महाराष्ट्र में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। क्रॉस वोटिंग को रोकने के लिए शिवसेना और कांग्रेस ने अपने अपने विधायकों को होटलों में शिफ्ट कर दिया है। इसके साथ ही छोटी-छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों पर भी महा विकास आघाडी सरकार और बीजेपी ने नजर रखनी शुरू कर दी है। ऐसे में 10 जून को होने वाला राज्यसभा चुनाव काफी रोचक हो गया है।
महा विकास आघाडी सरकार के लिए निर्दलीय विधायकों ने खतरे की घंटी बजा दी है। महाराष्ट्र के एक निर्दलीय विधायक आशीष जायसवाल ने महा विकास आघाडी का समर्थन करने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्होंने सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए जो फैसला किया था उसको बदल दिया है। जायसवाल का कहना है कि मेरे साथ कई ऐसे निर्दलीय विधायक हैं जो सरकार से नाराज हैं क्योंकि उनके इलाके के मंत्री ना तो उनके लिए सरकारी फंड जारी करवा पा रहे हैं और ना ही उनकी मांगों पर ध्यान दे रहे हैं।
सूत्रों के हवाले से यह बात भी सामने आई है कि न केवल निर्दलीय विधायक बल्कि मंत्री भी महा विकास आघाडी सरकार से नाराज हैं। सरकार में मौजूद जल संसाधन और स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री बच्चू कडू ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बच्चू कडू का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता जारी करें क्योंकि किसानों के चावल और छोले की फसलें खराब हो गई थी। अगर सरकार मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो फिर हम यह तय करेंगे कि राज्यसभा चुनाव में किसको वोट देना है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को एक पांच सितारा होटल में महा विकास आघाडी सरकार के विधायकों और निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक की। इस बैठक में एमआईएम पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन विकास अघड़ी पार्टी ने शिरकत नहीं की। इन सभी पार्टियों का कहना है कि पिछले काफी समय से सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। हालांकि समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र के मुखिया अबू आसिम आजमी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने का समय मांगा है।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि छोटे-छोटे दल महा विकास आघाडी सरकार को समर्थन देंगे या फिर बीजेपी के साथ जाएंगे। शिवसेना और कांग्रेस के अलावा बीजेपी ने भी अपने सभी विधायकों को मुंबई पहुंचने का आदेश जारी किया है।
महाराष्ट्र में बीजेपी राज्यसभा की 6 सीटों में से दो सीटें जीत सकती है जबकि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना एक-एक सीट जीत सकते हैं। लेकिन शिवसेना और बीजेपी ने एक-एक उम्मीदवार और उतारकर इस राज्यसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। बीजेपी और शिवसेना का उम्मीदवार इस राज्यसभा चुनाव में तभी जीत सकता है जब निर्दलीय विधायक और छोटी-छोटी पार्टियों के विधायक उनके समर्थन में वोट करें।