बागी अजित पवार खेमे ने दावा किया है कि इसने शरद पवार को पार्टी के अध्यक्ष पद से 'हटा' दिया है। इसने कथित तौर पर पार्टी के ख़िलाफ़ विद्रोह से दो दिन पहले ही चुनाव आयोग को ख़त लिख चुका था। एनडीटीवी ने विद्रोही गुट के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि उन्होंने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में भी इसका उल्लेख किया है। रिपोर्ट के अनुसार बागी खेमे ने उस ख़त में दावा किया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अजित पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। हालाँकि, यह साफ़ नहीं है कि उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कब की और कब यह फ़ैसला लिया गया। उस बैठक में कौन-कौन से नेता शामिल हुए थे। इसी ख़त में बागी खेमे ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया है।
अजित पवार का यह दावा उस पार्टी के बारे में है जिसे शरद पवार ने स्थापित किया और दो दशकों से भी अधिक समय तक नेतृत्व किया था। अब चुनाव आयोग में अजित पवार की ओर से 40 शपथपत्र भेजे गए हैं। आज अजित पवार ने अपने चाचा के मुकाबले ज्यादा विधायक जुटाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया है लेकिन दो तिहाई विधायकों का बहुमत अभी भी उनके पास नहीं है। एनसीपी पर दावा जताने के लिए दो-तिहाई का आँकड़ा यानी 36 विधायक उनके साथ होने चाहिए।
एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 29 अजित द्वारा बुलाई गई पार्टी बैठक में मौजूद थे, जबकि शरद पवार खेमे के पास 17 विधायक थे। रिपोर्ट में चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि बागियों के पत्र के अनुसार उन्होंने 30 जून को अजित पवार को पार्टी अध्यक्ष के रूप में नामित किया था। सूत्रों के अनुसार उस दिन लगभग 40 विधायकों, सांसदों और एमएलसी ने विद्रोहियों के समर्थन में हलफनामों पर हस्ताक्षर किए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 जून को हस्ताक्षर किया गया ख़त आज आयोग को मिला है।
आयोग को शरद पवार के वफादार जयंत पाटिल का एक पत्र भी मिला है, जिसमें उन्हें कुछ सांसदों और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही के बारे में कहा गया है।
अजित पवार ने आज एक बैठक में शक्ति प्रदर्शन कर एनसीपी के बागी गुट को संबोधित किया। इसमें अजित पवार ने अपने चाचा पर चौतरफ़ा हमला किया। उन्होंने शरद पवार की उम्र से लेकर नेतृत्व, 1978 की उनकी बगावत, 2019 में सरकार के गठन, एनसीपी के विकास तक के मामलों को लेकर घेरा। उन्होंने बार-बार शरद पवार को सम्मान देने की बात कहते हुए उनको चुभने वाले बयान दिये।
अजित ने संकेतों में साफ़-साफ़ कह दिया कि शरद पवार को तो बहुत पहले ही पार्टी को छोड़ देना चाहिए था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।
इधर, शरद पवार ने कहा है कि उन्हें संख्या और यहाँ तक कि चुनाव चिह्न की परवाह नहीं है। उन्होंने समर्थकों को आश्वासन दिया कि उन्हें चुनाव चिह्न से वंचित नहीं किया जाएगा।
पवार ने कहा, 'आज की चर्चा यह है कि किसके कितने विधायक हैं। मैं इस पर ध्यान नहीं देता। पहले मेरे पास 68 विधायक थे। जब मैं कुछ समय के लिए बाहर गया तो 62 हमें छोड़कर चले गए, मेरे पास सिर्फ छह थे... चुनाव में, 62 में से केवल चार ही वापस आ सके। हमने नए चेहरों के साथ जीत हासिल की।'
पवार ने कहा, 'अगर कोई कहता है कि वे हमारा चुनाव चिन्ह ले लेंगे तो मैं आपको बता दूं कि पार्टी का चुनाव चिन्ह हमारे पास रहेगा, वह कहीं नहीं जाएगा। अगर पार्टी की विचारधारा कार्यकर्ताओं के साथ है, तो हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। ... मैंने कई प्रतीकों पर चुनाव लड़ा है।'