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महाराष्ट्रः अजित पवार ने जुटाए 29 विधायक, चुनाव आयोग में हलफनामा 40 का भेजा

महाराष्ट्रः अजित पवार ने जुटाए 29 विधायक, चुनाव आयोग में हलफनामा 40 का भेजा

महाराष्ट्र में एनसीपी के खेला का अंत अभी हुआ नहीं है। अजित पवार शक्ति प्रदर्शन में भारी पड़े लेकिन वांछित 36 विधायक नहीं जुटा सके। अब यह मामला चुनाव आयोग और विधानसभा स्पीकर के पास पहुंच गया है और वहीं तय होगा कि असली एनसीपी किसके पास है। इससे पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी ऐसे ही टूटी थी। अब एकनाथ शिंदे का शिवसेना पर कब्जा है। जबकि उद्धव को नए नाम से काम चलाना पड़ रहा है।

महाराष्ट्र में एनसीपी ऐसी दूसरी पार्टी आज 5 जुलाई को बन गई है, जिसके अस्तित्व का फैसला अब विधानसभा स्पीकर और चुनाव आयोग में होगा। चुनाव आयोग में आज 5 जुलाई को अजित पवार की ओर से 40 शपथपत्र भेजे गए हैं। यह साफ है कि अजित पवार ने चाचा शरद पवार के मुकाबले ज्यादा विधायक जुटाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया है लेकिन दो तिहाई विधायकों का बहुमत अभी भी उनके पास नहीं है, जिस वजह से विधानसभा में उनकी सदस्यता पर सवाल बना रहेगा।

चुनाव आयोग में आज जो शपथपत्र पहुंचे हैं, उन पर 30 जून की तारीख पड़ी है। अजित पवार ने चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 15 के तहत चुनाव आयोग को याचिका भेजी है, जो चुनाव आयोग की "किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित समूहों या प्रतिद्वंद्वी वर्गों के संबंध में शक्ति" से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग सभी उपलब्ध तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद यह तय कर सकता है कि क्या एक या कोई भी समूह वास्तव में मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है। 

आयोग के सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दूसरी तरफ, ईसीआई को एनसीपी महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल की ओर से 3 जुलाई को कैविएट दाखिल करने वाला एक ईमेल प्राप्त हुआ। सूत्र ने कहा कि पाटिल ने 3 जुलाई को ईसीआई को एक पत्र भी भेजा था जिसमें बताया गया था कि नौ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी, यानी महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष शुरू की गई है। सूत्र ने कहा, चुनाव आयोग प्राप्त ईमेल को ध्यान में रखेगा और कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करेगा।

नंबर गेम में अजित पवार आगे, लेकिन..: एनसीपी संकट के बीच शरद पवार और अजित पवत ने बुधवार को मुंबई में अपने विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 29 अजित द्वारा बुलाई गई पार्टी बैठक में मौजूद थे, जबकि शरद पवार खेमे के पास 17 विधायक थे। अजित पवार को विधानसभा में अलग गुट के रूप में मान्यता के लिए 36 विधायक कम से कम चाहिए। यह विधायक अजित पवार कहां से लाएंगे, यह सीन भी जल्द ही साफ हो जाएगा।

बता दें कि रविवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में, एनसीपी के अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे एनसीपी में विभाजन हो गया। उनके साथ प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल समेत आठ अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। जवाब में शरद पवार ने प्रतिद्वंद्वी समूह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें एनसीपी की सदस्यता से हटा दिया।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी की बैठक में आज शामिल हुए विधायक-  पार्टी के मुख्य सचेतक अनिल पाटिल, अजित पवार

 छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, नरहरि झिरवाल दिलीप मोहिते, माणिकराव कोकाटे, दिलीप वाल्से पाटिल, अदिति तटकरे,  राजेश पाटिल,  धनंजय मुंडे,   धर्मराव अत्राम, अन्ना बंसोड़, नीलेश लंके,  इंद्रनील नाइक,  सुनील शेलके,  दत्तात्रय भरणे,  संजय बंसोड़,  संग्राम जगताप,  दिलीप बनकर, सुनील टिंगरे सुनील शेलके,  बालासाहेब अजाबे,  दीपक चव्हाण, यशवंत माने,  नितिन पवार,  शेखर निकम, संजय शिंदे (निर्दलीय) और राजू कोरमारे हैं।  बैठक में उपस्थित एमएलसी हैं: 1) अमोल मिटकारी,  2) रामराजे निंबालकर,  3) अनिकेत तटकरे,  4)विक्रम काले।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शरद पवार को समर्थन देने के लिए 17 विधायक वाईबी चव्हाण केंद्र पहुंचे। इनमें जीतेन्द्र अव्हाड़, अनिल देशमुख, राजेंद्र शिंगणे, प्राजक्त तनपुरे, बालासाहेब पाटिल, अशोक पवार, किरण लाहमाते, जयन्त पाटिल, सुमनताई पाटिल, रोहित पवार, चेतन तुपे, राजेश तुपे, संदीप कसीरसागर और सुनील भुसारा हैं। कुल 5 सांसदों और 3 एमएलसी ने शरद पवार का समर्थन किया है। इन 5 सांसदों में श्रीनिवास पाटिल (लोकसभा), सुप्रिया सुले (लोकसभा), अमोल कोल्हे (लोकसभा), फौजिया खान (राज्यसभा) वंदना चव्हाण (राज्यसभा) शामिल हैं। तीन एमएलसी में शशिकांत शिंदे, बाबाजानी दुरानी, ​​एकनाथ खडसे शामिल हैं।

विधानसभा स्पीकर अभी उद्धव ठाकरे गुट से अलग हुए शिंदे गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता देने का फैसला नहीं ले सके हैं। वो मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था। अदालत ने स्पीकर से तीन महीने में उस मसले को हल करने को कहा था। इसी बीच पिछली घटना की तरह अब एनसीपी भी टूट गई है। स्पीकर को एक बार फिर से फैसला लेना है। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना और चुनाव चिह्न की मान्यता दी थी तो उस पर काफी सवाल उठे थे और उसकी निष्पक्षता आज भी संदेह के घेरे में है। देखना है कि एनसीपी के मामले में उसका क्या रुख रहता है।

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