मालेगाँव बम ब्लास्ट के आरोपों को लेकर मुंबई की अदालतों के चक्कर काट रहीं भोपाल की बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की क़ानूनी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने साध्वी के निर्वाचन के संबंध में दाख़िल एक चुनाव याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए प्रज्ञा सिंह को नोटिस थमाया है। मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित ने बीती आठ जुलाई को यह याचिका दायर की है। अपनी याचिका में उन्होंने प्रज्ञा सिंह के ख़िलाफ़ भोपाल के चुनाव को भगवा रंग में रंगने की शिकायत की है। महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमा मंडन, बाबरी मसजिद ढांचे के विध्वंस की अगुवाई करने का दावा और मुंबई के शहीद पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे को लेकर दिए गए साध्वी के विवादास्पद बयान भी याचिका का हिस्सा हैं। क़रीब सात सौ पेज की याचिका प्रस्तुत करते हुए दीक्षित ने साध्वी प्रज्ञा का निर्वाचन अवैध घोषित करने की माँग कोर्ट से की है।
हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह को अपना जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का वक़्त दिया है। मामले में सुनवाई के लिए 9 सितंबर की तारीख़ लगी है। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 2019 के चुनाव में भोपाल लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को 3 लाख 64 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है।पत्रकार दीक्षित ने हाई कोर्ट में दायर किए गए वाद में चुनाव के दरमियान साध्वी की ओर से हुई तमाम बयानबाज़ी से जुड़ी समाचार पत्रों की कतरनों के अलावा ऑडियो और वीडियो सबूत भी पेश किए हैं। याचिका सुनवाई के लिए मंजूर होने और प्रज्ञा सिंह को नोटिस इश्यू होने से दीक्षित ख़ासे उत्साह में हैं।
दीक्षित ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘भोपाल का वोटर होने के नाते साध्वी को बीजेपी से टिकट मिलने के कारण मैं चौंक गया था। आतंकवाद का आरोप झेल रही प्रज्ञा ने पूरे चुनाव को सांप्रदायिक रंग में रंगा। अनर्गल बयान दिये। दिग्विजय सिंह को भगवा आतंकवाद के मुद्दे पर गलत ढंग से घेरा। ये सारे कारकों के ख़िलाफ़ मैं कोर्ट गया हूँ।’ दीक्षित ने कहा, ‘मुझे पूरी खुशी उस दिन मिलेगी जब साध्वी के चुनाव को अवैध घोषित किया जायेगा।’
रिटायर आईएएस हर्ष मंदर ने की मेहनत राकेश दीक्षित ने यह भी बताया कि याचिका बनवाने में पूरी मेहनत वीआरएस लेने वाले मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अफ़सर हर्ष मंदर की है। दीक्षित ने कहा, ‘हर्ष मंदर चाहते थे कि भोपाल का कोई ईमानदार वोटर अथवा नागरिक बिना भय के याचिका दायर करने का साहस दिखाये। एक दोस्त के माध्यम से हर्ष मंदर से बात हुई। पहले से भी उनसे परिचय था। उन्होंने दस्तावेजी सबूत दिए तो मैंने याचिका लगा दी।’
साध्वी प्रज्ञा सिंह द्वारा नाथूराम गोडसे का महिमा मंडन करने पर समूची बीजेपी ने इस बयान से ख़ुद को दूर कर लिया था। प्रज्ञा सिंह को नोटिस भी दिया गया था। हालाँकि नोटिस पर बाद में लीपापोती कर दी गई थी। उधर, गोडसे के महिमा मंडन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा क्षोभ जताया था। उन्होंने कहा था कि इस बयान के लिए वह कभी भी प्रज्ञा सिंह को माफ़ नहीं कर सकेंगे।इसके अलावा साध्वी प्रज्ञा के शहीद करकरे को लेकर अपमानजनक टिप्पणी और बाबरी विंध्वस की अगुवाई करने संबंधी बयानों पर भी लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ख़ूब बवाल हुआ था। चुनाव आयोग ने भी प्रज्ञा को नोटिस थमाया था। उनके प्रचार पर चुनाव आयोग ने 72 घंटों की रोक भी लगाई थी।