बीजेपी अगर महाराष्ट्र की विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो क्या शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर राज्य में सरकार बना सकते हैं पहले ऐसे संकेत मिले थे कि कांग्रेस आलाकमान शिवसेना को समर्थन देने के लिये राजी नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के आला नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से कहा है कि वह बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिये ज़रूरी क़दम उठाने के बारे में विचार करें। महाराष्ट्र से कांग्रेस के सांसद हुसैन दलवई ने कुछ दिन पहले शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने का समर्थन किया था और सोनिया गाँधी को चिट्ठी भी लिखी थी। इसके अलावा भी कई कांग्रेस नेता इसके पक्ष में दिखते हैं।
अब शिवसेना की ओर से जो ताज़ा बयान आया है, उससे लगता है कि शिवसेना और कांग्रेस एक-दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस महाराष्ट्र की दुश्मन नहीं है और उसके साथ शिवसेना के केवल राजनीतिक मतभेद हैं। राउत ने कांग्रेस के पुराने नेता यशवंत राव चव्हाण और शरद पवार की तारीफ़ करते हुए दोनों को ही अच्छा नेता बताया और कहा कि दोनों ने महाराष्ट्र की बेहतरी के लिये काम किया है। राउत ने कहा कि अगर कांग्रेस ने महाराष्ट्र में स्थिर सरकार बनाने का फ़ैसला करती है तो यह राज्य के लिये अच्छी बात है।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने के निमंत्रण के बाद बीजेपी तैयारियों में जुट गई है। बीजेपी राज्य में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति बना रही है। राज्यपाल ने उनसे 11 नवंबर तक बहुमत साबित करने के लिये कहा है।
इस पर संजय राउत ने पत्रकारों से कहा, ‘राज्यपाल ने सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिये बुलाया है और सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का दावा करना भी होगा। हम नहीं जानते कि वे (बीजेपी) अभी तक क्यों इसका इंतजार कर रहे थे, वे दूसरे राज्यों में कम सीटें होने के बाद भी ऐसा कर चुके हैं। हम राज्यपाल के निमंत्रण देने के क़दम का स्वागत करते हैं।’
शिवसेना की भविष्य की रणनीति क्या होगी, इस बारे में शिवसेना नेता राउत ने कहा, ‘राज्यपाल के क़दम के बाद स्थिति साफ़ हो जाने दीजिए। शिवसेना अपनी रणनीति के बारे में तब बताएगी जब कोई भी सरकार बनाने में सक्षम नहीं होगा।’ राउत ने कहा कि अगर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करती है तो शिवसेना दावा पेश करेगी।
राउत पहले भी शिवसेना की ओर से सरकार बनाने का दावा कर चुके हैं और यहाँ तक कह चुके हैं कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है। राउत के दावे को लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं क्योंकि जिस दल को विधानसभा चुनाव में 56 सीटें मिली हैं और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन उसे हासिल है, ऐसे में कैसे वह 170 विधायकों के समर्थन का दावा कर सकता है। इसका मतलब यह है कि शिवसेना की कांग्रेस-एनसीपी से पर्दे के पीछे कोई बातचीत चल रही है।
पत्रकारों के द्वारा यह पूछे जाने पर कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा, राउत ने अपनी पुरानी बात दुहराते हुए कहा, 'हम कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।'
बीजेपी पर हमला जारी रखते हुए शिवसेना ने बीजेपी की तुलना हिटलर से की है। शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र दिल्ली का ग़ुलाम नहीं है। इससे पहले भी शिवसेना की ओर से कहा जा चुका है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी का फ़ैसला महाराष्ट्र में होगा न कि दिल्ली से।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के ताज़ा संपादकीय में एक बार फिर से कहा गया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी के मुख्यमंत्री की ज़रूरत नहीं है और पार्टी देवेंद्र फडणवीस से बात करने के लिये तैयार नहीं है।
शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, ‘चुनाव नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था। लेकिन 15 दिन बाद भी फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली है क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के मामले से ख़ुद को दूर रखा है।’ शिवसेना ने एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिये समर्थन देने से इनकार किया है।
शिवसेना ने कहा है कि दूसरों को डराने की चालों के बाद भी बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और अब एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। शिवसेना का इशारा चुनाव से पहले दल-बदल कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं की ओर हो सकता है। क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेता बीजेपी में शामिल हुए थे और यह कहा गया था कि इनमें से कई नेताओं को जाँच एजेंसियों के द्वारा कथित रूप से डराया गया।
संपादकीय में लिखा गया है कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे तय करेंगे कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की इसमें अहम भूमिका रहेगी, क्योंकि महाराष्ट्र के लोग अब बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं चाहते।
इससे पहले शनिवार रात को उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने एक होटल में ठहराये गये पार्टी के विधायकों के साथ मुलाक़ात की। शिवसेना ने कुछ दिन पहले बीजेपी पर उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया था और अपने विधायकों को ख़रीद-फरोख़्त से बचाने के लिये एक होटल में ठहराया है।
शिवसेना के कांग्रेस के प्रति नरम होते रुख और यह कहना कि मुख्यमंत्री के चयन में शरद पवार की अहम भूमिका रहेगी, इससे संकेत मिलते हैं कि राज्य में तीनों दलों मिलकर सरकार का गठन कर सकते हैं। क्योंकि ऐसी भी ख़बरें हैं कि शिवसेना-एनसीपी मिलकर राज्य में सरकार बनाएंगे और कांग्रेस इसे बाहर से समर्थन देगी।
कांग्रेस में चल रहा मंथन
शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस में मंथन चल रहा है। पार्टी ने अपने विधायकों को ख़रीद-फरोख़्त से बचाने के लिये जयपुर में एक होटल में ठहराया हुआ है। ख़बरों के मुताबिक़, राज्य के कई कांग्रेस विधायकों ने शिवसेना को समर्थन देने की इच्छा व्यक्त की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जयपुर में विधायकों से मुलाक़ात कर उनकी इच्छा जानने की कोशिश की है। बताया जा रहा है कि खड़गे रविवार को ही महाराष्ट्र में सरकार गठन के मसले पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात करने वाले हैं।