सीबीआई की प्राथमिक जाँच में देशमुख को क्लीन चिट, फिर एफ़आईआर क्यों?

12:07 pm Aug 30, 2021 | सोमदत्त शर्मा

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के 100 करोड़ रुपए वसूली मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाये गए 100 करोड़ रुपये की वसूली मामले में सीबीआई की प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट सामने आई है।

 इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्राथमिक जांच करने वाले सीबीआई के जाँच अधिकारी डिप्टी सुपरिंटेंडेंट आर. एस. गुंज्याल ने कथित तौर पर 100 करोड़ वसूली मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को क्लीन चिट दे दी थी।

लेकिन इसके बाद भी अनिल देशमुख के खिलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया। अब कांग्रेस और एनसीपी ने इसे राजनीति से प्रेरित सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

प्राथमिक जाँच में क्या मिला?

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए 100 करोड़ रुपए की वसूली के आरोप के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले की जाँच सीबीआई से कराने का फ़ैसला किया था।

इसका महाराष्ट्र सरकार ने विरोध भी किया लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने अनिल देशमुख के खिलाफ प्राथमिक जाँच के आदेश सीबीआई को दे दिए।

सीबीआई के आला अधिकारियों ने इस मामले की जाँच के लिए एक टीम का गठन किया और इसकी ज़िम्मेदारी सीबीआई के डिप्टी एसपी आर. एस. गुंज्याल को दी। गुंज्याल ने परमबीर सिंह के साथ साथ मुंबई पुलिस के कई अधिकारियों के बयान दर्ज किए।

 सीबीआई की टीम ने मुंबई पुलिस के एसीपी संजय पाटिल का भी बयान दर्ज किया, जिन्होंने व्हाट्सएप चैट के जरिए पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह से बात की थी।

इसी व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रूपए की वसूली के आरोप लगाए थे।

दूसरा सबूत नहीं

जाँच अधिकारी गुंज्याल ने इस पूरे मामले में बहुत सारे सबूत और गवाहों के बयान दर्ज किए। गुंज्याल आखिर में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ व्हाट्सएप चैट के अलावा ऐसे कुछ भी सबूत नहीं मिले, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि 100 करोड़ रुपए की वसूली में अनिल देशमुख की भागीदारी है।

इस रिपोर्ट में केस से जुड़े और भी पहलुओं पर लिखा गया है। सचिन वाजे की भूमिका पर भी इस रिपोर्ट में काफी कुछ कहा गया है।

सचिन वाजे

देशमुख- वाज़े मीटिंग?

प्राथमिक जाँच की इस रिपोर्ट में सचिन वाजे की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सचिन वाज़े मुंबई के पब, रेस्टोरेंट और बार से अवैध वसूली किया करता था, लेकिन पूछताछ और सबूतों से मिले साक्ष्य के अनुसार यह साफ नहीं हो पाया है कि वह वसूली अपने लिए करता था या फिर अनिल देशमुख के कहने पर वसूली की जा रही थी।

इस रिपोर्ट में सबसे बड़ा दावा यह किया गया है कि सचिन वाजे और अनिल देशमुख के बीच हुई मीटिंग का कोई सबूत नहीं है। सीबीआई के जाँच अधिकारी गुंज्याल ने अपनी इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि जब भी सचिन वाज़े की तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख के साथ कोई मीटिंग होती थी तो उसमें कोई ना कोई दूसरे बड़े अधिकारी भी साथ में होते थे।

क्लीन चिट

ऐसे में परमबीर सिंह ने अपनी लिखी चिट्ठी में जो लिखा था कि सचिन वाज़े गृह मंत्री अनिल देशमुख से उनके सरकारी निवास पर मीटिंग करने के लिए गया था इस बात के कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।

यही कारण रहा कि डिप्टी एसपी आर एस गुंज्याल ने अपनी प्राथमिक जांच में अनिल देशमुख को 100 करोड़ रुपए की कथित वसूली के आरोप में क्लीन चिट देने की सिफारिश कर दी।

जाँच अधिकारी का तबादला क्यों?

सत्य हिंदी ने जब इस प्राथमिकी जाँच की पड़ताल गहराई से की तो सीबीआई के एक बड़े अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर एक बड़ा खुलासा कर दिया। इस अधिकारी ने बताया कि जैसे ही डिप्टी एसपी गुंज्याल ने अपनी प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी तो वह हैरान रह गए। आनन-फानन में डिप्टी एसपी गुंज्याल को अनिल देशमुख की इस जाँच से हटा दिया गया और दूसरे अधिकारी को इस मामले की जाँच सौंप दी। 

इसके कुछ दिन बाद ही सीबीआई ने प्राथमिक जाँच के आधार पर अनिल देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब एक अधिकारी ने अनिल देशमुख को उस मामले में क्लीन चिट दे दी थी तो फिर उनके खिलाफ किन सबूतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई।

सीबीआई की तरफ से अब एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि अनिल देशमुख के खिलाफ प्राथमिक जाँच में मिले सबूतों के आधार पर ही एफआईआर दर्ज की गई थी एवं सीबीआई उस मामले की जांच अभी भी कर रही है।

केंद्र से सवाल

इन्हीं सवालों के बीच अब कांग्रेस और एनसीपी ने अनिल देशमुख की सीबीआई द्वारा की गई इस जाँच थ्योरी पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सीबीआई ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के दबाव के चलते डिप्टी एसपी गुंज्याल की रिपोर्ट को दबा दिया और अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया।

वही अनिल देशमुख के वकील और एनसीपी के बड़े नेता इंद्रपाल सिंह का कहना है कि गृह मंत्रालय के जवाब में सीबीआई के अधिकारी को ना केवल सच्ची रिपोर्ट बनाने के एवज में हटा दिया गया बल्कि देशमुख के खिलाफ बगैर किन्हीं सबूतों के एफआईआर भी दर्ज करा दी। इंद्रपाल सिंह का कहना है कि हम बहुत जल्द इस मामले में मुंबई हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल करेंगे।

बता दें कि उस समय वसूली कांड ने महाराष्ट्र की राजनीति में तो भूचाल ला दिया था और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था।

उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी अनिल देशमुख के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया और उनके पीए और पीएस को बार वालों से चार करोड़ रुपये की उगाही के आरोप में गिरफ्तार किया था।

प्रवर्तन निदेशालय अनिल देशमुख को 5 बार समन भी जारी कर चुकी है लेकिन एक भी बार अनिल देशमुख ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए हैं।