कांग्रेस ने महाराष्ट्र के ताज़ा घटनाक्रम को संविधान का उल्लंघन और भारत के इतिहास का काला दिन क़रार देते हुए भारतीय जनता पार्टी पर ज़बरदस्त हमला किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘23 नवंबर का दिन देश और महाराष्ट्र के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज होगा, जब संविधान को पाँव तले रौंद दिया गया।’
'अजित पवार को जेल का डर'
उन्होंने इसके लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजीत पवार पर हमला बोलते हुए कहा कि वे जेल जाने से डर गए और राज्य की जनता के साथ धोखा किया। सुरजेवाला ने कहा, ‘बीजेपी ने अवसरवादी अजीत पवार को जेल की सलाखों का डर दिखा कर लोकतंत्र की सुपारी लेकर उसकी हत्या कर दी।’
सुरजेवाला ने महाभारत का उदाहरण देते हुए बीजेपी और अजीत पवार की तुलना दुर्योधन और शकुनि से की। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी और अजीत पवार ने दुर्योधन और शकुनि की तरह जनादेश की द्रौपदी का चीरहरण कर लिया।
उन्होंने बीजेपी पर चोट करते हुए कहा कि चुनाव के पहले तो बीजेपी ने कहा था कि वह 74,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में अजीत पवार को आर्थर रोड जेल भेजने की बात की थी, पर उन्हें उप मुख्यमंत्री बना कर मंत्रालय भेज दिया। उन्होंने तंज करते हुए कहा, ‘मोदी है तो मुमकिन है।’
सुरजेवाला ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि रात के अंधेरे का फ़ायदा उठा कर किसी मुख्यमंत्री को तड़के चोरी छिपे बग़ैर किसी की जानकारी के शपथ दिलाई गई।
सुरजेवाला ने बीजेपी और अजित पवार पर तंज करते हुए नरेंद्र मोदी और अमित शाह से कई सवाल पूछे और कहा कि इनके जवाब मिलने ही चाहिए। उन्होंने पूछा :
- कब और किसने राज्यपाल से मिल कर सरकार बनाने का दावा पेश किया
- सरकार बनाने के दावे वाले पत्र पर एनसीपी के कितने विधायकों ने दस्तख़त किए हैं
- महाराष्ट्र के राज्यपाल ने उन हस्ताक्षरों को एक घंटे के अंदर ही कब और कैसे वेरीफ़ाई किया
- राज्यपाल महोदय ने राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफ़ारिश कब की
- केंद्रीय कैबिनेट की बैठक रात में कितने बजे हुई और इसमें कौन-कौन मौजूद थे
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कितने बजे राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा राष्ट्रपति महोदय से की
- राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफ़ारिश कितने बजे मान ली
- राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ ग्रहण के लिए किस पत्र के ज़रिए और कितने बजे निमंत्रण दिया
- शपथ ग्रहण समारोह कितने बजे हुआ
सुरजेवाला ने दलबदल विरोधी क़ानून का भी हवाला दिया और पूछा कि किस आधार पर यह सरकार बनी और बहुमत का क्या आधार है। उन्होंने कहा कि एनसीपी के पास जितने विधायक हैं, उसके हिसाब से अजीत पवार के पास कम से कम 36 विधायक होने चाहिए, वर्ना ये विधायक दलबदल विरोधी क़ानून की जद में आएँगे और अयोग्य घोषित हो जाएँगे, उनकी सदस्यता भी रद्द हो जाएगी। सुरजेवाला ने सवाल किया कि कितने विधायक पवार के साथ हैं और उसका क्या सबूत है।
उन्होंने राज्यपाल को भी निशाने पर लिया। उन्होंने पूछा कि आख़िर राज्यपाल ने यह निष्कर्ष कैसे निकाला कि कितने विधायक देवेंद्र फडणवीस के साथ हैं। सुरजेवाला ने पूछा कि राज्यपाल ने किस आधार पर राष्ट्रपति शासन वापस लेने की सिफ़ारिश की। राष्ट्रपति शासन वापस लेने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है, जिसका पालन निश्चित तौर पर नहीं किया गया है।