महाराष्ट्रः शरद पवार की रैलियां शुरू, आज नासिक में
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने आज 8 जुलाई से राज्य का दौरा शुरू कर दिया है। इस कड़ी में नासिक के यवले में आज उनकी पहली रैली है। मकसद यही है कि अगले चुनाव में भाजपा और अजीत पवार को हराना।
VIDEO | NCP chief Sharad Pawar leaves for Nashik, Maharashtra. He is scheduled to address a rally in Yeola area of the district later today. pic.twitter.com/UXsckxXQ8W
— Press Trust of India (@PTI_News) July 8, 2023
शरद पवार अब रोजाना पार्टी के लिए कुछ न कुछ करते नजर आएंगे। नासिक के बाद 9 जुलाई को वो धुले का दौरा करेंगे, फिर 10 जुलाई को जलगांव पहुंचेंगे। अभी उनकी तीन रैलियों का कार्यक्रम जारी हुआ है। लेकिन एनसीपी सूत्रों का कहना है कि रोजाना वो कहीं न कहीं सक्रिय नजर आएंगे।
शरद पवार पार्टी को जमीनी स्तर से फिर से खड़ा करने का अपना मिशन शुरू करेंगे। वो पुणे, शोलापुर और विदर्भ तक जाएंगे। इन इलाकों का दौरा करने के पीछे एक रणनीति और खास वजह है। शरद पवार के खास साथी रहे छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और अन्य बागी एनसीपी विधायकों का प्रभाव क्षेत्र यहीं हैं। वो धोखा देने वाले विधायकों की मांद में घुसकर उन्हें चुनौती देना चाहते हैं। बागी अजीत पवार गुट शरद के दौरे पर ढंग से प्रतिक्रिया तक नहीं दे पा रहा है।
इस बीच, अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद कथित तौर पर शिवसेना विधायकों के नाराज होने की खबरों के बीच उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कल शाम लगातार दूसरे दिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी। अजित पवार की इस टिप्पणी ने कि वो "मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं" ने राजनीतिक हलकों में खासी हलचल मचा रखी है। अजीत पवार फिलहाल उपमुख्यमंत्री हैं। लेकिन जिस तरह राजनीतिक गतिविधियां महाराष्ट्र में चल रही हैं, उससे मुख्यमंत्री शिंदे गुट के विधायक भी अपने नेता को चंद दिनों का मेहमान मान कर चल रहे हैं।
फडणवीस ने कहा कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी दूसरी पार्टियों में फूट नहीं डालती, लेकिन जो साथ आना चाहते हैं उन्हें कभी नहीं रोकती। फडणवीस ने कहा, "भाजपा अन्य पार्टियों को नहीं तोड़ती है, लेकिन जो लोग मोदी के नेतृत्व में विश्वास करते हैं और उनके साथ आना चाहते हैं, उनका कोई विरोध नहीं होगा।" कैबिनेट विस्तार के दौरान शिंदे और अजित पवार समर्थक विधायकों के बीच संतुलन बना पाना भाजपा के लिए काफी मुश्किल हो रहा है।
बहरहाल, शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। उन्होंने मीडिया से कहा, "मैंने सुना है कि एकनाथ शिंदे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है और सरकार में कुछ बदलाव हो सकता है।"
हाल ही में, संजय राउत ने दावा किया था कि एनसीपी नेता अजीत पवार के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद से शिंदे के समूह के लगभग 20 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में थे। संजय राउत ने कहा था, ''जब से अजित पवार और अन्य एनसीपी नेता सरकार में शामिल हुए हैं, शिंदे खेमे के 17-18 विधायकों ने हमसे संपर्क किया है।''
हालांकि, एकनाथ शिंदे बार-बार यही कह रहे हैं कि अजीत पवार के सत्तारूढ़ गठबंधन में आने से उन्हें कोई खतरा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, "अब हमारी सरकार तीन दलों से बनी है, हमारे विधायकों की संख्या 200 से अधिक है। हमारी सरकार लगातार मजबूत हो रही है। हमें पीएम मोदी और अमित शाह का समर्थन प्राप्त है।" लेकिन शिंदे के बार-बार इस बात को दोहराने से ही तमाम संशय हो रहे हैं।
एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कल शुक्रवार को कहा कि अजीत पवार को आम राय से 30 जून को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि पटेल इससे पहले खुद कार्यकारी अध्यक्ष थे। प्रफुल्ल पटेल ने मीडिया से कहा, ''शरद पवार समूह द्वारा अजीत पवार गुट के नेताओं को निष्कासित या अयोग्य ठहराने के फैसले अवैध हैं।''
अजीत पवार का कहना है कि उनका गुट ही असली एनसीपी है और उन्होंने चुनाव आयोग से पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया है। हालांकि पवार सिर्फ 29 विधायकों का समर्थन जुटा सके हैं। शरद पवार के पास 17 का समर्थन है। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के दावे पर विचार करने से पहले उन्हें 36 विधायकों की जरूरत है, जो पार्टी के 53 विधायकों में से दो-तिहाई बहुमत है।
शरद पवार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी चिन्ह के लिए अपने भतीजे के दावे पर आपत्ति जताई है। सूत्रों ने संकेत दिया कि शरद पवार कानूनी सलाह लेंगे और आगे की रणनीति के बारे में पार्टी नेताओं से चर्चा करेंगे।