भोपाल से लगे सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा क्षेत्र के वोटरों के लिए बुधवार का दिन अलहदा था। मौक़ा था - धन्यवाद भोज का। भोज देने वाले शिवराज अपने मतदाताओं के बीच तेरह सालों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मौजूद थे।
कई समर्थक सत्ता हाथों से निकल जाने की पीड़ा को रोक नहीं सके। कई तरह की बातें हुईं। कुछ फूट-फूट कर रोए। शिवराज और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह भी कुछ अवसरों पर निराश नज़र आए। पति-पत्नी की आँखें भी वोटरों को सुन कई बार नम हुईं।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने वोटरों को ढाँढ़स बँधाया। उन्होंने कहा, ‘चिंता मत करना, टाइगर अभी ज़िंदा है। अपन कमज़ोर नहीं हैं। पहले मुख्यमंत्री पद की मर्यादा थी, किसी में हिम्मत नहीं जो अपना काम अटकाए।’ वे यह कहने से भी नहीं चूके कि ‘कल तक काम उनके एक हस्ताक्षर से हो जाया करते थे। अब हस्ताक्षर नहीं चलेंगे, हौसले से काम होंगे।’ शिवराज ने कहा, ‘कामों की सूची तैयार रखना, सभी काम कराएँगे।’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, "नई सरकार को एक-डेढ़ महीने तक देखेंगे। काम करने का अवसर देंगे। फिर देखेंगे, कौन-से काम हुए और कितने अटके। हर काम होगा- लड़ाई में तो अपन चैंपियन हैं।"
सीएम पद के लिए कमलनाथ के शपथ-ग्रहण समारोह में शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया।फ़ाइल फ़़ोटो
शिवराज की बातों में कितना वजन
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 116 की ज़रूरत होती है। प्रदेश में बीजेपी 109 सीटों पर सिमटी है। यानी कुल 7 नंबरों से चौथी बार उसकी सरकार बनते-बनते रही है। उधर कांग्रेस 114 सीटें हासिल कर सबसे बड़ा दल बनी और उसे सरकार बनाने का मौक़ा मिला है। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, बसपा के 2 और सपा का 1 विधायक समर्थन दे रहा है।
शिवराज बनेंगे नेता प्रतिपक्ष
प्रदेश बीजेपी की एक अहम बैठक बुधवार रात को भोपाल में हुई। संकेतों के अनुसार शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के प्रबल आसार हैं। चुनाव हारने और मुख्यमंत्री पद गँवाने के बाद शिवराज कह चुके हैं, ‘मध्य प्रदेश नहीं छोड़ेंगे। जीएँगे यहाँ और मरना भी यहीं पसंद करेंगे।’ लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने राज्य में मतदाताओं का आभार जताने के लिए एक यात्रा निकालने की घोषणा भी कर रखी है। पार्टी ने इस पर अभी फ़ैसला नहीं किया है।