मानहानि केस में राउत को 15 दिन की जेल के कुछ घंटे बाद मिली जमानत

03:24 pm Sep 26, 2024 | सत्य ब्यूरो

बीजेपी के ख़िलाफ़ लगातार आक्रामक बोलने वाले शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत को 15 दिन की जेल की सजा मिलने के कुछ घंटे बाद ही जमानत मिल गई। इसके साथ ही राउत की सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया, जिससे उन्हें अपील दायर करने का समय मिल गया। मुंबई की एक अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद किरीट सोमैया की पत्नी मेधा सोमैया द्वारा दायर मानहानि के मामले में राउत को यह कारावास की सजा सुनाई। मझगांव की मजिस्ट्रेट अदालत ने राउत को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी पाया।

मुंबई के रुइया कॉलेज में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की प्रोफेसर मेधा सोमैया ने अपनी शिकायत में कहा था कि राउत ने उनके और उनके पति के खिलाफ निराधार और पूरी तरह से मानहानिकारक आरोप लगाए हैं। मेधा सोमैया के वकील विवेकानंद गुप्ता ने कहा कि अदालत ने राउत को 15 दिन की कैद के साथ ही 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

यह मामला ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की प्रोफेसर मेधा द्वारा दायर की गई शिकायत से जुड़ा है। इसमें उन्होंने कहा था कि राउत ने 15 अप्रैल और 16 अप्रैल, 2022 को उनके बारे में कुछ बयान दिए थे, जो अखबारों में छपे थे, जो मानहानिकारक और गलत थे। उन्होंने दस्तावेज और वीडियो क्लिप पेश किए थे, जिसमें दावा किया गया था कि ये बयान राउत ने मीडिया चैनलों को दिए थे।

मेधा ने बिना शर्त माफ़ी और राउत के खिलाफ एक स्थायी निषेधाज्ञा भी मांगी थी, जिसमें उन्हें भविष्य में उनके लिए अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने, प्रसारित करने और छापने से रोका जाने की बात कही गई थी।

अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में सोमैया पर मीरा-भायंदर नगर निगम में 'शौचालय घोटाले' का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सामना में स्टोरी प्रकाशित होने के बाद लेख और अन्य मीडिया में लगाए गए आरोप बिना सबूत के हैं और उनकी प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाने के इरादे से लगाए गए।

कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने पर राउत ने कहा, '

भ्रष्टाचार और अन्य अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले हम जैसे लोगों को ऐसे देश में न्याय कैसे मिल सकता है, जब देश का प्रधानमंत्री गणपति उत्सव के दौरान मुख्य न्यायाधीश के घर मोदक खाने जाता है?


संजय राउत, शिवसेना यूबीटी नेता

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'फैसला अपेक्षित था। मैं न्यायपालिका और इस आदेश को पारित करने वाले न्यायाधीश का सम्मान करता हूं, लेकिन मैंने कहा था कि मीरा भयंदर नगर निगम में युवक प्रतिरोध के माध्यम से कुछ काम हुआ था और उसमें कुछ अनियमितताएं थीं। मैंने ऐसा नहीं कहा होता। नगर निगम के विपक्ष के नेता प्रवीण पाटिल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के माध्यम से आरोप लगाए थे। स्थानीय विधायक प्रताप सरनाईक ने भी इस मुद्दे को उठाया था और जांच की मांग की थी। सदन में एक आदेश भी पारित किया गया था। इसलिए, जब मैं इसे दोहराता हूं, तो यह मानहानि कैसे हो सकती है? यह सब रिकॉर्ड पर है। इस पर नगर निगम की एक रिपोर्ट भी है। मैंने इस पर केवल कुछ सवाल उठाए थे। यह व्यक्ति (सोमैया) भी आरोप लगाते रहते हैं... लेकिन एक बात है कि देश में न्यायपालिका का केंद्रीकरण हो गया है।'

राउत के वकील और उनके भाई सुनील राउत ने कहा कि उन्होंने जमानत याचिका दायर की है और आदेश के खिलाफ मुंबई सत्र अदालत में अपील करेंगे।