हिंदुस्थान से किसी भी देश अथवा समाज को नुकसान नहीं पहुंचा है। वर्तमान वैश्विक संघर्ष के दौर में भी पूरी दुनिया के कल्याण की कामना हिंदुस्थान करता है, ऐसा प्रतिपादन प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से किया है। सिख गुरु तेगबहादुर की 400 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली स्थित लाल किले से मोदी ने जनता को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री मोदी के लाल किले से देश को संबोधित करने के दौरान ही दिल्ली में धार्मिक तनाव का माहौल था। जहांगीरपुरी क्षेत्र में दंगे के बाद वहां जेसीबी लगाकर, पुलिस की सुरक्षा लगाकर कई निर्माण कार्यों को तोड़ दिया गया।
एक ही समुदाय के लोगों को सबक सिखाने के लिए उस क्षेत्र में जेसीबी चलाई गई इसलिए देश में हाहाकार मच गया। इस क्षेत्र में हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा पर हमला हुआ और इससे दंगा भड़का, यह सत्य है। परंतु अब तक हनुमान जयंती के रूप में कहीं भी, कभी भी शोभायात्रा नहीं निकली थी। वह ठीक इसी बार निकाली गई और दंगे भड़काए गए।
जहांगीरपुरी में जेसीबी की कार्रवाई भाजपा के लिए स्वाभिमान का प्रतीक बन गई है। ये कार्रवाई सिर्फ मुस्लिम समुदाय को सबक सिखाने के लिए की गई, ऐसा आरोप उतना सत्य नहीं होगा क्योंकि असंख्य हिंदुओं की झोपड़ियां व व्यवसाय उसी बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया। मतलब खामियाजा दोनों ओर के लोगों को भुगतना पड़ा।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन दो दिनों के हिंदुस्थानी दौरे पर आए थे। गुरुवार को वे गुजरात में थे। वे महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम भी गए। चरखे पर सूत कताई की और उसी दिन वे अमदाबाद स्थित एक ‘जेसीबी फैक्ट्री’ गए।
जॉनसन एक जेसीबी पर चढ़े और फोटो खिंचवाई। जॉनसन को जेसीबी फैक्ट्री खासतौर पर ले जाया गया और उसका उत्सव मनाया गया क्योंकि उसी दौरान देशभर का विपक्ष दिल्ली में ‘जेसीबी’ कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठा रहा था। इसका क्या अर्थ लगाया जाए?
गांधी का जिंदगीभर डाह करनेवाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने दिल्ली के अत्याचार की ‘ब्रांडिंग’ वैश्विक स्तर पर की, यही इसके पीछे का अर्थ है। जॉनसन साबरमती में थे। उसी दौरान जहांगीरपुरी क्षेत्र में जेसीबी की कार्रवाई में महात्मा गांधी की कई तस्वीरें ध्वस्त हो गईं, ऐसी तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं। दूसरी तरफ भाजपा के कई महत्वपूर्ण लोग गोडसे प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। गोडसे की महिमा का वे समर्थन करते हैं।
परंतु उसी दौरान विदेशी मेहमानों को खींचते हुए गांधीजी के साबरमती आश्रम ले जाया जाता है और सूत कातने को लगाया जाता है, यह अचंभा ही है। लौहपुरुष सरदार पटेल की इतनी भव्य प्रतिमा व स्मारक गुजरात में तैयार किया गया है, वहां जॉनसन और दूसरे मेहमानों को नहीं ले जाया जाता है क्योंकि वैश्विक स्तर पर गांधी ही देश की पहचान हैं। फिर ढोंग क्यों करना चाहिए?
जॉनसन के दिल्ली में रहने के दौरान दिल्ली सहित देशभर में धार्मिक विद्वेष का माहौल था। यह देखकर जॉनसन के मन में क्या विचार आए होंगे?
