मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से, महाराष्ट्र में मचा घमासान

10:40 am Jan 13, 2020 | संजय राय - सत्य हिन्दी

महाराष्ट्र में बीजेपी एक नए विवाद में उलझ गयी है। यह विवाद एक पुस्तक को लेकर पैदा हुआ है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से की गयी है। पुस्तक बीजेपी नेता जय भगवान गोयल ने लिखी है और शीर्षक दिया है - 'आज के शिवाजी - नरेंद्र मोदी।' पुस्तक का विमोचन रविवार को दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय में हुआ और कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर इसे लेकर विवाद छिड़ गया। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है, ऐसे में उनकी तुलना किसी नेता से कर दी जाये तो बवाल तो मचना ही था। 

शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत ने ट्वीट कर शिवाजी महाराज के सातारा की गद्दी के वंशज पूर्व सांसद उदयनराजे भोसले और विधायक शिवेंद्रराजे भोसले तथा कोल्हापुर गद्दी के वंशज संभाजीराजे से सवाल पूछा है कि 'क्या उन्हें यह मान्य है' शिवाजी महाराज के ये तीनों ही वंशज बीजेपी से जुड़े हुए हैं। उदयनराजे हाल ही में हुए लोकसभा का उप चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़कर हारे हैं जबकि संभाजी राजे को बीजेपी ने 2016 में राज्यसभा में सांसद बनाकर भेजा है। 

विवाद को लेकर एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा, ‘बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से करने वाली किताब प्रकाशित कर महाराष्ट्र की जनता और उसकी भावनाओं का मजाक उड़ाया है। छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र ही नहीं पूरे हिंदुस्तान के आराध्य हैं और उनसे किसी की बराबरी नहीं की जा सकती।’ कांग्रेस नेता राजीव सातव, एनसीपी के जितेन्द्र आव्हाड़ ने भी इस किताब की निंदा करते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग की है। इस किताब के लेखक जय भगवान गोयल पहले शिवसेना में हुआ करते थे। लेकिन दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन में तोड़फोड़ करने तथा मराठी लोगों को गाली देने की एक घटना के बाद शिवसेना ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था और वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, पूर्व सांसद महेश गिरी की उपस्थिति में हुए कार्यक्रम में इस पुस्तक का विमोचन किया गया। 

महाराष्ट्र के कई शिव प्रेमी संगठन भी इस किताब को लेकर नाराज़ हैं और जल्द ही वे इसके विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी कर सकते हैं।

विवाद बढ़ने पर राज्यसभा सदस्य संभाजी राजे ने एक कार्यक्रम में बयान दिया, ‘मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनके मन में मोदी के प्रति आदर है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनकी तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से कर दी जाये। शिवाजी महाराज की तुलना किसी से नहीं की जा सकती।’ श्याम जाजू ने इस विवाद पर जो बयान दिया है वह आग में घी डालने जैसा है। जाजू ने कहा कि शिवाजी महाराज किसी एक की संपत्ति नहीं हैं, वह एक राष्ट्रीय संपत्ति हैं और इसलिए केवल उनके वंशज, उन पर अपना अधिकार नहीं जता सकते। 

आज सम्पूर्ण देश में नरेंद्र मोदी की जय-जयकार हो रही है, कुछ लोग उन्हें आधुनिक भारत का शिल्पकार कह रहे हैं। कोई व्यक्ति शिवाजी महाराज की तरह बहादुर हो और निर्भीकता से निर्णय लेता हो तो ऐसे में उसकी तुलना शिवाजी महाराज से करने में कुछ भी ग़लत नहीं है।’


श्याम जाजू, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, बीजेपी

जाजू ने कहा कि नरेंद्र मोदी की तुलना महात्मा गाँधी और विवेकानंद से भी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सिर्फ शीर्षक पढ़कर बवाल खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में श्याम जाजू भले ही यह बात बोलकर अपनी पार्टी की सफाई दे रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी के किसी नेता का कोई बयान अभी तक इस बारे में नहीं आया है। 

हिंदुत्व को लेकर शिवसेना को बात-बात में घेरने वाले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी पूरी टीम के किसी नेता ने इस विवाद पर सामने आकर बयान नहीं दिया है।

मराठा आरक्षण की घोषणा कर मराठा समाज में अपनी पकड़ बढ़ाने वाली बीजेपी के नेता इस विवाद के बाद असमंजस में हैं। किताब में मोदी को हीरो की तरह पेश किया गया है, ऐसे में वह विरोध करें तो कैसे करें और अगर पुस्तक का समर्थन करे तो मराठा वोट बैंक हाथ से फिसल जाएगा। न सिर्फ वोटर बल्कि मराठा नेता भी उसे झटका दे सकते हैं। इसके विपरीत यदि पुस्तक का विरोध करें तो नरेंद्र मोदी का विरोध समझा जाएगा।  

लेकिन क्या यह पहला अवसर है जब मोदी को शिवाजी महाराज के समकक्ष खड़ा करने का प्रयास किया गया है हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हुईं नरेंद्र मोदी की चुनावी सभाओं में कई बार मंच में शिवाजी महाराज की प्रतिमा को रखकर एक विशेष कोण से नरेंद्र मोदी की तसवीरें खींच कर प्रसारित व प्रकाशित की गयी हैं। इन फ़ोटो के माध्यम से एक संदेश देने की कोशिश की गई थी। उस समय ऐसे ही एक फ़ोटो पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कटाक्ष भी किया था। लेकिन अब एक मक़सद के तहत किताब लिखकर नरेंद्र मोदी को शिवाजी महाराज के समकक्ष खड़ा करने का प्रयास किया गया है तो 'ट्रिक फोटोग्राफी' की तरह इसे नजरअंदाज करना मुश्किल था और वैसा हुआ भी। पुस्तक के विमोचन के कुछ घंटे बाद ही इस पर प्रतिबन्ध और माफ़ी माँगने की बात उठ गयी। अब देखना है कि बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व इस मामले में क्या रुख अपनाता है।