मप्र: उपचुनाव से पहले दिग्विजय-कमल नाथ में सियासी खींचतान!

08:49 pm Jul 07, 2020 | संजीव श्रीवास्तव - सत्य हिन्दी

आगामी कुछ महीनों में मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं और कांग्रेस और बीजेपी अपनी तैयारियों में जुट चुके हैं। इस साल मार्च में कमल नाथ सरकार के गिरने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ताल ठोकी थी कि 15 अगस्त को झंडावंदन (मुख्यमंत्री की हैसियत से) कमल नाथ ही करेंगे। लेकिन कोरोना संकट की वजह से चुनाव वक्त पर नहीं हो सके। 

इस बयान से कांग्रेस का इशारा राज्य में रिक्त 24 विधानसभा सीटों में से अधिकांश सीटें हासिल करके पुनः सत्ता में वापस आने की ओर था। लेकिन अब जब उपचुनाव नजदीक हैं, उससे पहले कांग्रेसी दिग्गजों कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सब कुछ ठीक न होने की ख़बरें आ रही हैं। दूसरी ओर, बीजेपी पूरी मुस्तैदी से उपचुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। 

कांग्रेस में बैठकों का दौर आरंभ हो गया है, लेकिन वैसा होमवर्क होता अभी नजर नहीं आया है जिसकी दरकार है। हालांकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा कहते हैं, ‘विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खुशफहमी उपचुनाव में खत्म हो जायेगी।’

मिश्रा दावा कर रहे हैं कि उपचुनाव सितंबर में संभावित हैं। उनके मुताबिक़, इस स्थिति में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर आने वाली 26 जनवरी को ध्वजारोहण कमल नाथ ही करेंगे। 

कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा कहते हैं, ‘उपचुनाव में गद्दार वर्सेस वफादार, बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ और 15 माह का सुराज बनाम 15 वर्ष का कुराज मुख्य मुद्दे होंगे।’

मिश्रा लाख दावा करें कि कमल नाथ ही पुनः मुख्यमंत्री होने जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में हालात इसके उलट हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का बड़ा सिरदर्द थे लेकिन अब वे पार्टी छोड़ चुके हैं।

गोविंद गोयल की छुट्टी

मध्य प्रदेश कांग्रेस में अब दो ही धड़े बचे हैं। पहला दिग्विजय सिंह का और दूसरा कमल नाथ का। अंदरखाने से जो ख़बरें छनकर बाहर आ रही हैं, उनके अनुसार अब इन दोनों नेताओं में पटरी बैठना बंद हो चुकी है। हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद से गोविंद गोयल की छुट्टी ने बड़ा संकेत दिया।

असल में गोविंद गोयल की गिनती दिग्विजय सिंह के अनन्य भक्तों में होती है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी विधानसभा चुनाव 2018 के पहले दिग्विजय सिंह की कृपा से ही उन्हें मिली थी। पिछले दिनों पीसीसी चीफ कमल नाथ ने गोयल को चलता कर दिया है।

दिग्विजय सिंह नाख़ुश!

कमल नाथ ने उपचुनावों के लिए टिकटों को लेकर कई सर्वे कराये हैं। इन सर्वे में दिग्विजय सिंह समर्थक दावेदारों के नंबर कम आये बताये गये हैं। दिग्विजय सिंह इससे ख़ुश नहीं हैं। बताया जा रहा है कि कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच पटरी ना बैठ पाने की एक वजह बीजेपी के मौकापरस्तों को मौका देना और ना देना भी है। 

बता दें, मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। स्पष्ट बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत है। बीजेपी के पास अभी 107 और कांग्रेस के पास 92 सीटें हैं। जबकि बीएसपी के पास दो, सपा के पास एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। रिक्त सीटों की वजह से अभी विधानसभा में 206 विधायक हैं। 

कांग्रेस को अपने दम पर यदि सत्ता में वापसी करनी है तो उसे सभी 24 सीटें जीतनी होंगी। हालांकि उसके पास पुराने ‘साथियों’ (कमल नाथ सरकार को बीएसपी, एसपी और चार निर्दलीय विधायकों) के समर्थन का रास्ता भी खुला होगा। बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायक बार-बार पाला बदल रहे हैं। उनकी शैली ‘जहां दम, वहां हम’ वाली होती है।

आपस में लड़ रही है कांग्रेस: बीजेपी

मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस द्वारा कमल नाथ की सरकार पुनः बनने के दावे पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मध्य प्रदेश में बची-खुची कांग्रेस आपस में लड़ रही है। हमसे कैसे लड़ेगी।’ 

कमल नाथ और दिग्विजय में जोर-आजमाइश चल रही है। सुरेश पचौरी मौन हैं। अरूण यादव, अजय सिंह, मुकेश नायक और सत्यव्रत सिंह परिदृश्य से गायब हैं। कांग्रेस ऐसे में कैसे जीतेगी


रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, मध्य प्रदेश बीजेपी

मुकुल वासनिक के सामने खुली पोल

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी मुकुल वासनिक सोमवार को भोपाल में थे। उपचुनावों के सिलसिले में उन्होंने एक बैठक बुलाई थी।

बैठक में उन पदाधिकारियों ने वासनिक को कथित तौर पर मायूस किया जिन्हें उपचुनाव वाले क्षेत्रों में तैयारियों का जिम्मा दिया गया है। बताया गया है कि बैठक में अधिकांश पदाधिकारी बिना होमवर्क के आये। पदाधिकारियों की उपचुनाव संबंधी तैयारियों से वासनिक खासे दुःखी नजर आये।

इन सीटों पर होने हैं उपचुनाव

मार्च महीने में कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफे दिये, जिसकी वजह से कमल नाथ की सरकार गिर गई थी। कुल 22 में 19 सिंधिया समर्थक थे, जबकि तीन अन्य ने मंत्री पद ना मिल पाने की नाराजगी के चलते विधायक का पद छोड़ा था। सिंधिया के 9 समर्थक गैर विधायकों और कांग्रेस के तीन अन्य गैर विधायकों को मंत्री बना दिया गया है। 

इन 22 सीटों के अलावा मुरैना जिले की जौरा और आगर जिले की आगर सीट पर उपचुनाव होने हैं। ये दोनों सीटें कांग्रेस और बीजेपी के एक-एक सदस्य की आकस्मिक मृत्यु की वजह से क्रमशः दिसंबर, 19 और जनवरी, 20 में रिक्त हुई थीं।