सरोवर बांध: गुजरात की ‘हठ’ से मध्य प्रदेश में 30 हज़ार परिवार ख़तरे में

05:00 pm Sep 13, 2019 | संजीव श्रीवास्तव - सत्य हिन्दी

सरदार सरोवर बांध को लेकर गुजरात की ‘हठ’ ने मध्य प्रदेश के 30 हज़ार परिवारों के लोगों की जान को संकट में डाल दिया है। गुजरात सरकार बांध को लबालब भरने पर आमादा है। फ़िलहाल सीमा से लगे मध्य प्रदेश के 70 से ज़्यादा गाँव जलमग्न हैं। बांध का बैक वाटर और भी गाँवों में तबाही मचा सकता है। 

मध्य प्रदेश सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को गत दिवस दूसरी बार चिट्ठी लिखी है। पिछले एक सप्ताह में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का केन्द्र सरकार को यह दूसरा ख़त है।

सूत्र बताते हैं कि लंबे समय से गुजरात से इस बात की गुहार लगाई जा रही है कि मध्य प्रदेश के सरदार सरोवर बाँध के डूब प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास का काम पूरा नहीं होने तक बांध के अधिकतम वाटर लेबल 138.68 मीटर तक ले जाने की ज़िद गुजरात छोड़ दे। बता दें कि बारिश के इस सीज़न के पूर्व तक गुजरात रिज़र्वायर के जल स्तर को कभी भी 121.92 के ऊपर नहीं ले गया।

गुजरात सरकार इस बार रिज़र्वायर को हायर साइट यानी सबसे ऊपर के जल स्तर (138.68) तक ले जाने पर अड़ी हुई है। दो दिन पहले रिज़र्वायर का जल स्तर 136 मीटर को छू चुका है। इसी वजह से मध्य प्रदेश के डूब प्रभावित इलाक़ों में तबाही का आलम है। अकेले बड़वानी में बड़ी संख्या में गाँव डूबे हुए हैं। धार, झाबुआ, अलीराजपुर समेत अन्य डूब प्रभावित क्षेत्रों में भी हालात बेहद ख़राब हैं।

मध्य प्रदेश सरकार का आरोप है कि गुजरात सरकार की अनदेखी के बाद केंद्रीय नर्मदा जल नियंत्रण प्राधिकरण का रवैया भी पूरे मामले में बेहद लचर बना हुआ है। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने पत्र लिखा, लेकिन बात नहीं बनी। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव और मध्य प्रदेश नर्मदा विकास प्राधिकरण के मुखिया गोपाल रेड्डी की खतो-खिताबत भी निरर्थक रही।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले सप्ताह केंद्रीय जल संसाधन मंत्री शेखावत को चिट्ठी लिखी थी। मध्यस्थता की पहल केन्द्र की ओर से नहीं हुई। कमलनाथ ने चार पेज की दूसरी चिट्ठी गत दिवस फिर से केन्द्र सरकार को लिख कर अविलंब मामले को सुलझाने का अनुरोध किया है। बताया जाता है कि केंद्र का कोई जवाब अभी मध्य प्रदेश को नहीं मिला है। सूत्रों का दावा है कि गुजरात ने अपने राज्य के कुछ क्षेत्रों को बचाने के लिए सरदार सरोवर बांध से महज पाँच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है।

मध्य प्रदेश में बारिश भी ज़्यादा

मध्य प्रदेश में इन दिनों बारिश का भी इतना ज़्यादा पानी है कि इससे ख़तरा बढ़ गया है। बारिश ने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। राज्य के अधिकांश ज़िलों में भारी बारिश का दौर चल रहा है। गुजरात की सीमा से लगे प्रदेश के ज़्यादातर इलाक़े भी बारिश के पानी की चपेट में हैं। निरंतर बारिश से कई इलाक़ों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।

उधर सरदार सरोवर के बैक वाटर ने बाढ़ के हालात पैदा कर दिये हैं। सरदार सरोवर प्रभावित मध्य प्रदेश के कई इलाक़े ऐसे हैं जहाँ घरों में तीन-तीन, चार-चार फ़ीट पानी भर चुका है। कई गाँव ऐसे हैं, जहाँ लोग तीन और चार फ़ीट पानी के बावजूद अपना घर-बार और खेती-बाड़ी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इनकी माँग समुचित मुआवजे और बेहतर पुनर्वास की है। अपनी माँग को पूरा कराने के लिए कई परिवार सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी हैं।

जान से खिलवाड़ नहीं होने देंगे: पाटकर

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर का कहना है, ‘गुजरात का हठ किसी भी सूरत में उचित नहीं है। संपूर्ण पुनर्वास के बिना सरदार सरोवर बांध के रिज़र्वायर की अधिकतम सीमा तक जाने संबंधी क़रार की अनदेखी पूरी तरह से अनुचित है। डूब प्रभावित लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।’

बता दें कि पाटकर ने अगस्त महीने में आमरण अनशन आरंभ की थी। मध्य प्रदेश सरकार के आश्वासन पर उन्होंने तीन सितंबर को 9 दिनों का अपना अनशन ख़त्म किया था। वह विस्थापितों के उचित पुनर्वास और डूब से राहत चाहती हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहार राज्य सरकार के दूत बनकर गये थे। उनके आग्रह और आश्वासन पर पाटकर ने अनशन तोड़ा था।