ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने मुंबई में शनिवार की रात धारा 144 का उल्लंघन करते हुए एक बड़ी चुनावी सभा की, जिसमें सैकड़ों लोग मौजूद थे। पार्टी के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने इसे संबोधित किया।
बता दें कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव के लिए प्रशासन ने दो दिनों के लिए पूरे मुंबई नगर निगम इलाक़े में धारा 144 लगा दी थी। प्रसाशन का कहना है कि इसका मक़सद सोशल डिस्टैंसिंग को लागू करना और इस तरह कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकना है।
ओवैसी का आरोप
लेकिन एआईएमआईएम ने आरोप लगाया है कि महाविकास अघाडी सरकार ने स्थानीय चुनाव में प्रचार करने से पार्टी को रोकने के लिए यह बहाना बनाया और धारा 144 लागू कर दी। पार्टी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने एआईएमआईएम को चांदीवली में तिरंगा रैली करने से रोकने के लिए यह कदम उठाया।
पार्टी के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने भारी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, "हमे रोकने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं।"
उन्होंने प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा, "मैं यह देखना चाहता हूँ कि जब राहुल गांधी कांग्रेस की रैली को संबोधित करने के लिए 28 दिसंबर को मुंबई आएंगे तो क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण को रोकने के लिए इस तरह का प्रतिबंध लगाया जाएगा।"
उन्होंने तंज करते हुए कहा,
“
कोई मजलिस या मुसलमानों को नापसंद कर सकता है, पर तिरंगा को कैसे नापसंद कर सकता है। मुंबई वह जगह है जहाँ मुसलमानों ने सबसे पहले भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया था।
असदउद्दीन ओवैसी, नेता, एआईएमआईएम
मुसलिम आरक्षण
ओवैसी ने मुसलमानों के लिए नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण की माँग उठाते हुए कहा कि राज्य के 83 प्रतिशत मुसलमान भूमिहीन है जबकि मराठों में भूमिहीनों की तादाद सिर्फ आठ प्रतिशत है।
उन्होंने यह भी कहा कि 67 प्रतिशत मुसलमान कच्चे घरों में रहते हैं। लेकिन न तो कांग्रेस न ही एनसीपी इस पर कुछ बोलती है।
एनसीपी पर तंज
उन्होंने कहा कि जब एआईएमआईएम चुनाव लड़ती है तो कहा जाता है कि मुसलानों के वोट बंट जाएंगे, लेकिन जब ज़रूरत पड़ती है तो एनसीपी और कांग्रेस शिवसेना से हाथ मिला लेती है।
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी चैतन्य एस. ने धारा 144 का उल्लंघन किए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि इस मामले में एआईएमआईएम के ख़िलाफ़ एफ़आईआर अब तक दर्ज नहीं किया गया है।
एनसीपी नेता व महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि हर किसी को रैली करने का राजनीतिक अधिकार है, पर महामारी के समय लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए।