरानी सियासी अदावत रही है। राणे ने अपना राजनीतिक करियर शिव सेना से ही शुरू किया था। वह शिव सेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के बेहद करीबियों में शुमार होते थे।
राणे शिव सेना में शाखा प्रमुख जैसे शुरुआती दायित्व से चलकर बाला साहेब के आशीर्वाद से 1999 में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए। लेकिन 2003 में जब उद्धव ठाकरे को शिव सेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो राणे ने इसका पुरजोर विरोध किया और उनका विरोध जारी रहने के बाद 2005 में बाला साहेब ठाकरे ने राणे को पार्टी से बाहर कर दिया।
शिव सेना छोड़ने के बाद राणे कांग्रेस में आए लेकिन 2017 में उन्होंने कांग्रेस भी छोड़ दी। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा पूरा नहीं किया। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाई और फिर उसका बीजेपी में विलय कर दिया। राणे के बेटे नितेश राणे भी विधायक हैं।