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महाराष्ट्रः MLC चुनाव की लड़ाई केंद्रीय चुनाव आयोग में पहुंची

महाराष्ट्रः MLC चुनाव की लड़ाई केंद्रीय चुनाव आयोग में पहुंची

महाराष्ट्र में बीजेपी के दो विधायकों के वोट रद्द करने का मामला केंद्रीय चुनाव आयोग पहुंच गया है। कांग्रेस ने यह आपत्ति जताई थी। लेकिन महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने उसकी आपत्ति को खारिज कर दिया, इसके बाद कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग का रुख किया है।

महाराष्ट्र में विधान परिषद के चुनाव में पेंच फंस गया है। महाराष्ट्र की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में मतगणना से ठीक पहले कांग्रेस ने बीजेपी के दो उम्मीदवारों के वोट को निरस्त करने की मांग महाराष्ट्र चुनाव आयोग से की थी। हालांकि महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया। जिसके बाद कांग्रेस ने अब केंद्रीय चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है।कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि बीजेपी के दो विधायकों लक्ष्मण जगताप और मुक्ता तिलक के वोट को अवैध करने की मांग की थी। 

कांग्रेस के पोलिंग एजेंट का कहना है कि बीजेपी के इन दोनों विधायकों ने अपना मतपत्र स्वयं पेटी में नहीं डाला था जिसके बाद कांग्रेस ने उनके वोट को अवैध घोषित करने की मांग उठाई थी। कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि अगर केंद्रीय चुनाव आयोग भी उनकी मांग को खारिज कर देता है तो फिर वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

288 सीटों की विधानसभा में 285 विधायकों ने वोट डाले थे। महाराष्ट्र की 10 सीटों पर हुए चुनाव में उस समय नाटकीय मोड़ आ गया जब काउंटिंग से ठीक पहले कांग्रेस ने बीजेपी के 2 उम्मीदवारों के वोट को रद्द करने के लिए चुनाव आयोग से मांग कर डाली। कांग्रेस विधायक और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री असलम शेख ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बीजेपी के 2 विधायकों लक्ष्मण जगताप और मुक्ता तिलक ने विधान परिषद के चुनाव में वोट तो किया लेकिन उन्होंने अपनी वोटिंग स्लिप को बॉक्स में स्वयं ना डालकर अपने सहयोगी से डलवाया। इसका विरोध वहां पर मौजूद कांग्रेस के पोलिंग एजेंट ने राज्य के चुनाव आयोग से किया। चुनाव आयोग ने जांच पड़ताल के बाद यह पाया कि बीजेपी के इन दोनों विधायकों ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग से पहले ही अपने सहयोगी का सहयोग लेने की इजाज़त ले ली थी।

कांग्रेस द्वारा 2 विधायकों के वोट पर आपत्ति जताने पर बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि बीजेपी के दोनों विधायकों लक्ष्मण जगताप और मुक्ता तिलक ने चुनाव आयोग से 4 दिन पहले ही अपने सहयोगी से इस विधान परिषद के चुनाव में सहयोग लेने का आवेदन पत्र महाराष्ट्र चुनाव आयोग को दिया था और उसी के आधार पर इन दोनों विधायकों ने अपने सहयोगियों का सहयोग लिया। महाजन का कहना है कि लक्ष्मण जगताप और मुक्ता तिलक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं यही कारण रहा कि उन्होंने राज्य चुनाव आयोग से विधान परिषद के इस चुनाव में दूसरे व्यक्ति से मदद लेने की इजाजत ली थी।

कांग्रेस द्वारा बीजेपी के 2 वोट रद्द करने की मांग के बाद अब यह मामला केंद्रीय चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले की जानकारी के लिए महाराष्ट्र चुनाव आयोग से जानकारी मांगी है और इसके साथ ही मतदान के दौरान रिकॉर्डिंग की सीडी भी मांगी है। कांग्रेस ने विधान परिषद के चुनाव में 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिनमें चंद्रकांत हंडोरे और भाई जगताप शामिल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चंद्रकांत हंडोरे कांग्रेस के विधायकों की पहली पसंद हैं जबकि भाई जगताप दूसरे नंबर पर हैं।

कांग्रेस के विधायक और पोलिंग एजेंट असलम शेख ने बताया कि उन्होंने इन दोनों विधायकों के वोट को रद्द करने की मांग महाराष्ट्र चुनाव आयोग से की थी लेकिन महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने उनकी मांग को ठुकरा दिया। जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। असलम शेख का कहना है कि अगर केंद्रीय चुनाव आयोग भी उनकी मांग को दरकिनार करता है तो फिर वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में 285 वोट ही पड़े क्योंकि शिवसेना के एक विधायक की मौत और एनसीपी के दो विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख के जेल में होने के चलते वह वोट नहीं डाल पाए। शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव से सीख लेते हुए शिवसेना ने इस बार अपनी पहली पसंद के वोट अपने उम्मीदवारों को ही दिए हैं। इससे ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना ने अपने दोनों उम्मीदवारों को सेफ जोन में पहुंचा दिया है क्योंकि राज्यसभा चुनाव में शिवसेना ने अपने सहयोगियों को वोट दे दिए थे जिसके चलते संजय राऊत राज्यसभा का चुनाव हारते हारते बचे थे।

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