चर्चिल हमारी आजादी का विरोध करते थे। ये लोग स्वतंत्रता को बेचकर और लूटकर खा जाएंगे, ऐसा वे कहते थे। देश स्वतंत्र होने के दौरान धार्मिक विद्वेष, हिंसाचार का माहौल था। हिंदू-मुसलमानों में संघर्ष हो रहा था।
आज इतने वर्षों के बाद भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हिंदुस्थान में यही दृश्य व माहौल देख रहे थे। अंग्रेज जिस अवस्था में देश छोड़कर गए थे, वही अवस्था जॉनसन देख रहे थे। धार्मिक विद्वेष, जातीय तनाव खड़ा करके ‘फोड़ो-तोड़ो’ योजना के शिल्पकार अंग्रेज थे। आज उसी ब्रिटिश नीति से देश चल रहा है, यह देखकर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन गदगद हो गए होंगे। धर्म की राजनीति अलग है व धर्मांधता की राजनीति अलग।
बै. जिन्ना द्वारा धर्म से शुरू की गई राजनीति धर्मांधता पर पहुंच गई। उससे निर्माण हुआ पाकिस्तान आज भी उसी गड्ढे में हिचकोले खा रहा है। आज हिंदुस्थान का भी वैसा ही गड्ढा होता दिख रहा है। जॉनसन जैसे नेता वैश्विक स्तर पर अप्रभावी सिद्ध हुए हैं। रूस के पुतिन के आगे ‘नाटो’ देशों की दाल नहीं गल रही है व नाटो पर विश्वास के साथ पुतिन से लड़ने का सपना देखनेवाला यूक्रेन तबाह हो गया है। जॉनसन के हिंदुस्थान में आने से पहले श्मशान हुए यूक्रेन घूमकर आए और अब गुजरात, दिल्ली पहुंचे। यहां भी वे अग्निकांड और तोड़फोड़ ही देख रहे हैं।
सवाल इतना ही है कि हिंदुस्थान में धार्मिक दंगों की ‘ब्रांडिंग’ करने के लिए जॉनसन को ‘जेसीबी’ पर चढ़ाने की जरूरत नहीं थी। उनके सलाहकारों को यह समझना चाहिए था।
प्रधानमंत्री मोदी व जॉनसन के बीच वैश्विक तनाव पर चर्चा हुई ही होगी, परंतु हिंदुस्थान भी उसी तनाव का शिकार होता दिख रहा है। भाजपा की राजनीति वैसी चल रही है, देखो। पंजाब केजरीवाल की ‘आप’ ने जीत लिया। राजधानी दिल्ली में भी ‘आप’ का ही राज्य है। पंजाब में तो भाजपा पूरी तरह से धराशायी हो गई इसलिए गुरु तेगबहादुर की 400 वीं जयंती के मौके को साधने के लिए प्रधानमंत्री ने लाल किले का प्रयोजन किया। उस समारोह में पंजाब के मुख्यमंत्री व सिखों के नेता आमंत्रित नहीं थे।
प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से कहते हैं ‘औरंगजेब जैसे जुल्मी विचार वाले के विरोध में गुरु तेगबहादुर पूरी गंभीरता के साथ खड़े रहे। औरंगजेब और उसी के जैसे जुल्मी लोगों ने कत्ल किए। लाल किला इसका गवाह है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने सत्य ही कहा है। औरंगजेब के अत्याचारों का सबसे ज्यादा घाव पंजाब और महाराष्ट्र ने ही झेला है। मराठे और सिख समाज मुगलों के हमले के खिलाफ लगातार लड़ता रहा। आखिरकार, उस औरंग्या को महाराष्ट्र में ही मौत का सामना करना पड़ा। महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल जैसे राज्यों ने हमलों के समक्ष कभी भी समर्पण नहीं किया। वैश्विक इतिहास में यह दर्ज है। इसके लिए झूठा इतिहास निर्माण करने की जरूरत नहीं है।
लाल किले से प्रधानमंत्री ने संबोधित किया। बोरिस जॉनसन ने सूत कताई की। वे जेसीबी पर चढ़े। दिल्ली में आकर जॉनसन ने कहा, ‘हिंदुस्थान एक अजीब ही चमत्कारिक देश है।’ जॉनसन सत्य ही बोले। 1947 से 2022 के बीच के दौर में कुछ भी नहीं बदला है। जो बदला गया उस पर जेसीबी और बुलडोजर चला, इसे अजीब ही कहना होगा!
साभार- हिंदी सामना