फडणवीस मोदी-शाह से मिले, लेकिन मंत्रिमंडल पर स्थिति साफ नहीं, शिंदे तमाशाई
महाराष्ट्र में महायुति को बहुमत मिले हुए तीन हफ्ते हो चुके हैं। लेकिन अभी तक महाराष्ट्र सरकार की शक्ल के रूप में सिर्फ सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार ही सामने आये हैं। शेष मंत्रियों का पता नहीं है। महायुति में भाजपा, शिवसेना और एनसीपी हैं। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस अपने डिप्टी सीएम के साथ बुधवार देर रात दिल्ली पहुंचे और सबसे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गुरुवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब तीनों दल शेष विवादास्पद मुद्दे के समाधान के लिए केंद्रीय भाजपा नेताओं से हस्तक्षेप का अनुरोध कर रहे हैं। यह बात नोट की जानी चाहिए कि दूसरे डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे इन लोगों के साथ नहीं आये। इसलिए महाराष्ट्र को लेकर तमाम चर्चा का बाजार गर्म है।
फडणवीस और पवार की दिल्ली यात्रा से साफ हो गया कि कैबिनेट गठन को लेकर महायुति गठबंधन में मतभेद बरकरार है। अगर ऐसा न होता तो परेशान फडणवीस को दिल्ली दरबार के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। फडणवीस को जेपी नड्डा जैसे नेता से भी बैठक करना पड़ रही है, जबकि भाजपा में फडणवीस अब तीसरे नंबर के नेता बनने की कगार पर हैं।
बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि फडणवीस, शिंदे और अजित पवार बीजेपी के लिए 22, शिवसेना के लिए 11 और एनसीपी के लिए 10 मंत्री पद के बंटवारे पर सहमत हुए थे। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 ही मंत्री बन सकते हैं।
शिंदे गृह विभाग के लिए अड़े हुए हैं। मंत्रियों की संख्या भी बदल सकती है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर शिवसेना और एनसीपी अधिक पद मांगती हैं, तो उन्हें कम महत्वपूर्ण विभाग सौंपे जाने की संभावना है। गृह और राजस्व सहित प्रमुख विभाग भाजपा अपने पास ही रखना चाहती है। लेकिन शिंदे के गृह विभाग पर जोर देने से मामला फंस गया है। शिंदे को शहरी विकास विभाग दिया गया है, और वित्त विभाग एनसीपी के पास जाएगा।
महायुति में बढ़ते मतभेद
नतीजे आने के बाद शिवसेना शुरू से इस बात पर जोर दे रही थी कि एकनाथ शिंदे को फिर से सीएम बनाया जाए। क्योंकि शिंदे के नेतृत्व में जीत हासिल की गई है। हालाँकि, भाजपा भी मजबूती से अड़ी रही और फडणवीस को सीएम बनवाकर ही वो मानी। शिंदे के पास विद्रोह करने का सीमित विकल्प है, क्योंकि भाजपा को बहुमत हासिल करने के लिए सिर्फ एनसीपी के समर्थन की जरूरत है। सार्वजनिक रूप से, शिंदे ने कहा कि वह सरकार बनने से नहीं रोकेंगे।खुद शिंदे ने भी 5 दिसंबर को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। लेकिन अब फडणवीस और पवार जब दिल्ली पहुंच चुके हैं और शिंदे गायब हैं तो उनकी गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में तमा सवाल खड़े कर दिए हैं। लग यही रहा है कि अगर शिंदे होम डिपार्टमेंट के मुद्दे पर नहीं मानते हैं तो भाजपा फिर पवार को साथ रखेगी और शिंदे को महायुति से जाने के लिए कहा जा सकता है। इसी की अनुमति मांगने फडणवीस दिल्ली आये हैं।
उधर, महाराष्ट्र के तमाम गांवों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि महायुति ने ईवीएम के दम पर सत्ता हासिल की है। क्योंकि जनता ने तो एमवीए को वोट दिया था। कई गांवों ने मॉक ड्रिल की तरह बैलेट से मतदान करवा कर लोगों के वोट की राय जाननी चाही, लेकिन उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई। उनकी गतिविधि को रोक दिया गया। समझा जाता है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने भेद खुलने के डर से जनता को मॉक ड्रिल नहीं करने दिया। इस बीच चुनाव आयोग से मांग की गई है कि वो हर बूथ का डेटा जारी करे। महाराष्ट्र में ईवीएम धांधली का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी जा रहा है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)