धुले लोकसभा सीट पर लगातार 6 बार जीत का परचम लहराकर बीजेपी ने इसे अपना गढ़ बना लिया था, लेकिन अब प्रज्ञा ठाकुर के बयानों के बाद बीजेपी की राह यहाँ आसान नहीं रह गयी। मालेगाँव इसी लोकसभा का हिस्सा है और इसलिए मालेगाँव बम बलास्ट और प्रज्ञा ठाकुर को लेकर देश भर में जो चर्चाएँ चल रही हैं उसका असर यहाँ के मतदाताओं पर हो रहा है। प्रज्ञा ठाकुर के आरोप इस समय देश भर में चर्चा का विषय बने हुए हैं और उसका कारण है उनका बीजेपी के टिकट से भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना। यूँ तो आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े दर्जनों लोग चुनाव लड़ रहे हैं और प्रज्ञा ठाकुर भी उनमें से एक हैं। वह इतनी विवादास्पद भी नहीं बनतीं, लेकिन वह कथित ‘भगवा आतंक’ के प्रोपगंडा का चेहरा हैं और अपना चेहरा चमकाने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस के एक ऐसे अधिकारी के ऊपर सवाल खड़े कर दिए जो अपनी निडरता और ईमानदारी के लिए जाना जाता था। इन आरोपों के बाद साल 2008 के मालेगाँव बम धमाकों की गूँज राजनीतिक मंचों पर सुनायी देने लगी।
ताज़ा विवाद के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के अपराधों से जुड़ा हर पन्ना मीडिया की सुर्खियाँ बनने लगा, लेकिन मालेगाँव में क्या चल रहा है और प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद क्या वहाँ के लोगों के ज़हन में उन बम धमाकों की यादें ताज़ा हो गयी हैं
मालेगाँव महाराष्ट्र की धुले लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें हैं सिंदखेड़ा और धुले शहर बीजेपी के पास है, मालेगाँव आउटर शिवसेना के पास, धुले ग्रामीण और मालेगाँव सेंट्रल कांग्रेस के पास और बागलाण एनसीपी के पास है। विधायकों की संख्या बल को देखें तो दोनों गठबन्धनों के पास तीन-तीन विधानसभाएँ हैं। यह लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 1996 के बाद से यहाँ कभी कांग्रेस जीतने में सफल नहीं रही। 2014 में बीजेपी के डॉक्टर सुभाष भामरे चुनाव जीतकर आए थे और पार्टी ने इस बार फिर उन्हें मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री रोहिदास पाटिल के बेटे और विधायक कुणाल पाटिल को मैदान में उतारा है।
बीजेपी के दिग्गज नेता एकनाथ खड़से का इस क्षेत्र पर प्रभाव हुआ करता था, लेकिन उन पर घोटाले के आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धुले की कमान महाराष्ट्र सरकार में अपने सबसे क़रीबी मंत्री गिरीश महाजन को दे रखी है। पहले तो उन्हें इस इलाक़े में कमज़ोर समझा जा रहा था, लेकिन धुले महानगरपालिका पर बीजेपी को उन्होंने एकतरफ़ा सफलता दिलाई। इससे लोकसभा में बीजेपी की एक बार फिर से जीत की आस बढ़ गई थी, लेकिन प्रज्ञा ठाकुर एपिसोड के बाद वोटों का ध्रुवीकरण तेज़ी से हो रहा है जो बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है।
बीजेपी प्रत्याशी भामरे के लिए मुश्किल
29 अप्रैल को इस लोकसभा सीट पर मतदान होना है। यहाँ पर 43 फ़ीसदी मराठा वोटर हैं जो सांसद चुनने में महत्वपूर्ण योगदान निभाएँगे। भामरे और पाटिल दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं और दोनों के बीच वोट बँटवारे से मौजूदा सांसद के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। 2014 के चुनाव में मराठाओं ने भामरे के पक्ष में वोटिंग की थी क्योंकि उस समय कांग्रेस उम्मीदवार अमरीशभाई पटेल महाराष्ट्रीयन नहीं थे। भामरे के लिए दूसरी समस्या धुले शहर क्षेत्र में उनके और शिवसेना नेताओं के बीच मतभेद भी है। लेकिन सबसे बड़ा धमाका हुआ प्रज्ञा ठाकुर के बयानों से। आरोपी प्रज्ञा को टिकट मिलने का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।
धुले लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मुसलिम बहुल मालेगाँव सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में साध्वी प्रज्ञा का मामला प्रमुख मुद्दा बन गया है और दूसरे चुनावी मुद्दे दब गए हैं। इस क्षेत्र में क़रीब 17 फ़ीसदी वोटर मुसलिम हैं। इनमें से ज़्यादा मालेगाँव सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में ही रहते हैं।
बता दें कि प्रज्ञा 2008 में मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट की आरोपी हैं जिसमें 6 लोग मारे गए थे। मालेगाँव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आसिफ़ शेख रसीद ने कहा कि प्रज्ञा को टिकट देना मालेगाँव में बड़ा मुद्दा बन गया है। उन्होंने कहा, 'हम यह मुद्दा उठा रहे हैं और मुझे विश्वास है कि मुसलिम वोटर इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार का साथ देगा। मुझे लगता है कि वे केवल उस उम्मीदवार को वोट देंगे, जो बीजेपी उम्मीदवार को हराने में सक्षम होगा।
11 मुसलिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में
धुले लोकसभा क्षेत्र में मुसलिम मतों के विभाजन को बढ़ाने के लिए 11 मुसलिम उम्मीदवारों को खड़ा किया गया है, लेकिन प्रज्ञा के मुद्दे ने मुसलिम समुदाय को एकजुट कर दिया है। यह बात ज़मीनी स्तर पर स्पष्ट नज़र आने लगी है। और इसके चलते इस बार मालेगाँव सेन्ट्रल विधानसभा क्षेत्र में मतदान बहुत अधिक होने की उम्मीद है। इस बार धुले सीट से 11 मुसलिम उम्मीदवार हैं, जिसमें वंचित बहुजन अघाड़ी के नवी अहमद भी शामिल हैं। बाग़ी बीजेपी नेता विधायक अनिल गोटे, जो निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, का मानना है कि प्रज्ञा के शहीद मुंबई पुलिस एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे को लेकर दिए गए बयान से वोटिंग पर असर पड़ेगा। इसके अलावा अनिल गोटे के मैदान में होने से भी बीजेपी के मतों में बँटवारे की संभावना बढ़ गयी है।