महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: शिंदे सरकार ने भी पास किया प्रस्ताव

02:54 pm Dec 27, 2022 | सत्य ब्यूरो

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहे सीमा विवाद के मामले में अब महाराष्ट्र की विधानसभा ने भी प्रस्ताव पास कर दिया है। मंगलवार को राज्य सरकार के द्वारा विधानसभा में रखे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक की सीमा में पड़ने वाले 865 गांवों में मराठी भाषा बोली जाती है और इन गांवों की एक-एक इंच जमीन को महाराष्ट्र में लाया जाएगा। 

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में भी जो लड़ाई लड़नी होगी, वह महाराष्ट्र सरकार लड़ेगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि बेलगाम, कारवार, बीदर, निपानी, भाल्की महाराष्ट्र के हिस्से हैं। विधानसभा ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया है। 

पिछले हफ्ते कर्नाटक की सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर कहा था कि कर्नाटक की 1 इंच जमीन भी महाराष्ट्र को नहीं दी जाएगी। कर्नाटक ने हाल ही में महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर भी अपना दावा जताया था और इसके बाद दोनों राज्य सरकारों के बीच जंग तेज हो गई थी। 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विधानसभा में शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद संजय राउत को चीन का एजेंट बताया था। संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी के नेता कर्नाटक में कुछ इसी तरह घुसेंगे जिस तरह चीन भारत की सीमा में घुसा है। संजय राउत ने कहा था कि हम कर्नाटक में जाएंगे और हमें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है।

इस मामले को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गर्म थी और महा विकास आघाडी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करने में फेल रही है और सीमा विवाद के मुद्दे पर उसका स्टैंड बेहद कमजोर है। 

महाराष्ट्र के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने इसे उकसावा बताया है।

उद्धव ने सुझाया फार्मूला 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीमा विवाद के मामले में एक फार्मूला सुझाते हुए कहा है कि महाराष्ट्र-कर्नाटक की सीमा पर मराठी भाषी लोग कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। उनके रहने-सहने का ढंग, बोलचाल की भाषा सब कुछ महाराष्ट्र जैसा ही है। उन्होंने कहा कि जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है, केंद्र सरकार को कर्नाटक के द्वारा कब्जा किए गए महाराष्ट्र के इलाके को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए। 

बताना होगा कि बेलगावी को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक वर्षों से आमने-सामने हैं और बीते कुछ महीनों में यह लड़ाई और तेज हुई है। बेलगावी जिला कर्नाटक में पड़ता है लेकिन महाराष्ट्र इस पर अपना अधिकार जताता है। 

कुछ दिन पहले जब महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्रियों ने बेलगावी जिले में आने की बात कही थी तो कर्नाटक ने इसका विरोध किया था। बेलगावी जिले के प्रशासन ने यहां महाराष्ट्र के मंत्रियों के आने पर रोक लगा दी थी और कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी। इसके बाद मंत्रियों ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था। 

उस दौरान महाराष्ट्र से कर्नाटक आ रहे ट्रक को बेलगावी में रोक लिया गया था और उस पर पत्थर फेंके गए थे। तब कर्नाटक रक्षण वैदिके नाम के संगठन के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया था। 

इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा था।

पिछले साल दिसंबर में सीमा विवाद तब भड़क गया था जब किसी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर इंक फेंक दी थी। इसके बाद महाराष्ट्र के लोगों ने बेलगावी में प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था और उन्होंने एक दर्जन से ज़्यादा गाड़ियों को पत्थरबाज़ी कर चकनाचूर कर दिया था। तनाव को देखते हुए बेलगावी में ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई थी।