महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की ओर से रखी गई तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय की है।
अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद कहा कि जरूरत पड़ने पर कुछ मुद्दों को बड़ी बेंच के पास भेजा जा सकता है। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की।
बेंच की ओर से उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट से कहा गया कि वह जिन मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं उन्हें तैयार कर लें और 27 जुलाई तक इसे अदालत के सामने जमा कर दें। बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि अगर प्रतिवादियों को किसी तरह के आरोपों से इनकार है तो वे एक कॉमन हलफनामा अदालत के सामने रखें।
बता दें कि इस मामले में अयोग्यता के संबंध में कार्यवाही, स्पीकर का चुनाव, व्हिप की मान्यता, फ्लोर टेस्ट आदि मुद्दों पर विवाद है और आने वाले दिनों में अदालत इन सभी मसलों पर व्यापक सुनवाई करेगी।
उद्धव गुट की दलील
सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नई सरकार को शपथ ग्रहण नहीं करवानी चाहिए थी क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित था। कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर किसी भी राज्य की सरकार को संविधान की 10वीं अनुसूची के बावजूद गिरा दिया जाएगा तो लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा।
सिब्बल ने कहा कि दसवीं अनुसूची के अनुसार, शिवसेना के ऐसे 40 विधायक जो शिंदे खेमे में चले गए उन्हें पार्टी की सदस्यता जाने की वजह से अयोग्य घोषित माना जाएगा।
सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के चुनाव में बीजेपी के द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार को वोट देना और फ्लोर टेस्ट के दौरान विश्वास मत के पक्ष में वोट देना आधिकारिक रूप से जारी किए गए व्हिप का उल्लंघन है।
उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में लोगों के द्वारा दिए गए जनादेश का क्या होगा। सिब्बल ने कहा कि दलबदल को रोकने के लिए जिस अनुसूची का इस्तेमाल किया जाता है उसे दलबदल करने के लिए किया गया है और इस तरह दसवीं अनुसूची को उलट-पुलट कर दिया गया है।
ठाकरे गुट की ओर से ही पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दसवीं अनुसूची में शर्त यह है कि न सिर्फ दो तिहाई लोगों को जाना चाहिए बल्कि उन्हें किसी अन्य पार्टी में विलय भी करना चाहिए।
शिंदे कैंप की दलील
जबकि एकनाथ शिंदे कैंप की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि अगर किसी पार्टी में बड़ी संख्या में लोग यह सोचते हैं कि किसी दूसरे शख्स को पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।
साल्वे ने कहा कि जब आप पार्टी के भीतर खुद को मजबूत कर लेते हैं और पार्टी के भीतर रहकर ही उसके नेता से सवाल करते हैं कि हम आपको सदन के अंदर हरा देंगे तो यह दलबदल नहीं होता।
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर एक याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था।
ठाकरे गुट की याचिका में विधानसभा स्पीकर के चुनाव और फ्लोर टेस्ट कराए जाने को भी चुनौती दी गई है। बता दें कि स्पीकर के चुनाव और फ्लोर टेस्ट में महा विकास आघाडी को हार और बीजेपी-शिंदे गुट को जीत मिली थी।
ठाकरे गुट की ओर से दायर एक अन्य याचिका में कहा गया है कि फ्लोर टेस्ट कराया जाना पूरी तरह गैरकानूनी था क्योंकि इसमें वे 16 विधायक भी शामिल थे जो अयोग्यता के नोटिस का सामना कर रहे हैं। अदालत में कुल पांच याचिकाएं दायर की गई हैं।
व्हिप के उल्लंघन का आरोप
जबकि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट जीतने के बाद शिंदे गुट की ओर से शिवसेना के 14 विधायकों को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट दोनों ने ही एक-दूसरे पर पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
बता दें कि महाराष्ट्र में बीते महीने शिवसेना में हुई बगावत के बाद बड़ा सियासी संकट पैदा हो गया था और इस वजह से महा विकास आघाडी सरकार को जाना पड़ा था। शिवसेना के बागी विधायकों और बीजेपी ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। नई सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने थे।
11 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने ठाकरे गुट के विधायकों को राहत दी थी और विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर से कहा था कि वह शिंदे गुट की ओर से शिवसेना के कुछ विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की याचिका पर कार्रवाई ना करें।