महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि वह राज्य विधान परिषद का चुनाव कराने का जल्द एलान करे।
इसे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए राहत कहा जा सकता है क्योंकि वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं और जल्द ही उनके कार्यकाल के छह महीने पूरे हो रहे हैं। उस समय तक वह किसी सदन का सदस्य नहीं बन गए तो उन्हें पद से हटना होगा। इससे राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है और राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।
ठाकरे ने मोदी से की बात
राज्यपाल ने यह कदम तब उठाया है जब एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से बात की। उन्होंने कहा भी था कि राजभवन तक संकेत सही समय में पहुँच जाएगा। यह अहम इसलिए है कि 28 मई तक उद्धव ठाकरे किसी सदन का सदस्य नहीं बने तो उन्हें पद से हटना होगा।
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ठाकरे ने विधानमंडल में उनके मनोनयन को लेकर प्रदेश में खेले जा रहे राजनीतिक 'खेल' पर नाराज़गी जताई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने दो बार प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल से सिफ़ारिश की थी कि वह उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर दें। पर राज्यपाल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
सवाल यह उठने लगा था कि ऐसे समय जब कोरोना संकट से पूरा देश जूझ रहा है और महाराष्ट्र में संकट सबसे गहरा है, राज्यपाल संवैधानिक और राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रहे हैं। वह इस पर राजनीति कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री बने थे। तब से वह विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। संविधान के क़ायदे के अनुसार, मंत्री या मुख्यमंत्री को छह महीने के अंदर सदस्य बन जाना होता है। इस हिसाब से उद्धव के पास विधिवत विधायक बनने के लिए छह महीने यानी 27 मई तक की मोहलत है। चुनाव आयोग 24 अप्रैल को विधान परिषद की नौ सीटों के लिए चुनाव करवाने की अधिसूचना जारी कर चुका था, लेकिन कोरोना और इसके बाद लॉकडाउन के कारण चुनाव को टाल दिया गया।