मुंबई : टीपू सुलतान पर पार्क के नामकरण के ख़िलाफ़ हिन्दू संगठन

07:07 pm Jul 15, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मुंबई के एक पार्क का नाम टीपू सुलतान पर रखने के प्रस्ताव का विरोध कुछ कट्टरपंथी हिन्दू कर रहे हैं।

हिन्दू जनजागृति समिति का कहना है कि टीपू सुलतान हिन्दू विरोधी थे, क्रूर थे, हिन्दुओं को ज़बरन मुसलमान बनाया था, ऐसे आदमी के नाम पर पार्क का नामकरण करने से हिन्दुओं की भावनाएं आहत होंगी। 

शाही नाका इलाक़े में देवनार डंपिंग ग्राउंड के नज़दीक दो एकड़ का यह पार्क बहुत दिनों से उपेक्षित, गंदा और अतिक्रमण का शिकार था। इसे ठीक कर, इसकी साफ सफाई कर इसे नया नाम देने की कोशिश की जा रही है। 

विरोध क्यों?

हिन्दू जनजागृति समिति ने टीपू सुलतान के नाम पर इसका नामकरण करने का विरोध किया है। समिति के सदस्यों ने मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर से मुलाक़ात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है और इस प्रस्ताव का विरोध किया है। 

समिति के प्रवक्ता डॉक्टर उदय धुरी ने मेयर को लिखी चिट्ठी में कहा है,

टीपू सुलतान क्रूर राजा था, जिसने हिन्दुओं को हत्या की थी, हम पार्क का नामकरण उसके नाम पर कराने के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि उसने हिन्दुओं को ज़बरन मुसलमान बनाया था।


हिन्दू जनजागृति समिति

क्या कहना है हिन्दू संगठन का?

समिति ने इस चिट्ठी में इसके आगे लिखा है, 'टीपू सुलतान ने हिन्दू मंदिरों को ढहाया था और उसके शासनकाल में हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार हुए थे। उसके नाम पर पार्क का नामरकण हिन्दू समुदाय बर्दाश्त नहीं कर सकता है।' 

समिति ने इसके आगे कहा है कि 'आज टीपू सुलतान के नाम पर पार्क का नामकरण किया जा रहा है, कल किसी मुग़ल राजा के नाम पर ऐसा किया जा सकता है। पार्क का नामकरण शिवाजी महाराज के नाम होना चाहिए, जिनके लिए सारे धर्म बराबर थे।' 

क्या कहना है समाजवादी पार्टी का?

लेकिन समाजवादी पार्टी की रुखसाना सिद्दिक़ी इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं, उन्हें इतिहास की समझ नहीं है। टीपू सुलतान वे राजा थे, जिन्होंने सबसे पहले अंग्रेज़ों का विरोध किया था और उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी। 

बहरहाल, नामकरण पर यह विवाद अभी ख़त्म नहीं हुआ है, लेकिन यह इस तरह का पहला विवाद नहीं है। इसके पहले जब शिवसेना के राहुल शेवले ने घाटकोपर-मानखुर्द लिंक रोड का नामकरण सूफ़ी संत ग़रीब नवाज़ मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर करना चाहा था, तो उसका भी ज़बरदस्त विरोध हुआ था।